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बदली श्रीलंका की सोच, हम भी बदलें रुख : सुषमा

तमिलनाडु में श्रीलंका को लेकर उठते रहे सवालों और आरोपों के बीच केंद्र सरकार चाहती है कि तमिलनाडु के नेताओं का भी यह रुख बदले। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने श्रीलंका में बंदी मछुआरों की फांसी की सजा खत्म करने और उन्हें मुक्त कर भारत वापस भेजने के फैसले को

By Murari sharanEdited By: Updated: Tue, 09 Dec 2014 08:16 PM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। तमिलनाडु में श्रीलंका को लेकर उठते रहे सवालों और आरोपों के बीच केंद्र सरकार चाहती है कि तमिलनाडु के नेताओं का भी यह रुख बदले। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने श्रीलंका में बंदी मछुआरों की फांसी की सजा खत्म करने और उन्हें मुक्त कर भारत वापस भेजने के फैसले को बड़ी जीत करार दिया।

उन्होंने तमिलनाडु के राजनीतिक दलों से भी सोच में बदलाव का आग्रह किया। हालांकि अन्नाद्रमुक का मानना था कि श्रीलंका की यह नरमी सोच के कारण नहीं राजनीति के कारण है। फांसी की सजा भी इसलिए माफ की गई क्योंकि वहां सत्ताधारी पार्टी को तमिलों का वोट चाहिए।

पिछले छह महीनों में नरेंद्र मोदी सरकार पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों और विदेशी मोर्चो पर सफल रही है। मंगलवार को श्रीलंका के बाबत भी इसका हवाला दिया गया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब देते हुए सरकार की उपलब्धि गिनाई और कहा कि श्रीलंका के साथ मछुआरों को लेकर बड़ी समस्या रही है। पिछली सरकार में ऐसे भारतीय मछुआरों को छुड़ाने में दो-दो महीने का समय लगता था। यह नई सरकार की कवायद का असर है कि अब तीन-चार दिनों में रिहाई हो जाती है। यहां तक कि जिन पांच मछुआरों को फांसी की सजा दी गई थी उन्हें भी मुक्त कर दिया गया। नाव क्षतिग्रस्त होने के कारण कुछ मछुआरे बहकर श्रीलंका की सीमा में पहुंच गए थे। श्रीलंका की नेवी ने उनकी नाव दुरुस्त कर वापस भेज दिए। सुषमा ने कहा- उनकी सोच बदल रही है, लिहाजा हमें भी बदलना चाहिए।

दरअसल ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में विशेष अनुमति से बोलने खड़े हुए लोकसभा उपाध्यक्ष व अन्नाद्रमुक के सदस्य एम. थंबीदुरई ने श्रीलंका की नेकनियति को सिर्फ दिखावा करार दिया था। वह शायद इससे भी आहत थे कि तमिलों की रिहाई का श्रेय उनकी राज्य सरकार और नेता को नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि श्रीलंका के राष्ट्रपति ने नरमी सिर्फ वोटों की खातिर दिखाई है। बहरहाल, सुषमा ने यह स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार संवेदनशीलता के साथ कूटनीतिक मोर्चे पर काम कर रही है। ध्यान रहे कि कुछ महीने पहले इराक की जेल में बंद भारतीय युवकों का एक जत्था छुड़ाकर लाया गया था।

श्रीलंका के राष्ट्रपति भारत में

श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे मंगलवार को प्रसिद्ध तिरुमाला मंदिर में पूजा करने के लिए पहुंचे। वह रानीगुंटा एयरपोर्ट से बीस किलोमीटर तक एक विशेष विमान से पहुंचे। उसके बाद का सफर उन्होंने हेलीकॉप्टर से यूनिवर्सिटी स्टेडियम तक तय किया। फिर पवित्र तिरुमाला पर्वत पर वह सड़क के रास्ते पहुंचे।

पुलिस उपाधीक्षक रविशंकर रेड्डी ने बताया कि श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे की सुरक्षा के लिए कड़े प्रबंध किए गए थे। वह भगवान बालाजी का दर्शन करने के बाद बुधवार को वापस श्रीलंका रवाना होंगे।