भारत के साथ दोस्ती और सहयोग के ऊंचे दावों के बीच चीन ने नत्थी वीजा नीति में बदलाव से इन्कार कर दिया है। भारत दौरे पर आए चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इसे नया रंग देते हुए इसे सरहद पार लोगों को आवाजाही की सहूलियत देने की खातिर एक सद्भावना उपाय करार दे दिया। हालांकि, भारत में नई सरकार के साथ रिश्तों का नया अध्याय शुरू करने आए वांग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दोनों देशों के बीच रिश्तों को रणनीतिक सहयोग की शक्ल दिए जाने की उम्मीद जताई।
By Edited By: Updated: Tue, 10 Jun 2014 10:07 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। भारत के साथ दोस्ती और सहयोग के ऊंचे दावों के बीच चीन ने नत्थी वीजा नीति में बदलाव से इन्कार कर दिया है। भारत दौरे पर आए चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इसे नया रंग देते हुए इसे सरहद पार लोगों को आवाजाही की सहूलियत देने की खातिर एक सद्भावना उपाय करार दे दिया। हालांकि, भारत में नई सरकार के साथ रिश्तों का नया अध्याय शुरू करने आए वांग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दोनों देशों के बीच रिश्तों को रणनीतिक सहयोग की शक्ल दिए जाने की उम्मीद जताई।
प्रधानमंत्री मोदी से 45 मिनट की मुलाकात में राष्ट्रपति शी चिनफिंग के विशेष दूत के तौर पर आए वांग ने भारत से रिश्तों को चीन के लिए अहम बताया। भारतीय नेतृत्व के साथ मुलाकातों में उन्होंने दोहराया कि भारत के विकास में चीन पूरा सहयोग देने को तैयार है। वांग से बातचीत में पीएम ने भारत-चीन सहयोग को समृद्ध एशिया का आधार करार दिया। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों को आपसी लाभ के व्यापार निवेश के साथ ही पड़ोसी के तौर पर आतंकवाद के मोर्चे पर भी नजदीकी सहयोग करना होगा। मोदी ने जहां चीन के राष्ट्रपति की भारत यात्रा का न्योता दोहराया वहीं चीन दौरे के लिए प्रधानमंत्री ली कछ्यांग की ओर से मिले आमंत्रण को स्वीकार कर जल्द यात्रा का भरोसा दिया।
चीन के विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री के अलावा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से भी मुलाकात की। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ वांग की मुलाकात में सीमा पर शांति कायम रखे जाने पर जोर दिया गया। वांग का कहना था कि यदि सीमा मामले को ठीक तरीके से संभाला जाए तो दोनों देश रणनीतिक सहयोग की साझेदारी को नए स्तर पर ले जा सकते हैं। भारत में नई सरकार आने के बाद आए चीन के विदेश मंत्री ने दो दिनी दौरे में इस बात पर खासा जोर दिया कि दोनों मुल्कों के बीच सहयोग की व्यापक संभावनाओं का दोहन होना चाहिए। उनका कहना था कि सीमा पर ध्यान रखा जाना चाहिए कि विवादास्पद घटनाएं न हों और यदि कोई वाकया होता है तो उसे बातचीत से सुलझाया जा सके। गौरतलब है कि ठीक एक साल पहले लद्दाख के दिपसांग इलाके में चीनी सेना भारतीय हद में करीब तीन हफ्ते तक तंबू लगाकर जमी रही थी। लंबी कूटनीतिक कवायद के बाद ही इसका निपटारा हो सका। वहीं वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चुमार जैसे इलाकों में अब भी चीन की सेना के भारतीय हद लांघने की घटनाएं होती रहती हैं।
नत्थी वीजा विवाद सहयोग के इन वादों और इरादों के बीच चीन के विदेश मंत्री ने नत्थी वीजा के कसैले विवाद को नया मोड़ दे दिया। वापसी से पहले भारतीय मीडिया से मिले वांग ने अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों को नत्थी वीजा दिए जाने के मामले पर अपनी नीति को जायज ठहराया। उनका कहना था कि पूर्वी क्षेत्र में बड़ा इलाका विवादास्पद है। ऐसे में चीन सरकार ने अनिर्णित सीमा के दोनों ओर लोगों को आवाजाही की सहूलियत के लिए नत्थी वीजा की व्यवस्था बनाई है। वांग का कहना था कि यह एक सद्भावना का उपाय है और इससे सीमा को लेकर दोनों पक्षों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आता।
महत्वपूर्ण है कि रविवार को भारत-चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी नत्थी वीजा का मामला उठा था। एक सवाल के जवाब में वांग ने कहा कि द्विपक्षीय स्तर पर हम इस संबंध में बात करते रह सकते हैं लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि दोनों ओर लोग आवाजाही की सुविधा चाहते हैं और इसके लिए कोई व्यवस्था होनी चाहिए।
भारत के विकास में सहयोग के लिए चीन तैयार