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कोयला ब्लॉक आवंटन की नई प्रक्रिया पर ग्रहण

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में देश के नामी गिरामी उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला के खिलाफ दर्ज एफआइआर से कोयला मंत्रालय भी सकते में है। मंत्रालय को इस बात की चिंता सता रही है कि दिसंबर में पहली बार कोयला ब्लॉकों का खुली निविदा के जरिये आवंटन करने की उसकी तमाम कोशिशों पर इससे पानी न फिर जाए। कोयला

By Edited By: Updated: Tue, 15 Oct 2013 09:51 PM (IST)
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नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में देश के नामी गिरामी उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला के खिलाफ दर्ज एफआइआर से कोयला मंत्रालय भी सकते में है। मंत्रालय को इस बात की चिंता सता रही है कि दिसंबर में पहली बार कोयला ब्लॉकों का खुली निविदा के जरिये आवंटन करने की उसकी तमाम कोशिशों पर इससे पानी न फिर जाए। कोयला ब्लॉक आवंटन की नई प्रक्रिया में भाग लेने की इच्छुक कंपनियों ने भी कहा है कि वे अपनी रणनीति पर दोबारा विचार कर सकती हैं।

पढ़ें : फंस गए बड़े उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, एफआइआर दर्ज

जानकारों का मानना है कि कोल ब्लॉक आवंटित करने की प्रक्रिया पिछले वर्ष की स्पेक्ट्रम नीलामी की तरह फुस्स हो सकती है। निजी क्षेत्र कोयला ब्लॉक आवंटन की प्रक्रिया में हिस्सा लेने से अपने आपको अलग कर सकता है। कोयला मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी भी इस संभावना से इन्कार नहीं करते। उक्त अधिकारी के मुताबिक, मंत्रालय ने अपनी तरफ से ब्लॉकों के आवंटन की नई नीति पूरी तरह से पारदर्शी बनाई है। इसके लिए कानून में संशोधन की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। सरकार के उच्च स्तर पर अनुमति भी ली गई है, लेकिन फिर भी बाजार के तत्व अपने हिसाब से काम करते हैं।

संप्रग-एक के कार्यकाल में कोल ब्लॉक आवंटन में जो गड़बड़ियां हुई थीं, उसकी फजीहत के दाग धोने के लिए ही कोयला मंत्रालय ने आवंटन की नई नीति बनाई है। इसके तहत लगभग 54 कोयला ब्लॉकों को आवंटित करने के लिए खुली निविदा प्रक्रिया अपनाई जाएगी। कोयला मंत्रालय दिसंबर, 2013 में यह प्रक्रिया पूरी करना चाहता है। लेकिन मंगलवार को सीबीआई की तरफ से कुमार मंगलम बिड़ला के खिलाफ एफआइआर दर्ज होने के बाद हालात बदले नजर आते हैं।

दैनिक जागरण ने इस बारे में कुछ ऐसी कंपनियों से बात की जो नई खुली निविदा प्रक्रिया में हिस्सा लेने को इच्छुक हैं। इन कंपनियों को कई डर सता रहा है। निजी क्षेत्र की एक प्रमुख बिजली कंपनी के अधिकारी ने बताया, वर्ष 2008-09 में जब ये ब्लॉक आवंटित हुए थे तब वे उस समय के नियमों के मुताबिक हुए थे। आज उन्हें चुनौती दी जा रही है। क्या गारंटी है कि आगे नई प्रक्रिया को चुनौती न दी जाए या उन्हें बदल नहीं दिया जाए। इसकी कोई गारंटी नहीं है कि केंद्र में नई पार्टी की सरकार इस प्रक्रिया को कानूनी ही मानेगी।

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