प्याज के थोक व खुदरा मूल्यों में भारी अंतर से हैरान केंद्र सरकार ने राज्यों से खुदरा व्यापारियों की जमाखोरी के खिलाफ अभियान चलाकर सख्त कार्रंवाई करने को कहा है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने महंगाई के खिलाफ राज्यों के उठाए कदमों को नाकाफी व असंतोषजनक बताया है। इसके लिए राज्यों को एक और पत्र लिखकर प्याज की जमाखोरी व कालाबाजारी करने वाले थोक व खुदरा व्यापारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने को कहा जाएगा।
By Edited By: Updated: Tue, 01 Jul 2014 08:27 AM (IST)
नई दिल्ली। प्याज के थोक व खुदरा मूल्यों में भारी अंतर से हैरान केंद्र सरकार ने राज्यों से खुदरा व्यापारियों की जमाखोरी के खिलाफ अभियान चलाकर सख्त कार्रंवाई करने को कहा है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने महंगाई के खिलाफ राज्यों के उठाए कदमों को नाकाफी व असंतोषजनक बताया है। इसके लिए राज्यों को एक और पत्र लिखकर प्याज की जमाखोरी व कालाबाजारी करने वाले थोक व खुदरा व्यापारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने को कहा जाएगा।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की थोक मंडियों में प्याज के थोक मूल्य 18 रुपये किलो हैं तो खुदरा में यही प्याज 25 से 30 रुपये किलो बिक रहा है। थोक व खुदरा मूल्यों के अंतर को लेकर केंद्र सरकार बेहद गंभीर है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सचिव केशव देसीराजू ने कहा, पर्याप्त स्टॉक होने के बावजूद कीमतों में होने वाली वृद्धि की कोई वजह नहीं है। प्याज की दैनिक आपूर्ति कहीं भी बाधित नहीं है। मंडियों में प्याज की कीमतों पर सरकार की कड़ी नजर है।
देसीराजू के मुताबिक, इसीलिए राज्य सरकारों से महंगाई बढ़ाने वाले कारकों पर लगातार नजर रखने और ऐसे लोगों पर सख्ती बरतने का अनुरोध किया जाता रहा है। छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और दिल्ली ने केंद्र सरकार से प्याज की स्टॉक सीमा बढ़ाने की अनुमति मांगी है, ताकि जमाखोरों पर शिकंजा कसा सके। उनके प्रस्तावों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। जल्दी ही उन्हें अनुमति दे दी जाएगी। गुजरात व तमिलनाडु में छापेमारी की सबसे अधिक कार्रवाई की गई है। यहां के जमाखोरों व कालाबाजारी करने वालों पर मुकदमे भी ठोके गए हैं। कमजोर मानसून को देखते हुए महंगाई बढ़ाने वाली ताकतें सक्रिय हो गई हैं, जबकि प्याज की आपूर्ति पिछले साल के इन्हीं महीनों के मुकाबले कहीं अधिक है। महाराष्ट्र की मंडियों में 40 फीसद बढ़े प्याज के दाम
महाराष्ट्र में देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में प्याज के दाम पिछले दो हफ्ते में 40 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर 18.50 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। प्याज उत्पादक क्षेत्र से जुड़ी इस मंडी के भावों का असर देश के अन्य शहरों पर साफ दिखाई देने लगा है, जिसने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। दामों पर अंकुश रखने के लिए प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य 300 डॉलर प्रति टन तय किए जाने का भी असर नहीं दिखाई पड़ रहा है। नेशनल हॉर्टिकल्चरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन के निदेशक आरपी गुप्ता के मुताबिक, कमजोर मानसून की आशंका के कारण खरीफ में प्याज की फसल प्रभावित होने के अनुमान और सट्टाखोरी ने दाम बढ़ाए हैं। नाशिक में लासलगांव में दाम बढ़ने का असर दिल्ली की आजादपुर मंडी में भी दिखाई दिया। यहां दाम 25 रुपये प्रति किलो तक जा पहुंचे हैं। इसके अलावा चंडीगढ़ और मुंबई जैसे शहरों में भी दाम बढ़े हैं।
गुप्ता का कहना है कि एक माह में लसलगांव में प्याज के दाम 90 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। प्याज सिर्फ सूखे की आशंका के कारण ही महंगा हुआ है, जबकि इसकी आपूर्ति में कहीं कोई कमी नहीं है। देश में रबी का करीब 39 लाख टन प्याज स्टॉक है।
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