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राहत की उम्मीद, राज्यों को देनी होगी सस्ती बिजली

देश के हर घर को चौबीसों घंटे बिजली मिलने में भले ही चार वर्ष का समय लगे, लेकिन बिजली की मौजूदा दर में कटौती की सूरत जरूर बनने लगी है।

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Thu, 14 Apr 2016 07:43 PM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के हर घर को चौबीसों घंटे बिजली मिलने में भले ही चार वर्ष का समय लगे, लेकिन बिजली की मौजूदा दर में कटौती की सूरत जरूर बनने लगी है। केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि बिजली खरीद से जुड़ी किसी भी सूचना को वे अब नहीं छिपाएं। राज्यों को हर बिजली खरीद की सूचना बड़े स्तर पर सार्वजनिक करने का सलाह दी गई है। यह भी कहा गया है कि ताप बिजली घरों में कोयला ढुलाई पर आने वाली लागत को सार्वजनिक किया जाए, ताकि नियामक एजेंसियों के साथ ही आम जनता भी इन खर्चो पर नजर रख सके। इससे राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों के कामकाज में भी पारदर्शिता आएगी।

जनता को मिले पूरी जानकारी

बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने दो दिन पहले राज्यों के बिजली सचिवों के साथ बैठक में यह कदम उठाने का निर्देश दिया है। बिजली मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि लगभग सभी राज्य इसके लिए तैयार हैं। कई राज्य पहले से ही बिजली खरीद समझौते को सार्वजनिक करते रहे हैं, मगर आम लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं होती है। बिजली मंत्री ने यह सुझाव दिया है कि इस बारे में जनता से कोई भी जानकारी नहीं छिपाई जानी चाहिए। जनता को जब मालूम होगा कि बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) किस दर पर बिजली खरीद रही हैं और उन्हें किस दर पर मिल रही है तो इससे कंपनियों को प्रदर्शन सुधारने में मदद मिलेगी। बिजली खरीद में होने वाले घोटाले से भी बचा जा सकेगा।

सस्ती बिजली देना मकसद

बिजली मंत्रालय लगातार यह कह रहा है कि उसकी कोशिश सिर्फ 24 घंटे बिजली देने की नहीं है, बल्कि जनता को सस्ती बिजली दिलाने के लिए भी काम किया जा रहा है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर बिजली उत्पादन की औसत लागत अभी 4.40 रुपये प्रति यूनिट है। लेकिन दरों में अंतर की असल वजह उत्पादित बिजली को घरों तक पहुंचाने में आने वाली लागत है। यह खर्च राष्ट्रीय स्तर पर दो रुपये से ढाई रुपये प्रति यूनिट है। अगर राज्य ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन (टीएंडडी) से होने वाली हानि को मौजूदा 30-35 फीसद से घटाकर 15 प्रतिशत के स्तर पर ले आते हैं तो बिजली की दरें काफी कम हो सकती हैं। इन संभावनाओं को ध्यान में रखकर ही उदय योजना को स्वीकार करने वाले हर राज्य को टीएंडडी हानि घटाकर 15 फीसद से नीचे लाने का समझौता करना पड़ रहा है। इससे भी बिजली आपूर्ति की लागत कम होगी। लोगों के लिए सस्ती बिजली का रास्ता साफ होगा। इसके अलावा कुछ और कारण भी हैं, जो बिजली को सस्ता कर सकते हैं। इसमें सबसे अहम वजह है कि बिजली प्लांट के पास ही कोयला खदान को आवंटित करने की नीति। मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि इससे गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों में बिजली की दरें कम होंगी।

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