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दिल्ली में थमा सियासी शोर पर सरकार बनाने की कवायद जारी

सियासी शोर भले थम गया हो, लेकिन सूबे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई में सरकार बनाने की मुहिम अंदरखाने जारी है। विचार-विमर्श का काम पूरा हो चुका है। लगभग हर स्तर पर सहमति कायम की जा चुकी है। अब ऐसे संकेत हैं कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व सरकार गठन की कवायद में जुटे दिल्ली के नेताओं को आग

By Edited By: Updated: Wed, 30 Jul 2014 09:03 AM (IST)
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अजय पांडेय, नई दिल्ली। सियासी शोर भले थम गया हो, लेकिन सूबे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई में सरकार बनाने की मुहिम अंदरखाने जारी है। विचार-विमर्श का काम पूरा हो चुका है। लगभग हर स्तर पर सहमति कायम की जा चुकी है। अब ऐसे संकेत हैं कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व सरकार गठन की कवायद में जुटे दिल्ली के नेताओं को आगे बढ़ने की खातिर हरी झंडी दिखा सकता है।

सूत्रों के मुताबिक, अब यह मामला राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के समक्ष फैसले के लिए लंबित है। उनकी स्वीकृति के साथ ही सरकार गठन की कवायद सतह पर दिखाई देने लगेगी। यह भी बताया गया है कि इस मामले में शाह ने दिल्ली की जनता से सीधे फीडबैक भी हासिल किया है और ज्यादातर लोगों ने सरकार के पक्ष में और चुनाव के खिलाफ अपनी राय व्यक्त की है। लिहाजा, प्रबल संभावना जताई जा रही है कि शाह दिल्ली में सरकार बनाने की मुहिम को हरी झंडी दिखा सकते हैं।

सरकार बनाने की कवायद में जुटे नेताओं की मानें तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर शाह की ताजपोशी से पहले सरकार बनाने का मामला कुछ केंद्रीय मंत्रियों के समक्ष लंबित था। लेकिन शाह के अध्यक्ष बनने के बाद जब सरकार बनाने की मुहिम में जुटे नेताओं ने उनसे पूछा तो उनका जवाब था कि अब शाह की सहमति के बगैर यह मामला आगे नहीं बढ़ सकता।

समझा जा रहा है कि बीते कुछ दिनों में इस मुद्दे पर कई स्तर पर विचार-विमर्श हुआ है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी सरकार बनाने वालों की दलीलों से सहमत बताए जा रहे हैं।

डेढ़ माह पहले शुरू हुई थी कवायद: सूबे में भाजपा की सरकार बनाने की कवायद करीब डेढ़ महीने पहले शुरू हुई थी। कांग्रेस के आठ में से छह विधायकों के टूटकर अकाली दल में शामिल होने व भाजपा को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने के शोर से शहर की सियासत गरमाई रही।

बताते हैं कि इन विधायकों की भाजपा के एक वरिष्ठ नेता से दो-दो बार मुलाकात भी हुई थी। ये विधायक भाजपा विधायक रामवीर सिंह बिधूड़ी के माध्यम से सरकार में शामिल होने की तैयारी में थे। लेकिन लंबे समय तक सरकार को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया। बाद में कांग्रेस ने अपने सभी आठ विधायकों को एक मंच पर उतार कर साफ कर दिया कि उसका कोई विधायक नहीं टूटने वाला है।

तमाम विधायकों ने ऐसी खबरों का खंडन कर दिया। बहरहाल, उच्चपदस्थ सूत्रों से जानकारी मिली है कि सूबे में सरकार बनाने की कवायद बाकायदा जारी है, इसके परिणाम संसद के बजट सत्र के बाद सामने आ सकते हैं।

विचार-विमर्श के लिए बुला सकते हैं जंग:

राजधानी में कायम सियासी अनिश्चितता के बीच ऐसे संकेत हैं कि उपराच्यपाल नजीब जंग सूबे में सरकार के गठन या नए सिरे से चुनाव कराने के मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए भाजपा नेताओं को बुला सकते हैं। इसके अलावा वे कांग्रेस पार्टी के नेताओं से भी राय-मशविरा करेंगे।

पिछले दिनों आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक व पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी पार्टी के तमाम विधायकों के साथ जाकर जंग से मुलाकात की थी और उनसे विधानसभा को भंग कर तत्काल चुनाव कराने का आग्रह किया था। उसके बाद उपराच्यपाल की ओर से कहा गया था कि वे बाकी संबंधित पक्षों से बातचीत कर दिल्ली की राजनीतिक स्थिति पर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजेंगे। लेकिन केजरीवाल व जंग की मुलाकात के कई दिन बीत जाने के बावजूद राजनिवास से भाजपा या कांग्रेस के नेताओं को कोई बुलावा नहीं आया है।

इस संबंध में पूछने पर राजनिवास के उच्चपदस्थ सूत्रों ने स्पष्ट किया कि राय-शुमारी के लिए बुलाने व सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना, दो अलग-अलग बातें हैं। बहरहाल, भाजपा नेताओं को बातचीत के लिए ही बुलाया जाएगा।

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