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मोदी फोबिया से उबरने की कोशिश में कांग्रेस

कांग्रेस 'मोदी फोबिया' से उबरने में नाकाम दिख रही है। चुनावी हार के आठ माह बाद हुई कांग्रेस कार्यसमिति में मोदी सरकार को घेरने को लेकर पार्टी रणनीति बनाती नजर आई। जबकि, विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनने के एजेंडे पर चल रही भाजपा के मुकाबले कांग्रेस अभी ऑनलाइन

By Sachin kEdited By: Updated: Wed, 14 Jan 2015 11:24 AM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस 'मोदी फोबिया' से उबरने में नाकाम दिख रही है। चुनावी हार के आठ माह बाद हुई कांग्रेस कार्यसमिति में मोदी सरकार को घेरने को लेकर पार्टी रणनीति बनाती नजर आई। जबकि, विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनने के एजेंडे पर चल रही भाजपा के मुकाबले कांग्रेस अभी ऑनलाइन सदस्यता पर ही उहापोह में है। 'इंदिरा' जैसा कुछ करने की ललक में दिखी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने भाषण में पिछले चुनौतीपूर्ण साल के मुकाबले इस साल कुछ बेहतर की उम्मीद जताई।

कार्यसमिति से किसी संदेश की उम्मीद कर रहे कार्यकर्ताओं को मायूसी हाथ लगी। बैठक में सोनिया ने सदस्यता अभियान को गति देने व पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के चर्चा कार्यक्रम को पार्टी के लिए बेहद अहम करार दिया।

सरकार पर वार :

केंद्र पर औसतन 28 दिन में एक के हिसाब से 10 अध्यादेश लाने को सोनिया ने अलोकतांत्रिक बताया। सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए सोनिया ने मोदी सरकार को अध्यादेशों की आड़ में चलने वाली निरंकुश सरकार बताया। सोनिया ने भूमि अधिग्रहण, कोल अध्यादेश को जन विरोधी तो कृषि पर न्यूनतम समर्थन मूल्य घटाने को किसान विरोधी करार दिया।

नाराज कार्यकर्ताओं ने हराया :राहुल

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि 'हमें भाजपा ने नहीं बल्कि नाराज कार्यकर्ताओं ने हराया।' राहुल ने कहा कि संप्रग के मंत्री पद पाने के बाद कार्यकर्ता और जनता से दूर हो गए थे।

राहुल की ताजपोशी पर बात नहीं :

कांग्रेस कार्यसमिति में राहुल गांधी की नई भूमिका को लेकर चर्चा नही हुई। राहुल को लेकर मीडिया में बयान देने वाले नेता कार्यसमिति की बैठक में चुप रहे। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली चुनावों में संभावित हार से पहले राहुल के सिर सेहरा बांधने की कोशिशें टल गई हैं। पार्टी महासचिव जर्नादन द्विवेदी ने साफ किया कि राहुल पर एक शब्द भी चर्चा नहीं हुई।

आरक्षण की तैयारी :

जनाधार पाने की कोशिश में कांग्रेस संगठन में आरक्षण लाने की तैयारी में है। जागरण ने इस बाबत 28 दिसबंर को ही खबर दे दी थी। पार्टी में जल्द ही अल्पसंख्यक वर्ग, ओबीसी, एससी, एसटी को पचास प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था होगी। पार्टी महासचिव जनार्दन द्विवेदी के मुताबिक इस बाबत अब कार्यकर्ताओं से भी पूछा जाएगा।

पार्टी संविधान में बदलाव की आहट :

कार्यसमिति की बैठक में पार्टी संविधान में बदलाव कर पदाधिकारियों के कार्यकाल को एक बार फिर पांच साल से घटाकर तीन साल करने की बात हुई। इस मुद्दे पर नेताओं की राय अलग होने के कारण फैसला नहीं हो सका।

सदस्यता पर भी अटकी बात :

भाजपा के आक्रामक सदस्यता अभियान के सामने खड़ी होने की कवायद कर रही कांग्रेस नए सदस्य बनाने को लेकर भी अनिर्णय में है। पारंपरिक ढंग से फॉर्म भरवाने के अलावा डिजिटल तरीकों से युवाओं तक पैठ बनाने को लेकर भी पार्टी एकमत नहीं है।

ऑनलाइन सदस्यता का मामला भी अगली चर्चा तक टल गया। युवा कांग्रेस, एनएसयूआइ, सेवा दल, महिला कांग्रेस की अलग सदस्यता हो या सम्मिलित सदस्य के रूप में उनकी क्षमता के हिसाब से जिम्मेदारी मिले इस पर भी बात हुई।

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