जल्द ही राहुल हो सकते हैं कांग्रेस के सर्वेसर्वा, ये होगी प्रियंका की भूमिका!
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इसी माह में औपचारिक रूप से पार्टी की कमान संभाल सकते हैं। प्रियंका को भी अहम भूमिका मिलने की उम्मीद है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी जल्द ही औपचारिक रूप से पार्टी की कमान संभाल सकते हैं। माना जा रहा है कि जून के अंत तक होने वाली कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में ही सोनिया गांधी राहुल को अध्यक्ष घोषित कर देंगी। वहीं, राहुल के नेतृत्व में वर्षो से चला आ रहा पार्टी का पूरा ढांचा भी बदल सकता है। कांग्रेस कोर ग्रुप के साथ-साथ अन्य सक्रिय पदों पर युवा चेहरे दिख सकते हैं। तो प्रियंका गांधी की भूमिका रायबरेली और अमेठी से इतर उत्तर प्रदेश के कुछ बड़े हिस्सों में दिख सकती है।
हाल में पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद एक बार फिर से कांग्रेस में बदलाव की जरूरत को लेकर तेज आवाज उठी थी। पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह सबसे ज्यादा मुखर रहे थे। सूत्रों की मानी जाए तो उस दिशा में काम शुरू हो गया है। सोनिया तो पहले ही जिम्मेदारी राहुल को सौंपना चाहती थीं। वैसे भी वह पिछले 18 वर्षों से कांग्रेस अध्यक्ष हैं। अब राहुल भी शायद नई जिम्मेदारी के लिए तैयार दिखने लगे हैं। बताते हैं कि इस बार यह लगभग तय है कि राहुल बतौर अध्यक्ष पार्टी की कमान संभाल लें।
जून में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक है। उसी में इसका औपचारिक फैसला होना है। गौरतलब है कि 2013 में जयपुर चिंतन शिविर में राहुल को महासचिव पद से उठाकर उपाध्यक्ष बनाया गया था। उसके एक साल के बाद से ही लगातार अध्यक्ष की गद्दी सौंपने की अटकल लगती रही थी। लेकिन राहुल ही अनिच्छुक बताए जा रहे थे।
बताते हैं कि यह बदलाव केवल शीर्ष स्तर पर नहीं दिखेगा बल्कि नीचे तक इसका असर होगा। पार्टी के एक बड़े नेता के अनुसार संवाद से जुड़े विभागों में तो वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी होगी लेकिन प्रभारी महासचिवों में बड़ा बदलाव दिखेगा। वहां ऐसे युवा चेहरे होंगे जो टेबल पर बैठक नहीं जमीन तक जाकर फैसला ले सकें। उनमें यह काबलियत होनी चाहिए कि वह ब्लाक और गांव तक जाएं और नीचे से आइ रिपोर्ट को खुद ही जांच सकें।
साफ है कि अब ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरपीएन सिंह, जतिन प्रसाद जैसे उन युवा नेताओं की फौज खड़ी होगी जिन्हें अनुभव भी है और जोश भी। कई युवा नेता कोर ग्रुप में भी शामिल हो सकते हैं। दरअसल राहुल नहीं चाहेंगे कि इस बदलाव के बाद भी पार्टी में कोई अंदरूनी लड़ाई दिखे। लिहाजा 'पूरी सर्जरी' होगी।
राजनीतिक रूप से भी नई जिम्मेदारी लेने के लिए यह सबसे उपयुक्त समय माना जा रहा है। फिलहाल किसी बड़े कांग्रेस शासित राज्यों में कोई चुनाव नहीं है। उत्तर प्रदेश में राहुल के रणनीतिकार प्रशांत किशोर कुछ कर पाने में सफल हुए तो वह राहुल के ही मेहनत का नतीजा माना जाएगा। पंजाब में अमरिंदर सिंह को चेहरा बनाए जाने के बाद स्थिति थोड़ी सुधरी ही है।
कर्नाटक को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस के पास सिर्फ छोटे राज्य हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अब अगले कुछ दिनों तक कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। बल्कि कुछ लाभ जरूर हो सकते हैं।