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यातनाओं के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र समझौते पर सुप्रीम कोर्ट तल्ख

उक्त समझौते को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 दिसंबर, 1984 को स्वीकार किया था और 20 देशों की मंजूरी के बाद यह 26 जून, 1987 से प्रभावी हो गया था।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Updated: Sun, 07 May 2017 07:31 PM (IST)
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यातनाओं के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र समझौते पर सुप्रीम कोर्ट तल्ख
नई दिल्ली, प्रेट्र। यातनाओं के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र समझौते पर 1987 में हस्ताक्षर करने के बावजूद भारत ने इस 30 साल पुराने समझौते को अभी तक अंगीकार नहीं किया है। भारत इस मामले में पाकिस्तान समेत 161 देशों से पीछे छूट गया है। भारत के अलावा सिर्फ आठ देश और हैं जिन्होंने इस समझौते पर अभी तक कानून नहीं बनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि वह इस संबंध में कानून बनाने के प्रति सच्ची प्रतिबद्धता व्यक्त करने से क्यों बच रही है?

प्रधान न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल की पीठ कांग्रेस नेता व पूर्व कानून मंत्री अश्वनी कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में उन्होंने इस मसले पर प्रभावी कानून बनाने के लिए निर्देश जारी किए जाने की मांग की है। ताकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसी एजेंसियों को अपने आदेश व निर्देश लागू करवाने के लिए जरूरी अधिकार और तंत्र से लैस किया जा सके।

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सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, 'हम समझ सकते हैं कि विधायी प्रक्रिया में समय लगता है, लेकिन आप (केंद्र सरकार) यह बताइए कि हमारे समक्ष कानून बनाने पर सच्ची प्रतिबद्धता व्यक्त क्यों नहीं कर सकते? यह राष्ट्रीय हित में बेहद महत्वपूर्ण मसला है और सबसे बड़ी बात कि इस पर कोई विरोध भी नहीं है।' केंद्र की ओर से पेश सॉलीसिटर जनरल रंजीत कुमार ने अदालत से इस आधार पर कुछ समय देने की मांग की कि नए सिरे से कानून बनाने की कोशिश करने से पूर्व इस बारे में कुछ राज्यों से मशविरा किया जाना है। उन्होंने इस तथ्य का भी हवाला दिया कि 2010 में तत्कालीन संप्रग-दो सरकार ने यातना पर एक विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था। अश्वनी कुमार भी उस प्रक्रिया का हिस्सा थे, लेकिन उक्त विधेयक रद हो गया था।

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बता दें कि उक्त समझौते को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 दिसंबर, 1984 को स्वीकार किया था और 20 देशों की मंजूरी के बाद यह 26 जून, 1987 से प्रभावी हो गया था। भारत ने 14 अक्टूबर, 1997 को इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।