Move to Jagran APP

SYL लिंक में हरियाणा सरकार की दलील, एक तरफा फैसला नहीं हो सकता

गुरुवार को जैसे ही मामला सुनवाई पर आया तो पीठ ने स्थिति का जायजा लेते हुए सालिसीटर जनरल से पूछा, सब कुछ ठीक है। इसपर उन्होंने कहा कि, मामला यथास्थिति कायम है।

By Atul GuptaEdited By: Updated: Fri, 01 Apr 2016 08:35 PM (IST)
Hero Image

नई दिल्ली । पड़ोसी राज्यों से जल बंटवारे के समझौते रद करने के पंजाब के कानून का विरोध करते हुए हरियाणा सरकार ने दलील दी कि कोई विधानसभा एकतरफा कानून पास कर दो राज्यों के बीच का विवाद नहीं निपटा सकती। देश का तय कानून इसकी इजाजत नहीं देता। हरियाणा ने ये दलीलें शुक्रवार को पंजाब के कानून पर राष्ट्रपति की ओर से सुप्रीमकोर्ट भेजे गये रिफरेंस पर बहस के दौरान दी। हरियाणा ने कहा कि बदली परिस्थितियों पर सिर्फ कोर्ट पुनर्विचार कर सकता है किसी राज्य की विधायिका नहीं।

पंजाब विधासभा ने 2004 में एकतरफा कानून पास कर पड़ोसी राज्यों के साथ के जल बंटवारा समझौते रद कर दिये थे। पंजाब के इस कानून पर राष्ट्रपति ने सुप्रीमकोर्ट में रिफरेंस भेजकर राय मांगी है। पांच न्यायाधीशों की संविधानपीठ आजकल इस पर सुनवाई कर रही है। इस बीच पंजाब ने हरियाणा को उसके हिस्से की जलापूर्ति के लिए बनाई जा रही सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) के लिए अधिग्रहित जमीन भूस्वामियों को वापस करने का नया कानून पारित कर दिया जिससे दोनों राज्यों के बीच जल विवाद एक बार फिर गरमा गया है। फिलहाल सुप्रीमकोर्ट के आदेश से एसवाईएल मामले में यथास्थिति कायम है।

शुक्रवार को हरियाणा ने अपना पक्ष रखते हुए सुप्रीमकोर्ट के दो पूर्व फैसलों का जिक्र किया। राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने संविधान में दिए गए कार्य विभाजन के सिद्धांत का जिक्र करते हुए कहा कि किसी विवाद में सुप्रीमकोर्ट का फैसला आने के बाद अगर परिस्थितियां बदलती हैं तो उस पर कोर्ट ही पुनर्विचार कर सकता है किसी राज्य की विधायिका नहीं। दीवान ने मुल्ला पैरियार बांध मामले में दिये गये सुप्रीमकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए ये दलील दी। कहा कि उस मामले में बांध की ऊंचाई बढ़ाने के सुप्रीमकोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए केरल ने कानून पास कर दिया था। कोर्ट ने केरल के कानून को खराब कानून बताते हुए रद कर दिया था। उस फैसले में कोर्ट ने कहा है कि कोई भी राज्य की विधायिका सुप्रीमकोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए कानून नहीं पास कर सकती। अगर परिस्थितियां बदली हैं तो उस पर कोर्ट ही पुनर्विचार कर सकता है विधायिका नहीं। तय कानून किसी राज्य की विधायिका को दो राज्यों के बीच का विवाद निपटाने की इजाजत नहीं देता। संविधान का अनुच्छेद 131 इस तरह के विवाद निपटाने की प्रक्रिया देता है। जिन मामलों में सुप्रीमकोर्ट निपटारा कर चुका है वहां किसी राज्य की विधायिका द्वारा एकतरफा कानून पारित करना न सिर्फ संविधान में दी गई शक्तियों के बंटवारे का उल्लंघन है बल्कि वो कानून गलत भी है। दीवान ने कावेरी विवाद मामले में दिये गए फैसले का भी हवाला दिया। हरियाणा की ओर से सोमवार को भी बहस जारी रहेगी।

मालूम हो कि सुप्रीमकोर्ट ने पंजाब को आदेश दिया था कि वह हरियाणा को उसके हिस्से का पानी देने के लिए एसवाईएल नहर का निर्माण कराए। आदेश के बावजूद जब पंजाब ने अपने हिस्से की नहर नहीं बनवाई तो केंद्र को निर्माण का आदेश दिया गया। हालांकि आज तक नहर का निर्माण पूरा नहीं हुआ लेकिन इस बीच पंजाब ने एक तरफा कानून पास कर पड़ोसी राज्यों के साथ जल बंटवारे के सारे समझौते रद कर दिये।

पढ़ें- 21 दिन बीते, नहीं बन पाया सतलुज पुल का 25 फीट स्लैब