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रेल बजट पेश होगा ! प्रभु ने सांसदों से मांगे सुझाव

प्रभु ने सांसदों से कहा है कि वे सांसदों से व्यक्तिगत तौर पर मिलना चाहते हैं। लेकिन हो सकता है किसी कारणवश ऐसा संभव न हो सके।

By Atul GuptaEdited By: Updated: Sun, 04 Sep 2016 08:46 PM (IST)
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नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने सभी सांसदों को चिट्ठी लिखकर रेलवे के दीर्घकालिक विकास के बारे में उनके विचार और सुझाव मांगे हैं। प्रभु ने सांसदों को उनकी समस्याओं के समाधान का भरोसा देने के साथ रेलवे अफसरों के नाम, पते और नंबर भी दिए हैं। जन प्रतिनिधियों से मुखातिब होने का केंद्र सरकार के किसी मंत्री यह अपनी तरह का अनूठा प्रयास है।

जनता और जन प्रतिनिधियों से सीधे संपर्क स्थापित करने और उन्हें सरकार की योजनाओं से अवगत कराने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मूलमंत्र और किसी पर चढ़ा हो या नहीं, लेकिन रेल मंत्री सुरेश प्रभु इसे जरूर अमल में ला रहे हैं।

उन्होंने जिस तरह सभी सांसदों को पत्र लिखकर रेलवे के बारे में सुझाव मांगे हैं और समस्याओं के समाधान का भरोसा भी दिया है, उससे उनके अलग अंदाज की स्पष्ट झलक मिलती है। इससे इस बात का संकेत भी मिलता है कि अगला रेल बजट पेश हो सकता है। रेल बजट से रेल मंत्री के सांसदों से मिलने और सुझाव लेने की परंपरा रही है। पिछले साल इस परंपरा को तोड़कर प्रभु ने सांसदों को नाराज कर दिया था। लिहाजा इस बार उन्होंने सावधानी बरतते हुए पहले ही सांसदों को चिट्ठी लिखकर माफी मांग ली है।

प्रभु ने सांसदों से कहा है कि वे सांसदों से व्यक्तिगत तौर पर मिलना चाहते हैं। लेकिन हो सकता है किसी कारणवश ऐसा संभव न हो सके। इसलिए उन सभी रेलवे अफसरों के नाम, पते, फोन नंबर और ईमेल आइडी दे रहे हैं, जिनसे संपर्क कर सांसद अपने राज्य या संसदीय क्षेत्र की रेलवे संबंधी समस्याओं का निदान कर सकते हैं। इस विषय में रेलवे अफसरों को पहले ही निर्देश दिए जा चुके हैं। यह चिट्ठी 30 अगस्त को लिखी गई थी और सांसदों को प्राप्त होने वाली होगी।

प्रभु की यह चिट्ठी इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगला रेल बजट पेश होने को लेकर संदेह जताए जा रहे हैं। विवेक देबराय की सिफारिश और प्रभु के अनुरोध पर वित्त मंत्रालय अगले रेल बजट को आम बजट में शामिल करने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहा है। इस संबंध में रेलवे और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की पांच सदस्यीय समिति की सिफारिशें शीघ्र ही आने वाली है। इस रिपोर्ट को पिछले शुक्रवार को ही आना था। लेकिन माना जाता है कि वित्त मंत्रालय के अफसरों ने और समय मांगा है।

बहरहाल, समिति चाहे जो रिपोर्ट दे, फिलहाल रेल बजट का आम बजट में पूर्ण विलय मुश्किल है। इसे लेकर रेलवे ही नहीं, वित्त मंत्रालय के अफसर भी मुतमईन हैं। इनका कहना है विलय के बाद भी भले ही रेलमंत्री को संसद में भाषण देने का मौका न मिले। लेकिन रेलवे की उपलब्धियों का लेखा-जोखा और आगे की योजना तो उन्हें पेश करनी ही होगी। इसलिए विलय महज खानापूर्ति है।

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