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सेटेलाइट से बालू माफियाओं पर कसी जाएगी नकेल : प्रकाश जावडेकर

बिहार-झारखंड समेत सभी राज्यों में बालू के अवैध उत्खनन पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार नई पॉलिसी लाने वाली है। अब सेटेलाइट के जरिए नदियों की निगरानी की जाएगी।

By Lalit RaiEdited By: Updated: Sat, 05 Mar 2016 01:41 AM (IST)
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अरविंद शर्मा, नई दिल्ली । बिहार-झारखंड समेत सभी राज्यों में बालू के अवैध उत्खनन पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार नई पॉलिसी लाने वाली है। अब सेटेलाइट के जरिए नदियों की निगरानी की जाएगी। केंद्र सरकार के पास सभी नदियों का नक्शा होगा, जिसके जरिए यह पता लगाना आसान होगा कि किस नदी घाट में बालू का कितना जमाव है। उसी के मुताबिक बालू उत्खनन की अनुमति भी मिलेगी।

केंद्र सरकार की नई पॉलिसी के बाद बालू घाटों के ठेकेदारों एवं अवैध उत्खनन करने वालों के हाथ बंध सकते हैं, क्योंकि बालू घाटों की मैपिंग और सेटेलाइट से पहरेदारी के जरिए उनकी सीमा व्यावहारिक रूप से भी निर्धारित हो जाएगी। अभी राज्यस्तरीय इन्वायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी से 50 हेक्टेयर से कम रकबे के बालू घाटों की अनुमति लेने के बाद ठेकेदार इससे अधिक के रकबे में उत्खनन कर लेते हैं। घाटों के माप के लिए उचित तकनीक नहीं होने के कारण तय सीमा से ज्यादा पर अवैध खनन होने लगता है, जिसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ता है।

बिहार में असर

बालू घाटों की सेटेलाइट से निगरानी का सर्वाधिक असर बिहार पर पड़ेगा। पहले से ही बालू संकट से जूझ रहे सूबे को राहत देने के मकसद से राज्य सरकार ने शुक्रवार को छोटे स्तर के 41 बालू घाटों में खनन की अनुमति दे दी है। 50 हेक्टेयर से कम के खनन पट्टे को राज्यस्तरीय इन्वॉयरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी जारी कर सकती है। इसके दुरुपयोग का खतरा बना रहता है, क्योंकि अनुमति मिलने के बाद ठेकेदार अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर भी उत्खनन शुरू कर देते हैं। नई पॉलिसी से इनकी मनमानी पर रोक लगाना आसान होगा।

क्या है मामला

पर्यावरण सुरक्षा कानून के उल्लंघन के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की कोलकाता पीठ ने 19 जनवरी को बिहार की नदियों में बालू खनन, भंडारण एवं परिवहन पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इसके बाद राज्य की निर्माण योजनाओं का काम प्रभावित हो गया। सियासत भी जारी है। राज्य के खान एवं भूतत्व मंत्री मुनेश्वर चौधरी पहले ही आरोप लगाते रहे हैं कि ठेकेदारों ने पर्यावरण स्वच्छता प्रमाणपत्र के लिए केंद्र को आवेदन दे रखा है, लेकिन अनुमति नहीं मिल रही है। चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात भी कही है।

क्या है नियम

बिहार माइनर मिनरल कंसेप्शन (संशोधन) 2014 की धारा-21ए में प्रावधान किया गया है कि बिना स्वच्छता प्रमाणपत्र के उत्खनन कार्य नहीं होगा। सड़क पुल, रेल पुल, नेशनल और स्टेट हाईवे के आसपास तीन सौ मीटर तक बालू खनन की अनुमति नहीं दी जाएगी। सार्वजनिक स्थलों और धार्मिक स्थानों के करीब भी खनन प्रतिबंधित रहेगा।

सेटेलाइट से होगी बालू माफिया की निगरानी कोट

पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि सरकार बालू उत्खनन पर नई नीति लाने जा रही है। सेटेलाइट के जरिए नदी घाटों की निगरानी होगी। नक्शा देखकर बालू खनन की अनुमति दी जाएगी। किस नदी में बालू का कितना जमाव है, सबका हिसाब होगा। अगले महीने इसी मुद्दे पर दिल्ली में सभी राज्यों के वन पर्यावरण एवं संबंधित विभागों के प्रमुख अधिकारियों की बैठक होने वाली है।