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चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक में सुषमा उठाएंगी मसूद का मुद्दा

पठानकोट हमले के मुख्य साजिशकर्ता मौलाना मसूद अजहर के मुद्दे पर भले ही अभी चीन ने पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाया हो

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Updated: Thu, 07 Apr 2016 09:28 PM (IST)
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नई दिल्ली: पठानकोट हमले के मुख्य साजिशकर्ता मौलाना मसूद अजहर के मुद्दे पर भले ही अभी चीन ने पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाया हो लेकिन भारत अपने कूटनीतिक विकल्पों को आजमाने में अभी भी लगा है।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस महीने जब चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मिलेंगी तो मसूद पर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंध लगाने के भारतीय प्रस्ताव पर विस्तार से बात होगी। भारत को अभी भी भरोसा है कि चीन आतंकवाद पर दोहरा रुख अपनाने से बाज आएगा और मसूद पर लगाम लगाने की कोशिशों को सफल होने देगा। भारत मसूद मुद्दे पर चीन का समर्थन हासिल करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहा है।

स्वराज 18 अप्रैल को मॉस्को पहुंचेगी जहां वह भारत, रूस और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगी। इसमें तीनों देश बदलते वैश्विक परिवेश में अपने हितों की रक्षा के लिए बेहतर तालमेल बनाने के विकल्पों पर चर्चा करेंगे।

स्वराज रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय रिश्तों पर अलग से मुलाकात करेंगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि जो दोनों देशों के विदेश मंत्री मिलेंगे तो द्विपक्षीय रिश्तों के हर मुद्दे पर बात होगी।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत का स्पष्ट मत है कि चीन आतंकवाद पर दोहरा रुख अख्तियार नहीं कर सकता। खास तौर पर चीन को यह बात तो बहुत ही अच्छी तरह से पता है क्योंकि वह स्वयं ही आतंकवाद के फैलाव पर चिंता जता चुका है। भारत इस बारे में चीन से लगातार संपर्क में है।

चीन को लेकर भारत की आगे की क्या नीति है, यह पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'उच्च कूटनीतिक स्तर पर भारत अपना पक्ष रख रहा है और इसके क्या परिणाम सामने आते हैं उसके बाद ही आगे की रणनीति पर विचार होगा।'

सनद रहे कि मसूद पर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंध लगाने के भारत के प्रस्ताव पर चीन के विरोध की वजह से असफल होने के बाद भारत लगातार अपनी नाराजगी जता रहा है। भारत चीन की कंपनियों पर सुरक्षा संबंधी कड़े मानक लागू करने के विकल्प पर भी विचार कर रहा है।

पिछले वर्ष जुलाई में भी पाकिस्तान में रह रहे आतंकी और मुंबई हमले के मुख्य गुनाहगार जकी उर रहमान लखवी पर भी भारत के प्रस्ताव का चीन ने समर्थन नहीं किया था। साफ है कि भारत के हितों के खिलाफ ये कदम चीन अपने मित्र देश पाकिस्तान के लिए उठा रहा है।

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