स्वामी सानंद जबरन बीएचयू ले जाए गए
अविरल-निर्मल गंगा के लिए मंडलीय अस्पताल में तपस्यारत स्वामी सानंद को जिला प्रशासन ने रविवार को बीएचयू अस्पताल के आईसीयू कक्ष में भर्ती करा दिया। उनकी इच्छा के खिलाफ पुन: ड्रिप लगा कर उपचार शुरू कर दिया गया।
By Edited By: Updated: Sun, 18 Mar 2012 11:09 PM (IST)
वाराणसी [जागरण संवाददाता]। अविरल-निर्मल गंगा के लिए मंडलीय अस्पताल में तपस्यारत स्वामी सानंद को जिला प्रशासन ने रविवार को बीएचयू अस्पताल के आईसीयू कक्ष में भर्ती करा दिया। उनकी इच्छा के खिलाफ पुन: ड्रिप लगा कर उपचार शुरू कर दिया गया।
स्वामी सानंद बोलते रहे-'मुझे परेशान न किया जाए। मुझे कहीं नहीं जाना, कृपया मेरी तपस्या में व्यवधान न डाला जाए। मैंने घोषणा कर रखी है कि कुछ नहीं खाऊंगा। ड्रिप भी नहीं लगाऊंगा। मैं घोषणा पर अब तक अडिग हूं और आगे भी अडिग रहूंगा। फिर मुझे क्यों परेशान किया जा रहा है। आप लोग मुझे तंग न करें, छोड़ दें' ..लेकिन जिला प्रशासन ने उनकी एक न सुनी। अब लोगों के मिलने-जुलने पर भी रोक लगा दी गई है। मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डीबी सिंह ने बताया कि पूर्वाह्न में स्वामीजी के स्वास्थ्य की जांच की गई तो सामान्य से काफी निम्नतम स्तर पर पाया गया। रक्तचाप 174/77, पल्स 81 और वजन घट कर 47.5 किलो पहुंच गया है। सीने में भी कुछ दिक्कतें पाई गई, लिहाजा तत्काल गहन चिकित्सा की जरूरत महसूस की जाने लगी। ऐसे में स्वामी जी की प्राण रक्षा का एकमात्र विकल्प बीएचयू के गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती किया जाना था। इसकी जानकारी तत्काल जिला प्रशासन को दे दी गई। बिगड़ती दशा की सूचना पर एसीएम भानुप्रताप यादव और सीओ कोतवाली दिनेश कुमार सिंह अस्पताल पहुंचे और समर्थकों के विरोध की परवाह न करते हुए उनको पुलिस घेरे में बीएचयू में भर्ती करा दिया। बीएचयू में उनका इलाज कर रहे हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास अग्रवाल के अनुसार साइलेंट हार्टअटैक के लक्षण को देखते हुए स्वामी जी को यहां गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती किया गया है। इस समय उनकी हालत फिलहाल स्थिर है।
वाह रे हिंदू समाज.. 'वाह-रे हिंदू समाज' ..वेदना से कराहते ये कारुणिक शब्द स्वामी सानंद के मुख से उस समय निकल पड़े, जब उन्हें प्रशासन द्वारा अस्पताल से उठाकर बीएचयू ले जाया जाने की जानकारी मिली। इसी दौरान कक्ष से बाहर खड़े गिने-चुने गंगा समर्थकों का पुलिस के समक्ष स्वामी जी को अस्पताल से ले जाने के विरोध का स्वर भी उनके कानों तक जा पहुंचा। वह बिस्तर से उठ कर बाहर आ गए। चंद लोगों को सामने देखा, सबको हाथ जोड़े, बोले 'वाह-रे हिंदू समाज, एक सन्यासी की यह गति। गंगा की चिंता किसी को नहीं, पुलिस के सामने बल दिखाने के बजाए जयंती नटराजन पर दबाव क्यों नहीं बना पा रहे।' इतना बोला ही था कि उनकी आंखें नम हो गई। बात तो बहुत कमजोर आवाज में कही गई थी, लेकिन उसकी धमक बहुत देर तक कानों में गूंजती रही।
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