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जलियांवाला बाग: शहीदों का आंगन बेहाल, डायर के घर का खयाल

जलियांवाला बाग कांड को आज 97 साल हो गए हैं, लेकिन अमृतसर का शहीदी स्थल आज भी विकास को तरस रहा है, वहीं नरंसहार को अंजाम देने वाले जनरल डायर का किला संवारा जा चुका है।

By kishor joshiEdited By: Updated: Wed, 13 Apr 2016 12:38 PM (IST)
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धीरज कुमार झा, अमृतसर। 13 अप्रैल, 1919 में बैसाखी के दिन हुए जलियांवाला बाग कांड को 97 साल हो गए, लेकिन अफसोस हजारों शहीदों के खून से लाल शहीदी स्थल आज भी विकास को तरस रहा है। शहीदी स्थल में गोलियों के निशान वाली इमारतें जर्जर हो चुकी हैं और कभी भी जमींदोज हो सकती हैं। इन्हें संवारने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। इसके विपरीत नरसंहार को अंजाम देने वाले अंग्रेज अफसर जनरल डायर का किला गोबिंदगढ़ स्थित बंगला संवारा जा चुका है।

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राष्ट्रीय स्मारक जलियांवाला बाग उपेक्षा का शिकार हो रहा है। जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट की इमारत में एक सरकारी बैंक किराये पर चल रहा है। इसके अलावा ट्रस्ट ने करीब 20 लाख रुपये राशि फिक्स डिपाजिट (एफडी) करवा रखी है। इससे सालाना पांच से छह लाख की आमदनी हो जाती है। इससे ही स्मारक का रखरखाव हो रहा है।

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इसी राशि से करीब डेढ़ दर्जन स्टाफ (माली, चौकीदार, स्वीपर आदि) को वेतन दिया जा रहा है। धार्मिक स्थलों को सरकार बिजली रियायत पर दे रही है, लेकिन शहीदी आंगन को कोई राहत नहीं। फंड के अभाव के कारण ही जलियांवाला बाग में डेढ़ साल से लाइट एंड साउंड शो बंद पड़े हैं। ऑडियो-वीडियो हाल में ताले लटक रहे हैं। 20 से 30 मिनट के इस शो में बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बचन ने अपनी आवाज देकर जलियांवाला बाग कांड की पीड़ा को बयां किया है।

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दूसरी तरफ किला गोबिंदगढ़ में जनरल डायर का बंगला संवार दिया गया है। इसे संवारने वाली कंपनी को ही जलियांवाला बाग की जर्जर इमारत संवारने की भी डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) सबमिट की गई है। शहीदी कुआं के सामने गोलियों के निशान वाली इमारत भी खाली करवा ली गई है। यहां लाइब्रेरी बनाने की योजना थी, परंतु अभी तक शहीदी स्थल की डीपीआर ही धूल फांक रही है।

मनमोहन व जेटली के वादे नहीं हुए पूरे

राष्ट्रीय स्मारक जलियांवाला बाग की काफी अहमियत है, इसलिए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से लेकर मौजूदा केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वादे तो किए लेकिन पूरे नहीं किए। मनमोहन सिंह ने राष्ट्रीय स्मारक की देखभाल के लिए सालाना 50 लाख देने का वादा किया तो जेटली ने बजट में शहीदी स्थल के लिए फंड के प्रावधान का जिक्र किया।