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मोक्ष को भी अब 'बारी' का इंतजार

इसे विडंबना ही कहेंगे कि केदारनाथ त्रसदी का शिकार हुए लोगों के शवों को चिता के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है, ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो सके। वहीं, सेना के इस क्षेत्र से वापस आ जाने के कारण अब स्थानीय पुलिस प्रशासन ही इस प्रक्रिया को पूरी करेगा। केदारनाथ आपदा में जीवित बचे लोग पांच दिनों तक दुख

By Edited By: Updated: Sat, 29 Jun 2013 08:17 AM (IST)

रुद्रप्रयाग [अजय खंतवाल]। इसे विडंबना ही कहेंगे कि केदारनाथ त्रासदी का शिकार हुए लोगों के शवों को चिता के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है, ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो सके। वहीं, सेना के इस क्षेत्र से वापस आ जाने के कारण अब स्थानीय पुलिस प्रशासन ही इस प्रक्रिया को पूरी करेगा।

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केदारनाथ आपदा में जीवित बचे लोग पांच दिनों तक दुख दर्द सह कर बच निकले और जो मर गए उन्हें अभी तक मोक्ष की प्राप्ति नहीं हुई है। पिछले दिनों 26 जून को मात्र 18 शवों का तथा 27 जून को 15 शवों का ही दाह संस्कार हुआ। प्रशासन पूर्व में तीन सौ से अधिक शव बरामद करने की पुष्टि कर चुका है। जबकि अभी अन्य शवों की खोज की जानी है।

गौरीकुंड व रामबाड़ा में तो अभी तक शव एकत्रित ही नहीं हो पाए हैं। वहीं, सेना के लौटने के बाद अब दाह संस्कार का कार्य स्थानीय पुलिस प्रशासन के ही जिम्मे है। केदारनाथ के विकट मौसम व भौगोलिक दृष्टिगत यहां लकड़ी की व्यवस्था भी एक गंभीर चुनौती है। पूर्व में भारतीय वायु सेना के हेलीकाप्टरों की मदद से लकड़ी पहुंचाई गई थी। ऐसे में प्रशासन को लकड़ी जुटाना काफी मुश्किल हो रहा है।

एक शव के लिए कम से कम पांच कुंतल लकड़ी की आवश्यकता है, जिससे तीन सौ से अधिक शवों के लिए 1500 कुंतल लकड़ी की आवश्यकता होगी। प्रशासन के पास मौजूद हेलीकाप्टरों की बात करें तो इनमें मात्र एक समय में दो कुंतल लकड़ी ही गिराई जा सकती है। केदारनाथ रेस्क्यू के नोडल अधिकारी रविनाथ रामन का कहना है कि प्रशासन प्रयास कर रहा है कि शीघ्र अधिक से अधिक शवों का दाह संस्कार हो सके।

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