विस्थापित परिवारों का मुआवजा डकार गए आठ लोग
सांप्रदायिक हिंसा में बेघर हुए विस्थापित परिवारों को आशियाना देने की सपा सरकार की पुनर्वास योजना में फर्जीवाड़ा हुआ है। पात्र परिवारों के बजाय कई अपात्र लोगों ने पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा डकार लिया है। जिला प्रशासन ने फर्जीवाड़ा करने वाले आठ लोगों को चिह्नित कर गोपनीय तौर पर जांच शुरू कर दी है
शामली [अनुज सैनी]। सांप्रदायिक हिंसा में बेघर हुए विस्थापित परिवारों को आशियाना देने की सपा सरकार की पुनर्वास योजना में फर्जीवाड़ा हुआ है। पात्र परिवारों के बजाय कई अपात्र लोगों ने पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा डकार लिया है। जिला प्रशासन ने फर्जीवाड़ा करने वाले आठ लोगों को चिह्नित कर गोपनीय तौर पर जांच शुरू कर दी है। जांच के बाद एक व्यक्ति को रिकवरी नोटिस जारी किया गया है।
पुनर्वास योजना के तहत शामली जिले के दंगा प्रभावित गांव लांक, लिसाढ़ व बहावड़ी के विस्थापितों को पांच-पांच लाख रुपये की मुआवजा राशि उपलब्ध कराई गई है। शामली जिले में सैकड़ों विस्थापित परिवारों को मुआवजा राशि बैंक खातों के माध्यम से उपलब्ध कराई गई। पुनर्वास योजना शुरू होते ही इसमें फर्जी तरीके से लाभ लेने वालों की शिकायतें शुरू हो गईं।
गांव लांक के मकसूद ने पांच लाख रुपये का मुआवजा प्राप्त किया है। एसडीएम आरएन शर्मा को शिकायत मिली तो उन्होंने प्रकरण की गंभीरता से जांच कराई। जांच के दौरान पाया गया कि मकसूद 2013 से काफी पहले से गांव छोड़कर शामली के मोहल्ला गुलशननगर में पक्का मकान बनाकर रह रहा है। गलत जानकारी देकर मुआवजा लेने की बात पक्की होने पर बैंक को पत्र लिखकर उसके खाते से धनराशि की निकासी रुकवाई गई लेकिन तब तक मकसूद धन निकाल चुका था। अब उससे धन वसूली के लिए रिकवरी जारी की गई है।
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