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क्या है मंत्रिमंडल विस्तार के पीछे मोदी का सियासी गणित?

मोदी ने अपने मंत्रिमंडल को दो हिस्सों में बांट रखा है। पहले समूह में ऐसे लोग हैं, जिनके कामकाज पर मोदी को भरोसा है।

By manoj yadavEdited By: Updated: Mon, 10 Nov 2014 04:04 PM (IST)
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नई दिल्ली। पांच माह पुरानी नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने मंत्रिमंडल में बदलाव किया है। नए चेहरों को शामिल करने के साथ ही कुछ मंत्रियों के कामकाज में फेरबदल भी किया गया है। ताजा स्थिति में मोदी की टीम में 26 कैबिनेट मंत्री और 29 राज्यमंत्री हैं। इनमें से 13 के पास स्वतंत्र प्रभार है।

राजनीति के जानकारों के मुताबिक, मोदी ने अपने मंत्रिमंडल को दो हिस्सों में बांट रखा है। पहले समूह में ऐसे लोग हैं, जिनके कामकाज पर मोदी को भरोसा है। इन्हीं को मोदी ने महत्वपूर्ण मंत्रालय सौंप रखे हैं। मंत्रियों के दूसरे समूह के जरिए क्षेत्रिय राजनीति को साधने की कोशिश की गई है। इसमें सहयोगी दलों के साथ ही जातिगत समीकरणों का भी ख्याल रखा गया है।

दूसरी श्रेणी वाले मंत्रियों को लाल बत्ती वाली कार, चैंबर, बंगला, पर्सनल स्टाफ और लेटरहेड दिए गए हैं, लेकिन उनके पास करने को प्रभावी काम नहीं है।

इन फैसलों ने चौंकाया

सदानंद गौड़ा : गौड़ा से रेलमंत्रालय वापस लिया गया है, क्योंकि मोदी चाहते थे कि रेलवे पर चौतरफा काम हो और गौड़ा ऐसा नहीं कर पा रहे थे। मोदी ने जिस सिस्टम रिफॉर्म की उम्मीद की थी, गौड़ा वैसा नहीं कर पाए।

अरुण जेटली : जेटली को रक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त प्रभार से तो मुक्ति मिल गई, लेकिन मोदी ने सूचना तथा प्रसारण की जिम्मेदारी भी सौंप दी। यानी अब मोदी सरकार की उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार जेटली के निर्देशों पर होगा। अब तक यह जिम्मेदारी प्रकाश जावड़ेकर के पास थी।

डॉ. हर्षवर्धन : इनसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय वापस ले लिया गया है। माना जा रहा है कि हर्षवर्धन अब दिल्ली विधानसभा चुनावों की कमान संभालेंगे। उनके कामकाज से मोदी को कोई शिकायत नहीं थी। बहरहाल, जेपी नड्डा इस मंत्रालय के नए प्रमुख हैं।

चौधरी वीरेंद्र सिंह : हरियाणा के जाट नेता चौधरी वीरेंद्र सिंह को ग्रामीण विकास मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह काम अब तक अतिरिक्त रूप से केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के पास था। सिंह को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने का इनाम मिला है।