इन तीन वजहों से सिद्धू ने भाजपा से तोड़ा बारह वर्ष पुराना नाता
नवजोत सिंह सिद्धूू के भाजपा से बारह वर्ष पुराने नाते को तोड़ने के पीछे तीन ऐसी वजहें थीं जिसके चलते वह इस फैसले को लेने पर मजबूर हुए। जानेंं उनके बारे में।
नई दिल्ली (जेएनएन)। क्रिकेटर से राजनीति की राह पकड़ने वाले नवजोत सिंह सिद्धू के भाजपा से इस्तीफा देने के बाद अब उनके आम आदमी पार्टी (आप) में जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि अभी इसकी तस्वीर पूरी तरह से साफ नहीं हुई है। आप के अंदर सिद्धू को अपने पाले में करने पर भी अभी आम राय बनती नहीं दिखाई दे रही है। बहरहाल सिद्धू ने भाजपा से अपने रिश्तों को विराम देने को लेकर भी अभी कुछ खास नहीं कहा है। लेकिन यह बात जगजाहिर है कि वह काफी समय से पार्टी से नाराज चल रहे थे। इसी वजह से उन्होंने बारह वर्ष पुराना नाता पार्टी से तोड़ लिया।
पार्टी में लगातार उपेक्षित रहने की नाराजगी
सिद्धू पिछले काफी समय से पार्टी में लगातार नजरअंदाज किए जा रहे थे। लोकसभा चुुनाव में पंजाब से उम्मी द्वारों का नाम तय करने से पहले उनसे कोई राय नहीं ली गई। इस बात को लेकर वह खासा नाराज थे और उन्हों ने कुछ सार्वजनिक जगहों पर इस बात को कबूल भी किया था। खुद उनकी पत्नी ने भी इस बात को माना था कि पार्टी में उन्हेंय साइडलाइन करने के लिए काम किया जा रहा है। कुछ लोग उनके बढ़ते कद से काफी खफा भी थे और डरे हुए भी थे। इसके चलते उन्होंने पिछला लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ा था। हालांकि इस नाराजगी के बाद भी वह पार्टी से जुड़े रहे।
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मोदी कैबिनेट में जगह न मिलने की नाराजगी
अमृतसर से उनकी जगह भाजपा ने अरुण जेटली को कांग्रेस के कैप्टभन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मैदान में उतारा था, जिसमें जेटली को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद भी भाजपा ने जहां जेटली को केंद्र में बड़ी जिम्मेकदारी दी वहीं सिद्धू को उपेक्षित ही रखा। इतना ही नहीं केंद्र में शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर को मोदी कैबिनेट में जगह दे दी गई। हालही में कैबिनेट में हुए बदलाव के समय भी सिद्धू को मोदी कैबिनेट में जगह नहीं दी गई।
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पंजाब में भाजपा की मजबूरी से नाराजगी
पंजाब की मौजूदा सरकार के कामकाज को लेकर भी वह खास नारज थे। पंजाब में नशे के बढ़ते कारोबार और नशे की ओर जाते युवाओं को लेकर भी वह नारज थे। इसके बाद भी राज्य सरकार द्वारा इस ओर कोई कदम न उठाने और गठबंधन सरकार में शामिल होने के बाद भी सरकार पर नकेल न कसने से भी वह नाराज थे। इतना ही नहीं पंजाब के लोगों में सरकार को लेकर पनपता रोष भी आप में शामिल होने की एक बड़ी वजह रहा है। भाजपा की सरकार में बने रहने की मजबूरी ने उनकी इस नाराजगी को बढ़ाने का काम किया है।
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