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रेल किराया वृद्धि से आम लोगों पर ये असर भी पड़ेगा..

रेल किराया बढ़ने से आम लोगों पर दोहरी मार पड़ने वाली है। पहले तो उसे यात्रा के लिए ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी और दूसरा उन्हें आगे महंगाई से भी दो-चार होना पड़ेगा। यात्री किराए में 14.2 फीसद की बढ़ोतरी सीधा आम लोगों पर असर डालेगा, जबकि मालभाड़ा 6.4 फीसद बढ़ने से आने वाले दिनों में सीमेंट, खाद,

By Edited By: Updated: Sat, 21 Jun 2014 01:26 PM (IST)
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नई दिल्ली। रेल किराया बढ़ने से आम लोगों पर दोहरी मार पड़ने वाली है। पहले तो उसे यात्रा के लिए ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी ही और दूसरा उसे आगे महंगाई से भी दो-चार होना पड़ेगा।

यात्री किराए में 14.2 फीसद की बढ़ोतरी सीधा आम लोगों पर असर डालेगा, जबकि मालभाड़ा 6.5 फीसद बढ़ने से आने वाले दिनों में सीमेंट, खाद, इस्पात, पेट्रोल, डीजल, घर बनाने का सामान, दाल, तेल, रसोई गैस के साथ-साथ दैनिक उपभोग की तमाम वस्तुओं के दाम बढ़ जाएंगे।

आम आदमी की जरूरत की काफी चीजें रेलवे के जरिए ही देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक पहुंचाई जाती है। ऐसे में कंपनियां रेलवे को ज्यादा किराया देंगी तो इसे सीधे तौर पर जनता से ही वसूला जाएगा।

आने वाले दिनों में न सिर्फ सीमेंट, इस्पात बल्कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में भी इजाफा हो सकता है। सीमेंट और स्टील सहित तमाम औद्योगिक उत्पादों की ढुलाई बढ़ने से घर बनाने से लेकर टीवी, फ्रिज तक महंगे हो सकते हैं।

इस्पात कंपनियों के अनुसार मालभाड़ा बढ़ने से घरेलू बाजार में इस्पात की कीमतें 5 से 8 फीसद यानी करीब 600 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ने की आशंका है। मालभाड़ा बढ़ना इस्पात उद्योग के लिए दोहरी मार की तरह होता है, क्योंकि कोयले के साथ ही उसे कच्चा माल या आयरन ओर की ढुलाई पर ज्यादा खर्च करना पड़ता है। ऐसे में इस्पात से बनने वाले सभी उपकरणों का महंगा होना तय है।

इसके साथ ही सीमेंट कंपनियों पर भी दोहरी मार झेलनी होगी। रेल भाड़े में इस वृद्धि से सीमेंट की 50 किलो वाली बोरी सात से 10 रुपये तक महंगी हो सकती है। सीमेंट कंपनियों ने भी कहा है कि उनकी लागत बढ़ेगी। जाहिर है स्टील और सीमेंट की खुदरा कीमत बढ़ने से आम आदमी के लिए घर बनाना महंगा हो जाएगा। यही नहीं कोयले की ढुलाई का बोझ बिजली कंपनियों को भी उठाना पड़ेगा और वह इसे उपभोक्ताओं से वसूलेगी।

पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों पर भी रेल भाड़े में वृद्धि का असर दिखाई देगा। सरकारी तेल कंपनियां लगभग 33 फीसदी डीजल, रसोई गैस और केरोसिन की ढुलाई रेलवे से ही करती हैं। अब उन्हें भी ज्यादा रेल भाड़ा देना होगा। इससे उन पर 500 करोड़ से ज्यादा का बोझ पड़ेगा। मुमकिन है कि ये बोझ भी आम जनता से ही वसूला जाए।

मालभाड़े में वृद्धि आने वाले दिनों में किसानों के लिए भी महंगी साबित हो सकती है, क्योंकि देश में खाद की ढुलाई बड़े पैमाने पर रेलवे से की जाती है और ऐसे में खाद की ढुलाई का खर्च भी बढ़ जाएगा। खाद पर सरकार का सब्सिडी बिल बढ़ने पर इसका बोझ किसानों पर डालने का कदम उठाया जा सकता है। अगर सरकार ने सब्सिडी दी तो उसे 200 करोड़ रुपये प्रति वर्ष अतिरिक्त देने होंगे।

कुल मिलाकर मालभाड़े का बढ़ना आम लोगों के लिए हर तरफ से मुसीबत भरा है। रेलवे बड़े पैमाने पर मोटे अनाज, दाल और खाद्य तेल की ढुलाई भी करती है। इसका बोझ भी देर-सबेर आम लोगों को उठाना पड़ेगा।

पढ़ें : रेल किराए में 14.2 फीसद की वृद्धि, माल भाड़ा 6.5 फीसद बढ़ा