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एक ट्रेन ऐसी जो करती है मुसाफिरों का इंतजार!

हो सकता है आपकी भी कभी ट्रेन छूटी हो। ट्रेन पकड़ने में हमेशा दिमाग में यही टेंशन रहती है कि कहीं ट्रेन छूट न जाए। मगर एक ट्रेन ऐसी भी है जो अपने मुसाफिर को कभी नहीं छोड़ती। इस ट्रेन का नाम है समझौता एक्सप्रेस। यह ट्रेन भारत-पाकिस्तान के बीच दोस्ती की पटरी पर चल रही है। देश में सुरक्षा के लि

By Edited By: Updated: Sun, 02 Feb 2014 08:40 AM (IST)

[रमेश शुक्ला 'सफर'], अमृतसर। हो सकता है आपकी भी कभी ट्रेन छूटी हो। ट्रेन पकड़ने में हमेशा दिमाग में यही टेंशन रहती है कि कहीं ट्रेन छूट न जाए। मगर एक ट्रेन ऐसी भी है जो अपने मुसाफिर को कभी नहीं छोड़ती। इस ट्रेन का नाम है समझौता एक्सप्रेस। यह ट्रेन भारत-पाकिस्तान के बीच दोस्ती की पटरी पर चल रही है।

देश में सुरक्षा के लिहाज से सबसे वीवीआइपी ट्रेन यही है। ट्रेन के कुल 13 डिब्बों में एक एसी है तो 10 स्लीपर। दो डिब्बे गार्ड के हैं। यह ट्रेन पुरानी दिल्ली से रविवार व बुधवार 23 .05 बजे चलकर अगली सुबह अटारी रेलवे स्टेशन पर सुबह 7.15 बजे पहुंचती है। फिर यही ट्रेन 20.15 बजे चलकर सुबह 3.35 बजे दिल्ली में अपने मुसाफिरों को उतार देती है। अटारी रेलवे स्टेशन से दिल्ली के बीच यह ट्रेन नॉन स्टाप चलती है। इस ट्रेन को मुसाफिरों के पासपोर्ट व सामान की चेकिंग के लिए अटारी रेलवे स्टेशन पर तब तक रोका जाता है जब तक हर मुसाफिर जांच प्रक्रिया से गुजर नहीं जाता। अगर किसी मुसाफिर के पासपोर्ट में धोखाधड़ी पाई जाती है या तस्करी का मामला सामने आता है तो लिखकर देना पड़ता है कि ट्रेन का यह मुसाफिर पुलिस हिरासत में है। इसके बाद ही ट्रेन को हरी झंडी दिखाई जाती है।

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इस ट्रेन में हर मुसाफिर को बर्थ मिलती है। ट्रेन की सिक्योरिटी गृह मंत्रालय देखता है। जब तक मुसाफिर आराम से ट्रेन में बैठकर दरवाजे अंदर से लॉक नहीं कर लेते फिरोजपुर रेल डिवीजन इंतजार करता रहता है। सीमा शुल्क विभाग की क्लीनचिट के बाद ही रेलवे ट्रेन चलाने की रिलीज तैयार करता है। रिलीज पर ड्राइवर व गार्ड हस्ताक्षर करने से पहले चेक करते हैं कि सभी मुसाफिर ट्रेन में बैठ गए या नहीं।

अटारी रेलवे स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक एसके मदान कहते हैं कि यह ट्रेन कभी भी मुसाफिरों को प्लेटफार्म पर छोड़ कर नहीं जाती। ट्रेन में मुसाफिरों की गिनती के हिसाब से रिजर्वेशन चार्ट तैयार किया जाता है। ट्रेन के स्लीपर का किराया 235 रुपये व एसी का किराया 630 रुपये है।

ये ट्रेन दो जुलाई, 1972 के भारत-पाकिस्तान के बीच हुए शिमला समझौता के तहत पटरी पर दौड़ रही है। कई बार बंद भी हुई। 1992 में अयोध्या कांड में ढाई साल तक बंद रही। 1997 में गुजरात में स्वाइन फ्लू फैला तो पाकिस्तान ने ट्रेन बंद कर दी। तीसरी बार संसद पर हमला हुआ तो भारत ने ट्रेन को 31 दिसंबर 2001 को लाल झंडी दिखा दी। 18 फरवरी, 2007 को समझौता एक्सप्रेस पर पानीपत के पास आतंकी हमला हुआ। इसके बावजूद यह ट्रेन प्यार के रिश्तों को एक-दूसरे देशों से मिलाती रही।

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