तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन बोले, 'गरीबों का प्रोटीन है गोमांस'
महाराष्ट्र में गोमांस पर प्रतिबंध लगाने जाने का मुद्दा बुधवार को राज्यसभा में भी गूंजा। शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि महाराष्ट्र में गरीबों के प्रोटीन गोमांस को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इससे न सिर्फ आर्थिक, बल्कि सामाजिक
By Rajesh NiranjanEdited By: Updated: Thu, 12 Mar 2015 10:47 AM (IST)
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में गोमांस पर प्रतिबंध लगाने जाने का मुद्दा बुधवार को राज्यसभा में भी गूंजा। शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि महाराष्ट्र में गरीबों के प्रोटीन गोमांस को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इससे न सिर्फ आर्थिक, बल्कि सामाजिक संरचना पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि इसे खाने वाले को यौन उत्पीडऩ के दोषी से अधिक सजा मिलेगी।
गोमांस की वकालत करते हुए डेरेक ने कहा, इस मुद्दे को धार्मिक नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि अल्पसंख्यकों के अलावा, दलित और पूर्वोत्तर के निवासी भी इसे खाते हैं। यह गरीबों के लिए प्रोटीन का स्रोत है। इस प्रतिबंध से मछली, मटन और चिकन के दाम बढ़ जाएंगे। साथ ही इस पेशे से जुड़े लोगों का जीवनयापन प्रभावित होगा। गोमांस पर प्रतिबंध का असर किसानों पर पड़ेगा, क्योंकि महाराष्ट्र 55 फीसद चारे की कमी का सामना कर रहा है तथा बीमार और बूढ़े हो चुके पशुओं को नहीं मारे जाने से संकट और बढ़ेगा। उन्होंने प्रतिबंध से सामाजिक संरचना के बिगडऩे की भी आशंका जताई।इस भाजपा के एक सदस्य की मांग खारिज करते हुए उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा कि सदन के सदस्य को जनहित के मुद्दे उठाने का अधिकार है। संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इस मुद्दे पर बहस की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।किस तिथि से लागू होगा कानून: हाई कोर्ट
मुंबई। बांबे हाई कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार से महाराष्ट्र एनीमल प्रिजरवेशन (संशोधन) अधिनियम के प्रभावी होने की वास्तविक तिथि बताने को कहा है। जस्टिस वीएम कानाडे और एआर जोशी की खंडपीठ ने सरकार को बृहस्पतिवार तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। खंडपीठ बांबे उपनगर बीफ डीलर्स वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही है।गोवंश हत्या पर पाबंदी को न बनाएं धार्मिक व प्रतिष्ठा का मुद्दा: कोर्ट