यूपी में सेनापति विहीन फौज पर राहुल का दांव
नई दिल्ली, सीतेश द्विवेदी। लोकसभा के लिए सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस भगवान भरोसे है।
By Edited By: Updated: Thu, 27 Mar 2014 09:22 PM (IST)
नई दिल्ली, सीतेश द्विवेदी। लोकसभा के लिए सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस भगवान भरोसे है। 80 लोकसभा सीटों वाले राज्य में कांग्रेस नेतृत्व विहीन स्थिति में है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री फैजाबाद के चुनावी समर में फंसे हैं। जबकि, राज्य प्रभारी महासचिव मधुसूदन मिस्त्री, नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनावी ताल ठोकने वडोदरा निकल गए हैं। ऐसे में पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी का उत्तर प्रदेश में पिछले प्रदर्शन से बेहतर करने का दावा हकीकत से दूर नजर आ रहा है।
पढ़ें: कांग्रेस घोषणापत्र की महत्वपूर्ण बातें राहुल ने बुधवार को पार्टी घोषणापत्र जारी करते हुए कहा था कि वह उत्तर प्रदेश को अच्छी तरह समझते हैं, वहां चौंकाने वाला परिणाम आएगा और भाजपा का गुब्बारा फूट जाएगा। लेकिन, राज्य प्रभारी के मोदी के खिलाफ चुनाव में उतरने और प्रदेश अध्यक्ष के अपने चुनाव में फंसे होने से सूबे में पार्टी उम्मीदवारों को दिशा-निर्देश देने वाला कोई नहीं है। प्रदेश प्रभारी के गुजरात से चुनाव लड़ने से राज्य के नेता भी हैरान हैं। उत्तर प्रदेश में अभी कई सीटों पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा तक नहीं हुई है, न ही स्टार प्रचारकों के दौरे के कार्यक्रम बनाए जा सके हैं। ऐसे में राज्य प्रभारी का गुजरात जाने का फैसला सूबे में पार्टी संभावनाओं को खासा नुकसान पहुंचा सकता है। पार्टी ने राज्य की कमान राहुल के खास माने जाने वाले मिस्त्री के जिम्मे कर रखी थी और टिकट वितरण भी उन्हीं के हिसाब से हुए थे। राज्य में लोकसभा सीटों की जमीनी स्थिति और जातीय समीकरण के मुताबिक प्रचारकों को उतारने की रूपरेखा अंतिम चरण में थी। मिस्त्री के गुजरात जाने के बाद सारी कवायद फिर से दोहराए जाने की स्थिति पैदा हो गई है। प्रदेश में सपा सरकार और भाजपा के आक्रामक प्रचार का सामना करने में संघर्ष कर रहे पार्टी उम्मीदवारों के लिए यह सदमे से कम नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक मिस्त्री के जाने के बाद राज्य में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल के चुनाव का प्रबंधन संभाल रहीं प्रियंका गांधी वाड्रा समन्वय की जिम्मेदारी संभाल सकती हैं। ऐसे में पार्टी उम्मीदवारों को अपनी बात कहने के लिए रायबरेली, अमेठी और नई दिल्ली के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। कर्नाटक की जीत के बाद उत्तर प्रदेश प्रभारी बने मिस्त्री की कार्यशैली से प्रदेश के कांग्रेसी पहले से ही नाराज थे। उन पर प्रदेश की राजनीति को नहीं समझ पाने और पैसा लेकर टिकट बांटने के आरोप तक लग चुके हैं। परवान नहीं चढ़ी राहुल की एक और योजना
सियासी मजबूरियों के चलते राहुल गांधी की एक और महत्वाकांक्षी योजना परवान नहीं चढ़ सकी। इस योजना के मुताबिक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों को चुनाव में उतरने के बजाय पार्टी के प्रचार के लिए समय देना था। लेकिन, लोकसभा चुनाव से पहले बिगड़ते हालात के मद्देनजर इस पर अमल करने से पैर पीछे खींचने पड़े। उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष फैजाबाद, राजस्थान के अध्यक्ष सचिन पायलट अजमेर, मध्य प्रदेश के अरुण यादव खंडवा और पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी बहरामपुर से चुनाव मैदान में हैं।