सरकार के लिए आसान नहीं होगा बजट सत्र
सोमवार से शुरू होने जा रहे महत्वपूर्ण बजट सत्र का हंगामेदार होना तय है। कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष से अध्यादेशों पर सकारात्मक सहयोग की आशा कर रही सरकार को कांग्रेस से निराशा ही मिली है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने स्पष्ट कर दिया है कि
By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 20 Feb 2015 08:42 PM (IST)
नई दिल्ली। सोमवार से शुरू होने जा रहे महत्वपूर्ण बजट सत्र का हंगामेदार होना तय है। कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष से अध्यादेशों पर सकारात्मक सहयोग की आशा कर रही सरकार को कांग्रेस से निराशा ही मिली है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी सरकार के साथ सहयोग नहीं करेगी। ऐसे में राज्य सभा में अल्पमत में खड़ी मोदी सरकार के लिए अध्यादेशों पर मुहर लगवाना मुश्किल होगा।
कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार को रोकने के लिए 'साझा विपक्ष' की रणनीति बना रही है। इसके लिए विपक्ष के सभी नेता कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से चाय पर चर्चा करेंगे। हालांकि, इस चाय पार्टी में बसपा और सपा के रुख पर सबकी नजर रहेगी। खासतौर पर तब जबकि सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के पौत्र की शादी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जाने की प्रबल संभावना है। इससे पहले सरकार ने रविवार को सभी पार्टियों की बैठक बुलाई है।कांग्रेस नेताओं से मिले वेंकैया जानकारी के मुताबिक संसद में सहयोग को लेकर संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने अहमद पटेल व राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद से बात की। राजग सरकार ने छह अध्यादेश लागू किए हैं। इनमें कोयला खदान, बीमा कानून संशोधन, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनरुद्धार, नागरिकता, मोटर वाहन व खान एवं खनिज पर अध्यादेश शामिल हैं। नियमों के मुताबिक इन अध्यादेशों की जगह लेने वाले कानूनों को छह सप्ताह के भीतर संसद के दोनों सदनों से पारित कराना होता है।
बजट से पूर्व बिजली नेटवर्क का खाका होगा पेश राज्य सभा में राजग बहुमत में नहीं है। 245 सदस्यों वाली राज्य सभा में राजग के पास महज 57 सदस्य हैं। जाहिर है कि राज्य सभा की बाधा पार किए बिना सरकार इन अध्यादेशों के मामले में आगे नहीं बढ़ सकती। ऐसे में सरकार को कांग्रेस से सकारात्मक सहयोग के नाम पर मदद की उम्मीद थी। लेकिन दिल्ली में भाजपा की हार के बाद विपक्ष के आक्रामक रुख को देखते हुए यह सहयोग दूर की कौड़ी बन गया है।
विपक्ष में सेंध लगाने की कोशिश ऐसे में भाजपा की कोशिश विपक्ष में सेंध लगाने की है। भाजपा को समाजवादी व बहुजन समाज पार्टी से सहयोग की उम्मीद है। इससे पहले संप्रग सरकार के दौरान यह दोनों दल कांग्रेस को मुद्दा आधारित समर्थन दे रहे थे। सत्र से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सैफई यात्रा को भी इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है। जबकि, कांग्रेस विपक्ष को एकजुट रखने के प्रयासों में जुट गई है। पढ़ें: बढ़ सकता है बजट का दायरा बजट के बाद आप भी पूछ सकेंगे अरुण जेटली से सवाल