अब हाजी अली में प्रवेश के लिए आंदोलन करेंगी तृप्ति
शनि शिंगनापुर मंदिर का दरवाजा महिलाओं के लिए खुलवाने के बाद अब भूमाता ब्रिगेड अब हाजी अली में महिलाओं को प्रवेश दिलाने के लिए लड़ाई लड़ेगी।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। शनि मंदिर के चबूतरे पर जाने में सफल होने के बाद भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड अब मुंबई की हाजी अली दरगाह में पीर हाजी अली शाह बुखारी की मजार तक जाने का आंदोलन छेड़ेगी। यह घोषणा आज ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई ने प्रेस से बात करते हुए की।
देसाई ने कहा कि हम अपने साथियों के साथ 28 अप्रैल को दरगाह के अंदर प्रवेश करने का आंदोलन छेड़ेंगे। लेकिन उससे पहले यदि दरगाह के ट्रस्टी तैयार हों, तो हम बात करने को तैयार हैं। दरगाह में प्रवेश का अधिकार पाने के लिए देसाई ने कुछ सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर हाजी अली फॉर ऑल फोरम का गठन किया है।
जानिए, कौन है तृप्ति देसाई और क्या है हाजी अली का मामला
देसाई के अनुसार यह आंदोलन किसी धर्म विशेष के खिलाख नहीं हैं। हम सिर्फ यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लैंगिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। मंदिरों मे प्रवेश की राजनीति के आरोप को नकारते हुए देसाई कहती हैं कि हम सिर्फ बराबरी का अधिकार चाहते हैं। हम इक्कीसवीं सदी में रह रहे हैं। कोई हमें मनमानी करके कहीं जाने से रोक नहीं सकता। देसाई पूरे देश की महिलाओं का आह्वान करते हुए कहती हैं कि किसी भी पूजास्थल में महिलाओं को जाने से रोका जा रहा होगा तो वे उन्हें प्रवेश दिलाने के लिए वहां आंदोलन करने जाएंगी।
बता दें कि तृप्ति देसाई द्वारा किए गए आंदोलन एवं एक जनहित याचिका पर आए मुंबई उच्चन्यायालय के निर्देशों के बाद ही शनि मंदिर ट्रस्ट ने आठ अप्रैल को अहमदनगर के शिंगणापुर स्थित शनि मंदिर के चबूतरे पर महिलाओं को जाने की अनुमति प्रदान कर दी है। ट्रस्ट ने ऐसा 400 साल पुरानी परंपरा को तोड़कर किया है। देसाई ने उसके बाद कोल्हापुर स्थित महालक्ष्मी मंदिर एवं त्र्यंबकेश्वर स्थित ज्योतिर्लिंग के भी गर्भगृह में प्रवेश की घोषणा की थी। लेकिन महालक्ष्मी मंदिर से पिछले सप्ताह ही उन्हें धक्कामुक्की करके भगा दिया गया था।
क्योंकि वे वहां की परंपरानुसार साड़ी पहनकर गर्भगृह में जाने को तैयार नहीं थीं। त्र्यंबकेश्वर मंदिर में भी महिलाओं के जाने की परंपरा नहीं रही है। पिछले सप्ताह ही त्र्यंबकेश्वर मंदिर की ओर से एक हस्तक्षेप याचिका मुंबई उच्चन्यायालय में दायर कर दावा किया गया है कि शनि मंदिर मामले में सुनवाई करते समय उच्चन्यायालय ने सभी पक्षों को अपनी बात कहने का अवसर प्रदान नहीं किया। इस याचिका पर अभी सुनवाई होनी है।