पानी में रहने वाले दोनों बच्चों का इलाज संभव नहीं
झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर स्थित किकतिंतानगर के डोबरोबासा गांव में दो बच्चों को एक्टोडर्मल डिसप्लेसिया नामक बीमारी है। बच्चों के शरीर में स्वेद ग्रंथियां नहीं होने से उसे पसीना नहीं निकलता है। इस कारण से उनका शरीर हमेशा गर्म रहता है जिससे बचने के लिए रोहित और मंगल को हमेशा पानी में रखा जाता है।
रांची [जासं]। झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर स्थित किकतिंतानगर के डोबरोबासा गांव में दो बच्चों को एक्टोडर्मल डिसप्लेसिया नामक बीमारी है। बच्चों के शरीर में स्वेद ग्रंथियां नहीं होने से उसे पसीना नहीं निकलता है। इस कारण से उनका शरीर हमेशा गर्म रहता है जिससे बचने के लिए रोहित और मंगल को हमेशा पानी में रखा जाता है। यह एक आनुवांशिक बीमारी है। चिकित्सकों के मुताबिक उनका इलाज संभव नहीं है। रिम्स में शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. एके शर्मा ने बताया कि पूरे विश्व में इस तरह के मरीजों की संख्या सात हजार है। इससे पीड़ित मरीजों को एक साथ कई समस्याओं से गुजरना पड़ता है। इन मरीजों की उम्र अधिक नहीं रहती है। संभावना जताई जा रही है इन मरीजों पर एकेडमिक क्लासेस चलें और छात्रों को भी जानकारी दी जाए। सोमवार को रिम्स में दोनों बच्चों को भर्ती कराया गया था। तांतनगर से एंबुलेंस से बाल्टी में पानी रखकर इन दोनों बच्चों को रिम्स लाया गया था।
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