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जन जागरण परिसंवाद

संसद का भविष्य और सीमाएं संसद का भविष्य और सीमाएं सरकार के ढांचे पर निर्भर होती हैं। अगर सरकार में छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों की संख्या ज्यादा होगी, तो नेतृत्व करने वाले दल को फैसले लेने में परेशानियां पेश आएंगी। अगर किसी एक दल को पूर्ण बहुमत मिलेगा तो वह पूरे दम के साथ कानून बनाएगा या योजनाओं को लागू कराएगा। सरकार य

By Edited By: Updated: Wed, 26 Mar 2014 11:15 AM (IST)

संसद का भविष्य और सीमाएं

संसद का भविष्य और सीमाएं सरकार के ढांचे पर निर्भर होती हैं। अगर सरकार में छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों की संख्या ज्यादा होगी, तो नेतृत्व करने वाले दल को फैसले लेने में परेशानियां पेश आएंगी। अगर किसी एक दल को पूर्ण बहुमत मिलेगा तो वह पूरे दम के साथ कानून बनाएगा या योजनाओं को लागू कराएगा। सरकार यह काम करने में जितनी ज्यादा सक्षम होगी संसद उतनी ही मजबूत होगी।

स सभा का सबसे पहला काम नए संविधान के निर्माण के जरिये देश को आजादी दिलाना है। इसके माध्यम से ही भूखे लोगों को भरपेट खाना और कपड़े मिलेंगे और सभी भारतीयों को ऐसे बेहतर विकल्प मिलेंगे जिनसे वह अपनी तरक्की कर सकेगा।

- संविधान सभा में पंडित नेहरू का भाषण

संविधान की प्रस्तावना

हम भारत के लोग, भारत को संपूर्ण प्रभुत्व, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को : सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई. मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्त्रमी को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

वार्ताकार

- रामवीर सिंह बिधूड़ी, भाजपा

विधायक

- डॉ. राजेश झा, प्राध्यापक, राजनीति विज्ञान, डीयू

- प्रो. महेन्द्र प्रताप सिंह, पूर्व

विभागाध्यक्ष, राजनीतिशास्त्र विभाग दि-ी विवि

- सुदर्शन शर्मा, पूर्व सचिव,

लोकसभा