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नियमों की अवहेलना कर रही थी उबर

तो क्या विवादों में आई टैक्सी सेवा प्रदाता कंपनी उबर भारत में भुगतान संबंधी नियमों को भी ताक पर रखे हुए थी? मंगलवार को वित्त मंत्री अरूण जेटली ने स्वयं इस बात की तरफ इशारा किया। लोक सभा में पेमेंट एंड सैटेलमेंट सिस्टम कानून संशोधन विधेयक-2014 पर जारी चर्चा का

By Rajesh NiranjanEdited By: Updated: Wed, 10 Dec 2014 08:01 AM (IST)
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नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। तो क्या विवादों में आई टैक्सी सेवा प्रदाता कंपनी उबर भारत में भुगतान संबंधी नियमों को भी ताक पर रखे हुए थी? मंगलवार को वित्त मंत्री अरूण जेटली ने स्वयं इस बात की तरफ इशारा किया। लोक सभा में पेमेंट एंड सैटेलमेंट सिस्टम कानून संशोधन विधेयक-2014 पर जारी चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने इस बात के साफ संकेत दिए कि उबर कुछ दिन पहले तक रिजïर्व बैंक के नियमों की अनदेखी करते हुए ग्राहकों से भुगतान हासिल कर रही थी।

उल्लेखनीय तथ्य यह है कि वित्त मंत्री ने उबर की तरफ से जिस नियमों के उल्लंघन का जिक्र किया, दुनिया के कई देशों में इसके लिए उबर पर दंडात्मक कार्रवाई हो चुकी है। लेकिन भारत में उबर के खिलाफ अभी तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई है। वित्त मंत्री ने भी इस बारे में कुछ नहीं कहा जबकि पेमेंट एंड एंड सैटेलमेंट सिस्टम कानून, 2007 के तहत उबर जैसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने के प्रावधान हैं। यह कार्रवाई रिजर्व बैंक कर सकता है। आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर एच आर खान ने भी माना है कि उबर भारत से बाहर अपना भुगतान पोर्टल रख कर स्थानीय नियमों का उल्लंघन कर रहा था। कंपनी को 30 नवंबर, 2015 तक भारत आधारित भुगतान पोर्टल करने का नोटिस जारी किया था। खान के मुताबिक कंपनी अब ऐसा कर रही है।

उबर का नाम लिए बगैर वित्त मंत्री ने लोक सभा में बताया कि एक प्राइवेट कंपनी ने ऐसी भुगतान व्यवस्था स्थापित की थी जिसे रिजर्व बैंक से अनुमति प्राप्त नहीं थी। ये टैक्सी कंपनियां क्रेडिट कार्ड के जरिए अग्रिम भुगतान हासिल कर लेती हैं। जैसे-जैसे ग्राहक टैक्सी सेवा का इस्तेमाल करता है उसके खाते से सेवा शुल्क कम होते जाता है। इस तरह की सेवा के लिए रिजर्व बैंक से अनुमति लेना अनिवार्य है। अब देखना होगा कि सरकार उबर की तरफ से किए गए उल्लंघन को लेकर क्या कदम उठाती है।

उबर कई अन्य देशों में भी प्रतिबंधित

वाशिंगटन। भारत में प्रतिबंध के बाद ऑनलाइन कैब सेवा प्रदाता कंपनी उबर की सेवा कई अन्य देशों में भी प्रतिबंधित हो गई है।

अमेरिका

कैलीफोर्निया की इस कंपनी ने अमेरिकी राज्य ओरगन के पोर्टलैंड में अपनी बहुप्रचारित सेवा शुरू की थी। लेकिन, अवैध परिचालन को लेकर शुक्रवार को पोर्टलैंड ने इस कंपनी पर मुकदमा कर दिया है। पोर्टलैंड ने अदालत से कहा है कि जब तक कंपनी नियमों का पालन नहीं करती तब तक उसकी सेवा पर रोक लगाई जाए। पोर्टलैंड के परिवहन आयुक्त स्टीव ने कहा है कि उबर पर जुर्माना लगाया जाएगा, क्योंकि उसके ड्राइवर बिना परमिट और निरीक्षण के गाड़ी चलाते हैं। ओरगन का एक और शहर यूगेन भी उबर को अपना कामकाज बंद करने के लिए कह चुका है।

नीदरलैंड

नीदरलैंड ने नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में उबर पर प्रतिबंध लगा दिया है। हेग के व्यापार एवं उद्योग अपील ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा है कि उबर ने कैब चालक को विशेष लाइसेंस देने संबंधी कानून को तोड़ा है। कंपनी पर एक लाख 22 हजार डॉलर का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

थाइलैंड

दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश थाइलैंड ने भी कंपनी की सेवा पर प्रतिबंध लगाया। देश के भूतल परिवहन मंत्रालय ने कहा कि उबर की सेवा लेने वाले यात्री न तो पंजीकृत होते हैं और न ही बीमाकृत। यह वाणिज्यिक वाहनों के परिचालन के नियम का उल्लंघन है।

वियतनाम, इंडोनेशिया

उबर की सेवा इन दोनों देशों में भी प्रतिबंधित की जा सकती है। वियतनाम के उप परिवहन मंत्री ने उबर की सेवा को गैर कानूनी बताया। इंडोनेशिया में भी परिचालन के लिए उबर के पास परमिट नहीं होने की बात सामने आई है।

स्पेन

मैड्रिड की अदालत ने रेडियो टैक्सी कंपनी उबर पर मंगलवार को ही प्रतिबंध लगा दिया। अदालत ने एक टैक्सी ड्राइवर की याचिका पर सुनवाई के दौरान कंपनी की सेवाओं को अनियमित और असुरक्षित करार दिया।

उबर के पास एनसीटी में परिचालन की मंजूरी नहीं

अंतरराष्ट्रीय टैक्सी कंपनी उबर के पास ऑल इंडिया परमिट तो है लेकिन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में परिचालन के लिए मंजूरी नहीं ली है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में टैक्सी परिचालन के लिए एनसीटी क्षेत्र की मंजूरी भी आवश्यक है। इसके चलते ही कंपनी की टैक्सी सेवाओं को फिलहाल दिल्ली में प्रतिबंधित कर दिया गया है।

निर्भया कांड से सबक

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वो भी दिसंबर था। यह भी दिसंबर है। तब 16 दिसंबर 2012 थी। निर्भया के साथ पाश्विकता ने दिल्ली को जगा दिया था। औरत-बच्चे-बुजुर्ग और युवा सब सड़कों पर उमड़ आए थे। अब 5 दिसंबर 2014 को फिर एक दुष्कर्म की घटना दिल्ली में गरम है। तब सिविल सोसाइटी सड़कों पर थी तो इस दफा सियासी दल विरोध में उतरे थे। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने सियासी गर्मी भले ही पैदा की, लेकिन गैर राजनीतिक तबका इस दफा दूर ही रहा। इसके तमाम कारण थे, लेकिन सबसे अहम कारण रहा कि दिल्ली में चुनाव से पहले केंद्र सरकार जरा भी जोखिम नहीं उठाना चाहती। इसीलिए, सरकार ने आगे बढ़कर कदम उठाए। इतने सख्त कदम उठाए कि उसकी सख्ती पर ही सवाल उठ रहे हैं। यह सवाल उठना भी सरकार को मुफीद लग रहा है। दरअसल, निर्भया कांड के समय सरकार का मौन ही लोगों के गुस्से का कारण बना था। मोदी सरकार ने इस दफा तुरंत मामले में जहां सख्त से सख्त कार्रवाई की, वहीं इसके सियासी पेंच समझते हुए मुखर भी रही। निर्भया कांड इस सबक के चलते ही सरकार ने अतिसक्रियता और जल्दी के आरोप को सिर पर लेना ज्यादा उचित समझा।

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