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ज्यादा लालच करने से टूट जाते हैं रिश्ते: उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुनाव तिथि की घोषणा हो जाने के बाद भाजपा और शिवसेना में सीटों को लेकर खींचतान फिर उजागर हो गया है। सहयोगी पार्टी को नसीहत देते हुए शिवसेना ने कहा है कि ज्यादा लालच करने से रिश्ते टूट जाते हैं। शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में पार्टी ने शनिवार को कहा कि गठबंधन के सहयोगियों को जीत का सपना जरूर देखना चाहिए।

By Edited By: Updated: Sun, 14 Sep 2014 11:11 AM (IST)
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मुंबई [राज्य ब्यूरो]। महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुनाव तिथि की घोषणा हो जाने के बाद भाजपा और शिवसेना में सीटों को लेकर खींचतान फिर उजागर हो गया है। सहयोगी पार्टी को नसीहत देते हुए शिवसेना ने कहा है कि ज्यादा लालच करने से रिश्ते टूट जाते हैं। शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में पार्टी ने शनिवार को कहा कि गठबंधन के सहयोगियों को जीत का सपना जरूर देखना चाहिए। लेकिन, इसके लिए ज्यादा सीटों का लालच छोड़ना होगा। यह कहना कि हमें इतनी सीटें मिलेंगी, तभी हम गठबंधन में रहेंगे, सही नहीं है।

दूसरी तरफ, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आज फिर दोहराया कि यदि चुनाव बाद शिवसेना-भाजपा एवं साथी दलों के महागठबंधन की सत्ता आती है तो मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा। चुनाव में सीएम के लिए केवल शिवसेना का ही चेहरा होगा।

चुनाव की तिथि घोषित हो जाने के बावजूद राजग के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो सका है। इससे शिवसेना सहित राजग के अन्य दलों में भी बेचैनी बढ़ती जा रही है। संभवत: इसीलिए दो दिन पहले स्वयं को मुख्यमंत्री पद की दौड़ से अलग बताने वाले उद्धव ठाकरे ने आज एक चैनल से बातचीत में कहा कि मैं किसी पद का भूखा नहीं हूं। लेकिन, कोई जिम्मेदारी मिलती है, तो उससे भागूंगा भी नहीं।

उद्धव ने कहा कि मैं चाहता हूं कि लोग मुझे एक मौका दें। यदि वह ऐसा करते हैं तो उन्हें शिकायत का मौका नहीं मिलेगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह जनता को ही तय करना है कि वह किसे मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। मुझ पर उनका भरोसा है या नहीं, यह वही तय करेंगे।

उद्धव ने कहा कि राजनीति में हर दल को अपने विस्तार का अधिकार है, लेकिन इसका निर्णय जमीनी हकीकत को ध्यान में रखकर ही किया जाना चाहिए। उन्होंने भाजपा की ओर साफ इशारा करते हुए कहा कि हमारा गठबंधन 25 साल पुराना है। लेकिन, उन्हें भी अपनी सीमा में रहना चाहिए। उद्धव के अनुसार जो सीटें शिवसेना नहीं लड़ेगी, वह भाजपा को दी जाएंगी।

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