कैथल के कांगथली में गिरा आग का गोला, उल्का पिंड होने के कयास
चीका खंड के कांगथली गांव के एक मकान में मंगलवार शाम आसमान से गिरे आग के गोले से दहशत फैल गई। यह गोला पशुओं पर गिरा। इसके चलते एक भैंस व दो कटड़े झुलस गए। कयास लगाए जा रहे हैं कि यह कोई उल्का पिंड था। कांगथली के ज्ञान चंद की भतीजी नीशू ने बताया कि वह देर शाम घर में काम कर रही थी कि अचानक आसमान से म
By Edited By: Updated: Wed, 27 Nov 2013 11:51 AM (IST)
कैथल। चीका खंड के कांगथली गांव के एक मकान में मंगलवार शाम आसमान से गिरे आग के गोले से दहशत फैल गई। यह गोला पशुओं पर गिरा। इसके चलते एक भैंस व दो कटड़े झुलस गए। कयास लगाए जा रहे हैं कि यह कोई उल्का पिंड था। कांगथली के ज्ञान चंद की भतीजी नीशू ने बताया कि वह देर शाम घर में काम कर रही थी कि अचानक आसमान से मोटरसाइकिल के टायर के आकार का एक आग का गोला आता नजर आया। देखते ही देखते आग का गोला उनके आंगन में बंधे पशुओ पर आकर गिरा।
मामले की सूचना तुरंत पुलिस को दी गई। इस पर सीवन थाना के एएसआइ शमशेर सिंह मौके पर पहुंचे और मौके का मुआयना किया। इस घटना के बाद क्षेत्र के लोग सहमे हुए हैं। इस बीच गांव के सरपंच मुलखराज बाजीगर ने कहा कि आग का गोला उनके घर के ऊपर से गुजरा था। वे इसे देखकर डर गए और भाग खड़े हुए। इसके बाद वह गोला पशुओं पर जा गिरा। उन्होंने बताया कि गोला गिरते समय करीब दस से बारह फुट लंबी लपटें उठीं। बाद में जब देखा तो वहां धुंआ ही धुंआ फैल गया। पढ़ें: नकाबपोश युवकों ने ले ली छात्रा की जान इस संबंध में डीएवी कॉलेज चीका के भौतिकी के प्रोफेसर विजय कुमार ने बताया कि उल्का पिंड एक तरह का सॉलिड पीस होता है और इसे कोमेट कहते हैं। ये पिंड हमारी धरती के चारों तरफ चक्कर लगाते रहते हैं। जब ये हमारे वातावरण में प्रवेश करते हैं तो वायु व अन्य गैसों के संपर्क में आने पर आग का रूप धारण कर लेते हैं। विजय ने बताया कि जब ये पृथ्वी के संपर्क में आते हैं तो अपने आप नष्ट हो जाते हैं। क्षेत्र में इस प्रकार की घटनाएं बहुत कम देखने को मिलती हैं।
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