उमर खालिद की पूरी स्पीचः 'एक सरकार बैठी है जो अमेरिका के तलवे चाट रही है'
भूमिगत होने के बाद अचानक अपने चारों साथियों के साथ रविवार की देर रात जेएनयू वापस लौटे देश विरोधी नारे लगाने और 9 फरवरी को अफजल गुरू से संबंधित विवादास्पद कार्यक्रम में शिरकत करने के आरोपी उमर खालिद ने कहा कि वो आतंकवादी नहीं है।
By Rajesh KumarEdited By: Updated: Mon, 22 Feb 2016 10:44 PM (IST)
नई दिल्ली। देशद्रोह के आरोप में फरार जेएनयू छात्र उमर खालिद और अन्य आरोपी रविवार शाम जेएनयू कैंपस पहुंच गए। ये सभी शाम छह से आठ बजे के बीच जेएनयू पहुंचे। इन सभी ने छात्रों को संबोधित भी किया। उमर ने करीब 14 मिनट का भाषषण दिया।
उमर के भाषण के अंश साथियों, मेरा नाम उमर खालिद जरूर है लेकिन मैं आतंकी नहीं हूं। ये ल़़डाई कुछ हम 5--6 लोगों के लिए नहीं थी। आज ये हम सब लोगों की ल़़डाई है। आज ये लड़ाई इस विश्वविद्यालय की लड़ाई है। आज ये इस विश्वविद्यालय की नहीं, इस देश के हर विश्वविद्यालय की लड़ाई है। और सिर्फ विश्वविद्यालयों की नहीं, इस समाज के लिए लड़ाई है कि आगे आने वाले समय में हमारा समाज कैसा होगा। साथियों, अभी पिछले दस दिनों में मुझे अपने बारे में ऐसी--ऐसी बातें जानने को मिली हैं, जो मुझे खुद नहीं पता। मुझे पता चला मैं दो बार पाकिस्तान होकर आया हूं। मेरे पास पासपोर्ट नहीं है फिर भी मैं दो बार पाकिस्तान होकर आया हूं। फिर मुझे पता चला कि मैं मास्टरमाइंड हूं और मैं इस कार्यक्रम को 17--18 विश्वविद्यालयों में करने की कोशिश कर रहा हूं।
उनका कहना है कि मैं इस मीटिंग की प्लानिंग पिछले दो--तीन महीने से कर रहा था। मतलब अगर जेएनयू में किसी पब्लिक मीटिंग को कराने में दस महीने लगे, तो जेएनयू ठप हो जाएगा। जब ये बात भी काउंटर हो गई तो पता चला कि मैंने 800 फोन कॉल किए हैं पिछले कुछ दिनों में। गल्फ में किए हैं, कश्मीर में किए हैं। लेकिन अरे एक सबूत तो लाओ। जिस किस्म से झूठ बोले गए, जिस किस्म से बातें की गई, अगर इन मीडिया वालों को लगता है कि वे बच जाएंगे तो ऐसा नहीं होगा। आप लोगों ने इस देश में इस देश के खिलाफ कोई आदिवासी हो तो उसे माओवादी बोलकर, कोई मुसलमान हो तो उसे आतंकी बोलकर एक सिलसिला चलाया है। शायद बहुत सारे लोग बेबस होते हैं, उनके लिए बोलने वाले बहुत कम लोग होते हैं, लेकिन भाईसाहब आप गलत लोगों से भि़ड़ गए। जेएनयू के छात्र आपको इसका मजा चखाएंगे।
एक--एक मीडिया चैनल को इसकी जवाबदेही करनी पड़ेगी, जिन लोगों के खिलाफ इन्होंने किया है। मैंने उस वक्त इसका दर्द महसूस किया, जब मैंने अपने पिता और बहन के स्टेटस देखे। किस तरह से अलग--अलग किस्म की धमकियां देनी शुरू कीं, किसी को बोला बलात्कार कर देंगे, किसी को बोला एसिड से अटैक करेंगे। किसी को बोला जान से मार देंगे। मुझे वही समय याद आ रहा था, जब बजरंग दल के लोग कंधमाल में एक क्रिश्चियन नन के साथ रेप कर रहे थे तो भारत माता की जय बोल रहे थे। अगर मैं कामरेड कन्हैया के 11 फरवरी के भाषषण को याद करूं तो अगर ये तुम्हारी भारत माता है तो ये हमारी भारत माता नहीं है और हमें इस बात पर कोई शर्म नहीं है। मैं पिछले छह साल से इस कैंपस में राजनीति कर रहा हूं। मैंने कभी नहीं सोचा कि मैं मुस्लिम हूं और न ही अपने आपको एक मुस्लिम के तौर पर पेश किया है। और ये बात मुझे लगी कि आज जो समाज में दमन है, वो सिर्फ मुसलमानों का नहीं है। हर अलग--अलग तबके का है चाहे वो आदिवासी हो, दलित हो। पहली बार लगा मैं मुसलमान हूं.. पिछले दस दिन में। जिस तरीके से रोहित का मर्डर किया गया। मैंने तुरंत अपनी पहचान छिपा ली और ये बात बहुत शर्मनाक है। ये बोल रहे हैं मैं पाकिस्तानी एजेंट हूं, तो मैं पाकिस्तानी शायर के छोटे--से दो लफ्ज बोलना चाहूंगा। हिंदुस्तान भी मेरा है और पाकिस्तान भी मेरा है और इन दोनों मुल्कों पर अमेरिका का डेरा है और तुम अमेरिका के दलाल हो। तुम लोगों को दलाली के सिवा कुछ नहीं आता। एक सरकार बैठी है जो अमेरिका के तलवे चाट रही है। हमारे देश के खनिज संपदा को यहां के लेबर को ब़़डी--ब़़डी मल्टीनेशनल कंपनियों को बेच रहे हैं। वहां शिक्षा बेची जा रही है। हमने देखा किस तरीके से डब्ल्यूटीओ में जाकर घुटने टेक दिए। घुटने क्या टेक दिए, पूरा सजदा कर लिया। साथियों, जिस तरीके से मैंने बोला कि आप लोगों ने गलत विश्वविद्यालय से पंगा ले लिया है। बहुत सारे विश्वविद्यालयों से पंगा पहले ही ले रहे हैं, लेकिन ये चाहे एफटीआईआई की ल़़डाई हो, चाहे एचसीयू की। जिस तरह रोहित वेमुला की हत्या की गई, जो बीएचयू में संदीप पांडे के साथ हुआ, हर एक ल़़डाई में हम कंधे से कंधा मिलकर ल़़डे हैं। हर ल़़डाई को हम स़़डकों पर लेकर गए हैं। यहां हम अपनी जिम्मेदारी समझते हैं और अगर आपको लगता है कि सबसे ब़़डा नाक में दम जेएनयू ने किया है और उसे हम खत्म कर देंगे तो आप जैसे पहले भी बहुत आए थे और उनको ऐसे ही निकाल दिया गया था। शायद आप इंदिरा गांधी को भूल गए। इमरजेंसी के बाद जब वो यहां आई थीं, तो उन्हें घुसने नहीं दिया गया था। शायद आप मनमोहन सिंह को भूल गए, जब वे नेहरू की मूर्ति का अनावरण करने आए थे तो इस कैंपस के छात्रों ने यूपीए सरकार की देश को बेचने की साजिश के खिलाफ झंडा दिखाया था। पी. चिदंबरम जब आए थे तो उन्हें लगा था कि छात्र उनका स्वागत करेंगे, लेकिन छात्रों ने उनको भी उनकी जगह दिखाई थी कि हम किसके साथ हैं। हम इस देश की शोषित और पी़ड़ीत जनता के साथ हैं और आपके इस तरह के घिनौने तरीकों से कोई प्रभावित नहीं होगा। ये सिर्फ एक दिमाग का खेल है। वो हमें जांचना चाहते हैं कि हम डर जाएंगे। लेकिन हम उनकी चुनौती को स्वीकार करते हैं कि हम नहीं डरेंगे। हम मजबूती से उनकी हर बात के खिलाफ ल़़डेंगे.. हर मुद्दे पर। इस विश्वविद्यालय के हर छात्र को ये अधिकार है कि वह बिना डर के अपनी बात को सामने रख सके। साथियों, ये डरपोक लोग हैं। और इनका एक जो छात्र विंग है ([अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषषद)] इस कैंपस की वानर सेना है वो लोग। उन्हें ठेका मिल गया है कि कुछ हो, ऐसी कोई बात हो, जहां आपका एजेंडा सामने नहीं आ रहा है.. जहां लोग आपके खिलाफ हैं तो आप जाइए हुड़दंग कीजिए। हम आपको बचाएंगे। वहां के वाइस चांसलर, वहां का रजिस्ट्रार, पुलिस, एमपी सब आपके साथ आएंगे। एक--एक चीज, आपने अप्पा राव जगदीश को बदला, आपने दत्तात्रेय को महेश गिरि के साथ बदला। ये स्कि्रप्ट एक ही है लेकिन यहां एक और रोहित नहीं बनेगा। हम अपनी पहचान नहीं छिपाएंगे। हम ल़़डाई ल़़डेंगे। एक--एक इंच की ल़़डाई। हम एक--एक इंच खदेड़ कर निकालेंगे। साथियों, एबीवीपी हर जगह कैसे हु़ड़दंग करता है। वो एक बात जानते हैं। वो जनता के बीच जाकर जनता को एक नहीं कर सकते। पिछले दस दिनों में इतना मीडिया में हंगामा करने के बाद, इतना मीडिया ट्रायल करने के बाद भी स़़डकों पर जिस तरह से प्रदर्शन हुए हैं, कुछ तादाद हैं इनकी, मुट्ठीभर। और यहां पंद्रह--पंद्रह हजार लोग जगे हैं। मैं मीडिया में कुछ दिनों पहले देख रहा था। जिस दिन यहां राहुल गांधी आए थे तो सुबह काले झंडे दिखाए गए, वहीं जी न्यूज की रिपोर्ट में कर रहे थे कि छात्र बंट चुके हैं। आधे छात्र इधर हैं, आधे छात्र उधर हैं। बाद में पता चला दस--बारह लोग हैं उधर और इधर तीन हजार छात्र थे। जिस तरह ध्यान भटकाओ, जिस तरीके से झूठ बोलो और बेशर्मी से झूठ बोलो। इनको बहुत अच्छे से आता है।ये भी पढ़ें- जेएनयू स्लोगन विवाद मामलें में जानें कब क्या हुआ