पाकिस्तान के साथ हाल-फिलहाल में बातचीत शुरू होने की संभावना सोमवार को एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत खत्म हो गई। सीमा पर जारी पाकिस्तानी गोलीबारी और कश्मीरी अलगाववादियों की खातिरदारी के खिलाफ सख्त संदेश देते हुए भारत ने 25 अगस्त को होने वाली विदेश सचिव स्तरीय वार्ता रद कर दी है। भारत ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को कूटनीतिक वार्ता और अलगाववादियों के साथ बातचीत में से किसी एक को चुनना होगा। अलगाववादियों से मुलाकात की पुरानी परंपरा हवाला दे रहे पाकिस्तान को भा
By Edited By: Updated: Tue, 19 Aug 2014 10:29 AM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पाकिस्तान के साथ हाल-फिलहाल में बातचीत शुरू होने की संभावना सोमवार को एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत खत्म हो गई। सीमा पर जारी पाकिस्तानी गोलीबारी और कश्मीरी अलगाववादियों की खातिरदारी के खिलाफ सख्त संदेश देते हुए भारत ने 25 अगस्त को होने वाली विदेश सचिव स्तरीय वार्ता रद कर दी है। भारत ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को कूटनीतिक वार्ता और अलगाववादियों के साथ बातचीत में से किसी एक को चुनना होगा। अलगाववादियों से मुलाकात की पुरानी परंपरा हवाला दे रहे पाकिस्तान को भारत ने यह संदेश भी दे दिया है कि अब नई दिल्ली के साथ इस रवैये के साथ वार्ता संभव नहीं है।
रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने इस फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि सीमा पर लगातार गोलीबारी बताती है कि पाक रिश्ते सुधारने को लेकर ईमानदार नहीं है। ताजा घटनाक्रम ने सितंबर में संभावित मानी जा रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नवाज शरीफ के साथ मुलाकात को खटाई में डाल दिया है।
पाकिस्तान के साथ विदेश सचिव स्तरीय वार्ता रद करने के फैसले का एलान विदेश मंत्रालय प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने किया। उन्होंने कहा कि पाक उच्चायुक्त की हुर्रियत नेताओं से मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई सकारात्मक राजनयिक कोशिशों के खिलाफ है। पाकिस्तानी उच्चायुक्त का हुर्रियत नेताओं को बातचीत का न्योता देना संबंध सुधार को लेकर पाकिस्तान की गंभीरता पर भी सवाल उठाता है। साथ ही बताता है कि पाक अपनी नकारात्मक सोच और भारत के अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी की नीति पर बरकरार है। प्रवक्ता के अनुसार विदेश सचिव सुजाता सिंह ने फोन पर यह बता दिया था कि हुर्रियत नेताओं के साथ मुलाकात और भारत के अंदरूनी मामले में दखल की कोशिश मंजूर नहीं है। हालांकि, भारत की हिदायत के बावजूद पाक उच्चायुक्त ने मुलाकात का कार्यक्रम जारी रखा। इसी कड़ी में बासित ने जहां सोमवार को शब्बीर शाह से मुलाकात की वहीं मंगलवार को उन्हें मीरवाइज उमर फारुक और सैयद अली शाह गिलानी से मुलाकात करनी है। गिलानी ने कहा, मैं दिल्ली जा रहा हूं। भारत ने अगर पाकिस्तान के साथ बातचीत रद की है तो उससे हमें कोई सरोकार नहीं है। हमारा अपना एजेंडा है। उमर फारुक का भी कहना था कि बासित के साथ उनकी नियमित बैठक है, इसका रद हो चुकी वार्ता से कोई सरोकार नहीं है। जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चेयरमैन मुहम्मद यासीन मलिक भी बातचीत के लिए दिल्ली पहुंच रहे हैं।
वार्ता निरस्त किए जाने पर मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना था कि मौजूदा माहौल में भारतीय विदेश सचिव के इस्लामाबाद जाने का कोई औचित्य नहीं बनता। लिहाजा, वार्ता को रद कर दिया गया है। प्रवक्ता के मुताबिक आपसी रिश्ते में सभी लंबित मुद्दों को सुलझाने का पाक के आगे एक ही रास्ता है कि वह उन्हें लाहौर घोषणा-पत्र और शिमला समझौते के मुताबिक शांतिपूर्ण बातचीत के जरिये सुलझाने की कोशिश करे। कूटनीतिक उतार चढ़ाव:
-27 मई 2014 को नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमंत्रित करने के साथ ही दोनों देशों के बीच बातचीत एक बार फिर पटरी पर लौटने की उम्मीद जगी थी। -जनवरी, 2013 में एक भारतीय जवान का सिर काटने की घटना के बाद से ही दोनों देशों के बीच बातचीत बंद थी। -विदेश सचिव स्तर की पिछली बातचीत दो साल पहले 2012 में हुई थी। -स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से भाषण देते हुए अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का जिक्र भी नहीं किया था। उसको भी माहौल बेहतर बनाने की कोशिश के रूप में देखा गया था। यद्यपि उससे चंद रोज पहले जम्मू-कश्मीर में भाषण देते हुए उन्होंने यह जरूर कहा था कि पाकिस्तान में परंपरागत युद्ध लड़ने का सामर्थ्य नहीं है। इसलिए वह आतंकवाद के माध्यम से छद्म युद्ध लड़ रहा है -सीमापार से पिछले कुछ दिनों से हो रही गोलाबारी को भी भारत के सख्त रुख से जोड़कर देखा जा रहा है। आठ अगस्त से पाकिस्तानी सेना ने 2003 से दोनों पक्षों के बीच जारी संघर्ष विराम का तकरीबन 10 बार उल्लंघन किया है। रविवार को पाकिस्तान ने रात भर गोलाबारी की। किसने, क्या-कहा: 'विदेश सचिव ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त को पहले ही चेता दिया था कि भारत या अलगाववादियों में से किससे वार्ता करनी है, आप यह तय कर लें।' -प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय 'वार्ता रद होने के फैसले का भाजपा स्वागत करती है। भारत पड़ोसी देशों के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है, लेकिन अंदरुनी मामलों में दखल बर्दाश्त नहीं है।' -श्रीकांत शर्मा, सचिव भाजपा 'मोदी सरकार इस कटु सच्चाई को समझ गई होगी कि कूटनीतिक मामलों में शार्ट कट नहीं चलता। लगता है बातचीत शुरू करने का फैसला लेने से पहले सरकार ने ठीक से होमवर्क नहीं किया था।' -अम¨रदर सिंह, कांग्रेस नेता 'भारत का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे पड़ोसी देश भारत के साथ दोस्ताना रिश्ते विकसित करने के हमारे प्रयास को धक्का लगा है।' प्रवक्ता, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय पढ़ें:
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