एक महिला की जासूसी कराने के मामले में चौतरफा हमलों का सामना कर रहे मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने जांच के आदेश दे दिए हैं। गुजरात सरकार ने जांच के लिए अहमदाबाद हाई कोर्ट की सेवानिवृत महिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में दो सदस्यीय आयोग गठित कर दिया है। आयोग को तीन महीने में रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है।
By Edited By: Updated: Tue, 26 Nov 2013 08:34 AM (IST)
अहमदाबाद। एक महिला की जासूसी कराने के मामले में चौतरफा हमलों का सामना कर रहे मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने जांच के आदेश दे दिए हैं। गुजरात सरकार ने जांच के लिए अहमदाबाद हाई कोर्ट की सेवानिवृत महिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में दो सदस्यीय आयोग गठित कर दिया है। आयोग को तीन महीने में रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। गुजरात सरकार ने यह आदेश ठीक उसी दिन दिए हैं, जिस दिन कांग्रेस सहित चार राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मामले की शिकायत कर न्यायिक जांच की मांग की। हालांकि, मोदी सरकार द्वारा जांच के आदेश के बाद गुजरात कांग्रेस ने मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज द्वारा कराने का प्रस्ताव पारित किया है।
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राष्ट्रपति तक पहुंचा जासूसी कांड राज्य के वित्त मंत्री नितिन पटेल ने कहा, 'हमने एक आयोग का गठन किया है, जो युवा महिला को सुरक्षा प्रदान करने के आरोपों की जांच करेगा।' गुजरात हाई कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसके भट्ट और राज्य के सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य सचिव केसी कपूर जांच दल में शामिल होंगे। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर कड़ा प्रहार किया है और भाजपा को उनके नामांकन पर फिर विचार करने व मामले की सीबीआइ जांच कराने की मांग की है। निलंबित आइएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा समेत तमाम विरोधी गुजराज के मुख्यमंत्री को घेरने की कोशिश करते हुए आरोप लगा रहे हैं कि उनकी शह पर गैर-कानूनी तरीके से महिला के फोन टैप किए गए। आयोग गठित करने की घोषणा को नुकसान की भरपाई की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। गुजरात सरकार के अनुसार, 'मामले के सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद राज्य सरकार ने व्यापक लोकहित और सच्चाई साबित करने के लिए मामले की जांच का फैसला किया है। इसलिए गुजरात सरकार ने जांच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत दो सदस्यीय आयोग गठित किया है, जो जांच कर रिपोर्ट पेश करेगा।' राज्य सरकार द्वारा जांच के आदेश के बाद प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया की अध्यक्षता में गुजरात कांग्रेस की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज द्वारा जांच कराने का प्रस्ताव पारित किया गया।
गुजरात सरकार की ओर से कहा गया है कि आयोग का गठन इस संबंध में मीडिया में आए उस ऑडियो टेप के मद्देनजर किया गया है, जिसमें कहा गया है कि 2009 में कथित तौर पर एक महिला पर नजर रखी गई। टेप में गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह आइपीएस अफसर जीएल सिंघल को महिला पर नजर रखने का आदेश दे रहे हैं। हालांकि, मामला सामने आने के बाद महिला के पिता ने कहा था कि उन्होंने खुद मोदी से अपनी बेटी की सुरक्षा की गुहार लगाई थी और बेटी को भी उसकी निगरानी की बात पता थी।
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