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पुल बनाने वाली कंपनी का बयान, भगवान की मर्जी से हुआ कोलकाता हादसा

कोलकाता में निर्माणाधीन पुल गिरने के मामले में IVRCL कंपनी की तरफ से गैर जिम्मेदाराना बयान सामने आया है। इस पुल को बनाने वाली कंपनी IVRCL ने कहा है कि ये सब भगवान की मर्जी से हुआ है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Fri, 01 Apr 2016 12:52 AM (IST)
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कोलकाता। कोलकाता में निर्माणाधीन पुल गिरने के मामले में IVRCL कंपनी की तरफ से गैर जिम्मेदाराना बयान सामने आया है। इस पुल को बनाने वाली कंपनी IVRCL ने कहा है कि ये सब भगवान की मर्जी से हुआ है।IVRCL के केपी राव ने बताया कि पुल का 45% काम बचा हुआ था। जहां एक गर्डर गायब था वहीं दूसरा गिर गया। ये कुछ भी नहीं बल्कि भगवान की मर्ज़ी से हुआ है। इस मामले में IVRCL इंस्ट्राफक्चर कंपनी पर केस दर्ज कर लिया गया है। जोड़ासाँको पुलिस थाने में कंपनी के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज की गई है।

वहीं इस पूरे घटना पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पुल हादसे पर शोक जताते हुए इसे एक गंभीर दुर्घटना करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा। ममता ने कहा कि अभी सरकार का राहत-बचाव पर ध्यान है। आगे क्या किया जाएगा फैसला बाद में करेंगे। पीएम मोदी ने भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को फोन कर इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए राज्य सरकार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।

ममता ने कहा कि घायलों के इलाज में जो भी खर्च होगा उसे राज्य सरकार की तरफ से किया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी घायल जल्द ठीक हो जाएं। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस मामले में विशेषज्ञ इंजीनियरों की मदद ली जाएगी।

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22 लोगों की मौत

उत्तरी कोलकाता के गिरीश पार्क एरिया में निर्माणाधीन पुल गिरने से अब तक 22 लोगों की मौत हो गई है। 15 शवों की पहचान की जा चुकी है। जबकि 70 लोग घायल बताए जा रहे हैं। मलबे में कई और लोगों के दबे होने की अाशंका है। बचाव व राहत कार्य जारी है। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख और घायलों के लिए दो-दो लाख रुपये के मुआवजे का एलान किया है।

मलबे में दबे कई लोग

पुल के मलबे में अभी भी कई लोग फंसे हुए हैं। लापता लोगों को ढूंढने के लिए परिजन लगातार कोशिश कर रहे हैं।

मौके पर आर्मी के जवान

रेस्क्यू के लिए आर्मी के जवानों को लगाया गया

स्पेशल इक्युपमेंट के साथ आर्मी के इंजीनियरों की टीम पहुंची

मेडिकल की तीन टीमें भी भेजी गई

एंबूलेंस, डॉक्टर और नर्सों को भी भेजा गया

हादसे के बाद घटनास्थल पर पहुंची राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

फ्लाईओवर के मलबे के नीचे कई वाहन फंसे हुए हैं।

पीएम ने जताया दुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर के जरिए इस हादसे पर दुख जताया है। मोदी ने ट्वीट किया ’कोलकाता मेंम निर्माणाधीन फ्लाईओवर के गिरने से हैरान और दुखी हूं। स्थिति और बचाव कार्य का जायजा लिया। मेरे विचार हादसे में मारे गए परिजनों के साथ हैं। मैं घायलों के जल्दी से स्वस्थ होने की कामना करता हूं।'

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गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस हादसे को दु्रभाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल एनडीआरएफ और आर्मी के जवान राहत-और बचाव कार्य में जुटे हैं।

केंद्रीय मंत्री ने राज्य सरकार को दोषी ठहराया

केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने ममता सरकार पर आरोप लगाया कि इस फ्लाईओवर का निर्माण कानून का उल्लंघन करके हो रहा था, वह भी बिना किसी सही प्लानिंग के। यह पूरी तरह से राज्य सरकार की लापरवाही है। रिहाइशी इलाके में आप फ्लाईओवर बनाने की प्लानिंग भी कैसे कर सकते हैं। यह घरों की खिड़कियों तक को छू रहा था।

सीबीआई जांच की मांग

भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने मामले में सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने पुल के निर्माण में भ्रष्टाचार की बात कही।

तंग जगह पर चल रहा था निर्माण

टीवी रिपोर्ट्स के मुताबिक क्षतिग्रस्त पुल विवेकानंद पुल है जो गणेश टाकीज के पास स्थित है। यह पुल पिछले तीन साल से बनाया जा रहा था। जानकारी के मुताबिक पुल तंग जगह में बन रहा था, इस वजह से वहां ट्रैफिक भी बाधित हो गया है। घटना स्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि निर्माणाधीन ब्रिज के गिरने से पहले पुल के नीचे करीब 150 लोग मौजूद थे।

मानो बम फटा हो

स्थानीय लोगों का कहना है कि फ्लाईओवर का हिस्सा गिरने के दौरान बहुत तेज आवाज आई, जैसे कोई बम फटा हो। सारा इलाका धूल में भरा दिखाई दे रहा था। राहत और बचाव का काम चल रहा है। एनडीअारएफ की दो यूनिट बचाव कार्य में जुटी हैं।

डिजाइन व निविदा में गड़बड़ी के चलते गिरा फ्लाईओवर

फ्लाईओवर हादसे ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) खड़गपुर के विशेषज्ञों को भी स्तब्ध कर दिया हैं। आइआइटी के वास्तुकला (आर्किटेक्चर) विशेषज्ञ जॉय सेन भारी भीड़भाड़ वाले बड़ाबाजार में इस घटना वाली जगह से बहुत वाकिफ हैं। उनका कहना है कि प्लानिंग में भारी खामी की वजह से यह हादसा हुआ है। उनके मुताबिक, डिजाइन व निविदा प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी के कारण इस प्रकार की घटना देखने को मिली।

उन्होंने कहा कि इस तरह की बड़ी परियोजनाओं को क्रियान्वित करने में अगर समय का ध्यान नहीं रखा जाता है तो यह बेहद जोखिमभरा हो जाता है। सेन ने बताया कि फ्लाईओवर को एकसाथ जोड़ने का काम करते वक्त समय और सामग्री के उपयोग में भारी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। उन्होंने कहा यदि इस प्रकार के कठिन निर्माण कार्य को समय पर पूरा नहीं किया जाता है कि तो इस तरह का हादसा होना लाजिमी है। उनके मुताबिक बदलते मौसम के कारण निर्माण कार्य व इसकी सामग्री पर गहरा असर पड़ता है।

सेन ने स्पष्ट किया कि इस तरह की परियोजनाओं में आप देरी नहीं कर सकते हैं। उनका मानना है कि ऐसी परियोजनाओं के लिए उचित प्लानिंग की सख्त जरूरत है और मानव जीवन के साथ खेलने का किसी को अधिकार नहीं है। फ्लाईओवर के निर्माण व निविदा प्रक्रियाओं की गुणवत्ता पर सेन ने कहा कि अनुभव के आधार पर इस प्रकार की बड़ी परियोजनाओं को किसी संस्था को सौंपी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि निविदा में सिर्फ सबसे कम कीमत के आधार पर इसे किसी संस्था के हाथों में कतई नहीं सौंपी जानी चाहिए। संस्थान के अन्य विशेषज्ञों ने भी सेन की बातों का समर्थन करते हुए प्लानिंग को दोषपूर्ण करार दिया है।

कोलकाता के यादवपुर विश्र्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अरुप गुहा नियोगी ने इस फ्लाईओवर की स्थिरता पर गहरा संदेह व्यक्त किया है। उनके मुताबिक, फ्लाईओवर गिरने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। अपर्याप्त स्टील गार्डर का इस्तेमाल या इसकी क्वालिटी में दोष भी इसका प्रमुख कारण हो सकता है। उन्होंने कहा कि डिजाइन और निर्माण में भी कुछ दोष की वजह से यह घटना हो सकती है।