सीधे मुकाबले में उभरता तीसरा कोण, यूपी में उपचुनाव कल
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की मैनपुरी और विधानसभा की 11 सीटों पर उपचुनाव प्रचार कल खत्म होने के साथ ही मतदान की उलटी गितनी शुरू हो गई है। प्रदेश में कल मतदान होगा।
By Edited By: Updated: Fri, 12 Sep 2014 10:26 AM (IST)
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की मैनपुरी और विधानसभा की 11 सीटों पर उपचुनाव प्रचार कल खत्म होने के साथ ही मतदान की उलटी गितनी शुरू हो गई है। प्रदेश में कल मतदान होगा।
एक लोकसभा तथा 11 विधानसभा सीट में से ज्यादातर सीटों पर सीधे मुकाबले की स्थिति स्पष्ट होती दिख रही है परन्तु कई क्षेत्रों में त्रिकोणीय संघर्ष के हालात भी बने हैं। उपचुनाव के नतीजों से दिल्ली व लखनऊ की सरकारों पर भले ही कोई असर न हो परन्तु साख बचाने की जंग रोचक है। सपा व भाजपा की लड़ाई में कांग्रेस भी तीसरी ताकत के रूप में सामने है। मैनपुरी: सपा की साख को भाजपा की चुनौती मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के परिवार की तीसरी पीढ़ी चुनाव में है। करीब तीन दशक से सपा के कब्जे वाली इस सीट पर मुलायम ने बड़े भाई के पौत्र तेजप्रताप सिंह यादव 'तेजू' को प्रत्याशी बनाया हैं। तेजू से मुख्य टक्कर में भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य हैं क्योंकि बसपा और कांग्रेस मुकाबले से बाहर है। इस सीट पर सपा ने जिस तरह से ताकत झोंकी है उससे उनका भीतरी डर भी जाहिर होता है।
सहारनपुर: तिकोने मुकाबले में फंसी भाजपा विधानसभा चुनाव में भाजपा के कब्जे वाली इस सीट पर सांप्रदायिक दंगे के बाद सबकी निगाह है। भाजपा के राजीव गुम्बर को सपा प्रत्याशी और पूर्व मंत्री संजय गर्ग के अलावा कांग्रेस के मुकेश चौधरी से भी कड़ी चुनौती मिल रही है। दस उम्मीदवारों की इस जंग को जीतने के लिए मंत्रियों की फौज सपा ने उतारी है। भाजपा की ओर से भी दो केंद्रीय मंत्रियों के साथ बड़ी संख्या में पदाधिकारी लगे हैं।
बिजनौर: वोटों के बिखराव की आस में भाजपा कुंवर भारतेंद्र के सांसद बनने से खाली हुई सीट पर भाजपा के हेमेन्द्र पाल सिंह को विपक्षी मतों में बिखराव से ताकत मिलती दिख रही है। सपा की रुचि वीरा के लिए कांग्रेस के हुमायूं बेग और पीस पार्टी के जमील अहमद मुश्किलें बढ़ाते दिख रहे हैं। कुल दस प्रत्याशियों के मुकाबले में दो पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भी उतरे हैं। ठाकुरद्वारा: भाजपा को अपने से खतरा मोदी लहर के दौरान लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा का पिछड़ना चौंकाने वाला रहा। सीट बचाने के लिए भाजपा ने राजपाल चौहान को आगे किया है परन्तु उनको सपा के नवाब जान व कांग्रेस के मौहम्मद उल्ला खान से ज्यादा भितरघात का खतरा सता रहा है। 11 प्रत्याशियों के मुकाबले में सीधी टक्कर सपा व भाजपा के बीच ही मानी जा रही है। नोएडा: सपा से सीधी टक्कर में भाजपा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने वाली नोएडा सीट को भाजपा अपने असर वाली मानती है। भाजपा उम्मीदवार विमला बाथम को सपा की काजल शर्मा से चुनौती मिल रही है। चर्चित विधायक श्रीभगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित की पत्नी काजल शर्मा के लिए कांग्रेस के राजेंद्र अवाना भी भारी दिख रहे हैं। इस क्षेत्र से कुल 11 उम्मीदवार तकदीर आजमा रहे हैं। निघासन: पिछड़ों की जंग में निर्णायक होंगे दलित सात प्रत्याशियों के मुकाबले में सपा के कृष्ण गोपाल पटेल, कांग्रेस के शिव भगवान एवं भाजपा के रामकुमार वर्मा के बीच फैसला होना है। भाजपा प्रत्याशी रामकुमार वर्मा प्रदेश सरकार में सहकारिता मंत्री रह चुके है। वर्मा को सपा उम्मीदवार पटेल से कड़ी चुनौती मिल रही है। दलितों वोटों के रुझान पर जीत हार का निर्णय होगा। लखनऊ पूर्वी: दिलचस्प मुकाबले में दिग्गजों की साख केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के संसदीय क्षेत्र में स्थित इस सीट से दूसरे केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र व लालजी टंडन की साख भी जुड़ी है। भाजपा ने पूर्व सांसद लालजी टंडन के पुत्र गोपाल टंडन को प्रत्याशी बनाया है। सपा की जूही सिंह एवं कांग्रेस के रमेश श्रीवास्तव ने मुकाबले को रोचक बना दिया है। निर्दल प्रत्याशी शिवपाल सिंह [एसपी सिंह] की मौजूदगी को भी अहम मानी जा रही है। हमीरपुर: सपा भाजपा में कांटे की टक्कर क्षेत्र में कुल 11 उम्मीदवार चुनावी जंग में जोर आजमाइश को उतरे हैं परन्तु सपा के पूर्व विधायक शिवचरण प्रजापति और भाजपा प्रत्याशी जगदीश प्रसाद के बीच कांटे का मुकाबला है। वहीं कांग्रेस के केशव बाबू शिवहरे भी ताकत दिखाने में जुटे हैं। जातीय वोटों के बिखराव पर ही भाजपा सीट बचाए रखने की आस लगाए है। सिराथू: प्रतिष्ठा बचाने के संकट में भाजपा भाजपा सांसद केशव मौर्य के सामने अपने विधानसभा क्षेत्र में केसरिया फहराने की चुनौती है क्योंकि भाजपा उम्मीदवार संतोष पटेल को सपा प्रत्याशी वाचस्पति पासी से कड़ी चुनौती मिल रही है। 15 प्रत्याशियों वाले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार लालचंद कुशवाहा की भूमिका भी गेम चेंजर जैसी मानी जा रही है। बलहा: सपा-भाजपा में जोर आजमाइश सावित्रीबाई फूले के सांसद निर्वाचित होने के बाद रिक्त हुई सीट पर फिर से कमल खिलाना भाजपा के लिए मुश्किल दिखता है। सपा उम्मीदवार बंशीलाल बौद्ध का बसपा से पुराना रिश्ता मददगार साबित हो रहा है। भाजपा ने कई बार विधायक रहे अक्षयवर लाल को मैदान में उतारा है। सबसे कम उम्मीदवार [पांच] वाली इस चुनावी जंग की रोचकता मंत्रियों के दखल के कारण भी बढ़ी है। चरखारी: सीधा मुकाबला जीतने की चुनौती साध्वी उमा भारती के सांसद चुने जाने के बाद खाली इस सीट पर भाजपा को साख बचाने की चुनौती है। कुल छह उम्मीदवारों के मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी गीता सिंह व सपा के कप्तान सिंह राजपूत से बीच ही सीधी टक्कर है लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार रामजीवन सिंह की भूमिका कमतर नहीं आंकी जा रही। रोहनियां: दांव पर गठबंधन व सत्ता की हनक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में आने वाले इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा व अपना दल गठबंधन की परख होगी, वहीं कुर्मी समाज में बादशाहत का फैसला भी होगा। गठबंधन ने अपना दल की अध्यक्ष कृष्णा पटेल को चुनावी जंग में उतरा है। सांसद अनुप्रिया पटेल की माता कृष्णा को सपा प्रत्याशी महेंद्र पटेल से खासी चुनौती मिल रही है। महेंद्र प्रदेश सरकार में मंत्री सुरेंद्र पटेल के भाई है। पटेलों की इस जंग में कांग्रेस की भावना पटेल भी शामिल है। कुल 16 उम्मीदवार मैदान में है। कांग्रेस को ढ़ूंढ़े नहीं मिल रहे प्रत्याशी दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ के लिए मतदान शुरू