यूपी के विकास के रोडमैप पर प्रगति का जायजा लेगा नीति आयोग
नीति आयोग उपाध्यक्ष राजीव कुमार के नेतृत्व में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ होगी बैठक...
By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Wed, 01 Nov 2017 08:06 PM (IST)
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के विकास के लिए रोडमैप तैयार करने के बाद नीति आयोग अब इस बात का जायजा लेने जा रहा है कि योगी सरकार ने इस महत्वाकांक्षी कार्ययोजना को लागू करने में कितनी प्रगति की है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के नेतृत्व में आयोग का एक शीर्ष स्तरीय दल इसी सिलसिले में 9 नवंबर को राज्य के दौरे पर जा रहा है। इस दौरान यह दल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मुलाकात करेगा और यूपी के विकास के रोडमैप को लागू करने की दिशा में अब तक हुई विभागवार प्रगति का जायजा लेगा।
सूत्रों के मुताबिक इस दल में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत, सदस्य डा. रमेश चंद और डा. विनोद पॉल और वरिष्ठ आइएएस अधिकारी आलोक कुमार सहित अन्य उच्च अधिकारी शामिल हैं। बताया जाता है कि यूपी के मुख्यमंत्री के साथ आयोग के दल की करीब तीन घंटे चर्चा होगी। इस दौरान राज्य के विकास के रोडमैप पर अब तक प्रगति की समीक्षा की जाएगी। सूत्रों ने कहा कि नीति आयोग के इस दल में डा. विनोद पॉल को विशेष रूप से ले जाया जा रहा है। डा. पॉल नीति आयोग में आने से पहले दिल्ली के एम्स में बाल रोग विशेषज्ञ रहे हैं। हाल के महीनों में यूपी में जापानी बुखार के चलते बच्चों की मौत के मामले सामने आए हैं। इसलिए माना जा रहा है कि इस बैठक में यूपी की खस्ताहाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर विशेष चर्चा होने के आसार हैं। सूत्रों ने कहा कि कुपोषण के शिकार देश के शीर्ष 100 जिले यूपी के हैं, इसलिए इस बैठक में कुपोषण से लड़ने के उपायों पर भी चर्चा होगी।उल्लेखनीय है कि नीति आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष अरविंद पानागढि़या के नेतृत्व में केंद्रीय अधिकारियों के एक उच्च स्तरीय दल ने 10 मई को लखनऊ में यूपी के सीएम के समक्ष प्रजेंटेशन देकर यूपी के विकास का रोडमैप बनाने पर चर्चा की थी। इसके बाद 26 मई को नीति आयोग में हुई बैठक में इसे अंतिम रूप दिया गया जिसमें राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह भी मौजूद रहे। इस बैठक में शिक्षा व स्वास्थ्य सहित कुल आठ क्षेत्रों के रोडपैम के कार्यबिन्दुओं को लागू करने के लिए संबंधित विभागों के लिए छह माह से लेकर तीन साल तक की समयसीमा तय की गयी। इसमें सबसे अधिक प्राथमिकता पोषण को दी गयी है। राज्य में कुपोषण को दूर करने के लिए संबंधित विभागों को एक माह से लेकर दो साल के भीतर कदम उठाने को कहा गया है। इसी तरह शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, पेयजल व स्वच्छता, सिंचाई और जल संसाधन, उद्योग और कृषि क्षेत्र के लिए विकास के उपायों को लागू करने की समयसीमा तय की गयी।