लखनऊ [जागरण संवाददाता]। उ'च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने अयोध्या में होने जा रही चौरासी कोसी परिक्रमा को शांतिपूर्ण तरीके से कराए जाने की मांग वाली जनहित याचिका शनिवार को खारिज कर दी। पीठ के संज्ञान में लाया गया है कि यह परंपरागत होने वाली परिक्रमा नहीं है, इसे राजनीतिक हित के लिए आयोजित किया जा रहा है। पीठ ने पहली सुनवाई पर ही याचिका को पोषणीय न पाते हुए खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि याची यह सिद्ध नहीं कर सका है कि यह परिक्रमा पारंपरिक है इस आधार पर याचिका स्वीकार करने योग्य नहीं है।
By Edited By: Updated: Sat, 24 Aug 2013 08:33 PM (IST)
लखनऊ [जागरण संवाददाता]। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने अयोध्या में होने जा रही चौरासी कोसी परिक्रमा को शांतिपूर्ण तरीके से कराए जाने की मांग वाली जनहित याचिका शनिवार को खारिज कर दी। पीठ के संज्ञान में लाया गया है कि यह परंपरागत होने वाली परिक्रमा नहीं है, इसे राजनीतिक हित के लिए आयोजित किया जा रहा है। पीठ ने पहली सुनवाई पर ही याचिका को पोषणीय न पाते हुए खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि याची यह सिद्ध नहीं कर सका है कि यह परिक्रमा पारंपरिक है इस आधार पर याचिका स्वीकार करने योग्य नहीं है।
दूसरी ओर विश्व हिंदू परिषद
84 कोसी परिक्रमा यात्रा के अपने तय कार्यक्रम के निर्णय पर अड़ी हुई है। शनिवार को पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि 84 कोसी परिक्रमा हर हाल में पूरी होगी।
आदेश न्यायमूर्ति एलके महापात्रा व न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने याची महेश कुमार गुप्ता की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए दिए हैं। जनहित याचिका में कहा गया कि अयोध्या में 25 अगस्त से होने जा रही 84 कोसी परिक्रमा पर राज्य सरकार द्वारा लगाया गया प्रतिबंध गलत है। प्रत्येक व्यक्ति को धार्मिक स्वतंत्रता का पूर्ण अधिकार है।
पढ़ें : अयोध्या की सीमाएं सील,साधुओं की गिरफ्तारियां शुरू पढ़ें : परिक्रमा को लेकर विहिप ने बिछाई दोहरी बिसात कहा गया कि इस परिक्रमा से एक वर्ग विशेष की आस्था जुड़ी है इसलिए इसे बिना किसी रुकावट के आयोजित किए जाने के आदेश दिए जाएं। जनहित याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि पुरातन काल से चली आ रही पारंपरिक परिक्रमा अलग है। इसे राजनीतिक हित के लिए आयोजित किया जा रहा है। अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल ने पीठ को बताया कि 84 कोसी परिक्रमा एक नई शुरुआत है पुरातन काल से अन्य परिक्रमा होती चली आ रही है। उन पर कोई प्रतिबंध नहीं है। यह भी कहा कि यह पारंपरिक परिक्रमा नहीं है इसलिए इसके लिए कराए जाने के आदेश देना गलत है। अदालत ने सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी है।
क्या है 84 कोसी यात्रा मान्यताओं के अनुसार भगवान राम का साम्राज्य 84 कोस के क्षेत्रफल में फैला था। राजा राम के राज्य का नाम कोशलपुर था और अयोध्या उसकी राजधानी थी। कोशालपुर राज्य के 84 कोस के क्षेत्रफल के चलते ही इस परिक्रमा का नाम 84 कोसी परिक्रमा पड़ा। परिक्रमा सीतापुर के नेमिसार से शुरू होकर गोण्डा, बहराइच, बस्ती, बाराबंकी, अम्बेडकर नगर होते हुए रामनवमी के दिन अयोध्या में समाप्त होती है। मान्यताओं के अनुसार इस परिक्रमा के दौरान श्रद्धालु राजा राम के राज्य की 84 कोसी परिक्रमा करने से मोक्ष प्राप्त करते हैं।मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर