आतंकियों के मुकदमे वापसी पर यूपी का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा
उत्तर प्रदेश सरकार ने आतंकियों के मुकदमे वापस लेते हुए अपनी ही पुलिस की चार्जशीट और कार्यप्रणाली पर सवाल उठा दिए हैं। प्रदेश सरकार ने मुकदमे वापस लेने का कारण और आधार बताते हुए जो हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है, उसमें कहीं पर बम विस्फोट के मामले में अभियुक्तों का नाम एफआइआर में न ह
नई दिल्ली [माला दीक्षित]। उत्तर प्रदेश सरकार ने आतंकियों के मुकदमे वापस लेते हुए अपनी ही पुलिस की चार्जशीट और कार्यप्रणाली पर सवाल उठा दिए हैं। प्रदेश सरकार ने मुकदमे वापस लेने का कारण और आधार बताते हुए जो हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है, उसमें कहीं पर बम विस्फोट के मामले में अभियुक्तों का नाम एफआइआर में न होना और मौके से गिरफ्तारी न होना आधार माना गया है। साथ ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ का एजेंट होने के संदेह में गिरफ्तार अभियुक्त से बरामद सामान में स्वतंत्र गवाह का न होना भी मुकदमा वापसी का कारण बताया गया। इसकी अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट आठ मई को करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने गत फरवरी में प्रदेश सरकार से पूछा था कि वह किस आधार पर आरोपियों के मुकदमे वापस लेना चाहती है। उसी आदेश पर सरकार ने यह हलफनामा दाखिल किया है। इसमें प्रदेश भर में बम विस्फोट व अन्य आतंकी गतिविधियों में शामिल 21 अभियुक्तों के मुकदमे वापस लेने का ब्योरा दिया गया है। पहला मामला मार्च 2006 में वाराणसी के दशाश्वमेध में विस्फोटक के साथ कुकर बम पाए जाने के मामले में अभियुक्त शमीम उर्फ सरफराज का है। इसमें कहा गया है कि न तो प्राथमिकी में उसका नाम है और न ही वह मौके से गिरफ्तार हुआ। चार्जशीट में सिर्फ शमीम को अभियुक्त बनाया गया है। इसकी प्राथमिकी के मुताबिक विस्फोटक वाला बैग दो लोगों ने रखा था। पुलिस दूसरे को गिरफ्तार नहीं कर पाई।