परेशान है पाकिस्तान, खिसियाता रहा तुर्की, अमेरिका के फैसले से भारत की बल्ले-बल्ले!
अमेरिका की वजह से तुर्की और पाकिस्तान की जिस डिफेंस डील में रुकावट आई है उससे भारत को राहत की सांस मिलनी जरूरी है। अमेरिकी सांसदों की भी चिंता इस डील पर भारत के हित में ही रही थी।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 18 Mar 2021 06:51 PM (IST)
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। अमेरिका और भारत के संबंध बीते एक दशक में काफी मजबूत हुए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने इन रिश्तों को नया आयाम दिया था इसके बाद बराक ओबामा ने इसको आगे बढ़ाने का काम किया और फिर डोनाल्ड ट्रंप ने भी इन संबंधों को मजबूत करने का काम किया। अब जो बाइडन भी यही कर रहे हैं। हाल ही में क्वाड की बैठक में जिस तरह से सदस्य देशों ने भारत को आगे बढ़ाने का काम किया है उससे कहीं न कहीं चीन और उसके करीबी साथियों को ठेस पहुंची है। वहीं दूसरी तरफ भारत के लिए ये बैठक कई मायनों में बेहतर रही है। इस बैठक के बाद भारत को अपनी वैक्सीन डिप्लोमेसी में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।
अमेरिका की तुर्की को 'ना' भारत और अमेरिकी रिश्तों में सुधार या मजबूती का पैमाना सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे कहीं आगे है। रॉयटर्स के मुताबिक हाल ही में अमेरिका ने एक और बड़ा फैसला भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया है। ये फैसला तुर्की और पाकिस्तान से संबंधित है। इस फैसले के तहत अमेरिका ने तुर्की को T129 Atak हेलीकॉप्टर में लगे इंजन और इसमें लगे अन्य एक कलपुर्जों को, जो अमेरिका में निर्मित हैं, का लाइसेंस देने से इनकार कर दिया है। ये फैसला इसलिए बेहद खास है क्योंकि इसमें भारत का हित जुड़ा है और इस पर अमेरिकी सांसदों की राय भी भारत के हित में ही है।
क्या है डील आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि वर्ष 2018 में तुर्की और अमेरिका के बीच हेलीकॉप्टर डील हुई थी। इसके तहत तुर्की को 30 हेलीकॉप्टर पाकिस्तान को देने थे। लेकिन इन हेलीकॉप्टर्स में अमेरिकी इंजन और कलपुर्जे लगे हैं। इसलिए इस डील को पूरा करने के लिए तुर्की को अमेरिका से लाइसेंस की जरूरत है, जिसको देने से पेंटागन ने साफतौर पर इनकार कर दिया है।
अमेरिकी सांसदों की चिंता इस इनकार के पीछे एक बड़ी वजह अमेरिकी सांसदों की वो चिंता भी है जिसमें उन्हें आशंका है कि इन हेलीकॉप्टर्स का इस्तेमाल पाकिस्तान भारत के खिलाफ कर सकता है और अपनी ग्राउंड अटैक केपेबिलिटी को बढ़ा सकता है। इस डील को पूरा करने के लिए तुर्की बीते दो वर्षों से लगातार प्रयास कर रहा है लेकिन हर बार उसको अमेरिका से मुंह की खानी पड़ी है। इसकी वजह से पहले उसने एक वर्ष का समय पाकिस्तान से मांगा था और फिर अब छह माह का समय और मांगा है। उसको उम्मीद है कि शायद वो अमेरिका से लाइसेंस हासिल कर लेगा। लेकिन जानकारों की राय में ऐसा मुश्किल दिखाई पड़ता है।
एक्सपर्ट व्यू जवाहरलाल नेहरू के प्रोफेसर एचएस भास्कर की राय में अमेरिका न सिर्फ तुर्की से बल्कि पाकिस्तान से भी खासा नाराज है। तुर्की से उसकी नाराजगी की वजह एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर रूस से हुआ करार है। अमेरिका नहीं चाहता है कि तुर्की रूस से ये मिसाइल खरीदे, बावजूद इसके तुर्की अपनी बात पर कायम है। इस डील को खत्म कराने के लिए तुर्की पर अमेरिका की तरफ से नाटो सदस्य देशों का भी दबाव डलवाया गया है। वहीं अमेरिका को कई मुद्दों पर नजरअंदाज करना भी तुर्की को भारी पड़ रहा है। पाकिस्तान को भारत के खिलाफ मुद्दों पर केवल तुर्की, चीन और मलेशिया का साथ मिला है।
मजबूत होंगे अमेरिका-भारत के रिश्ते इसके अलावा कई बार ये दोनों ही देश पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा उठाए जाने वाले कड़े कदमों में रुकावट पैदा करते आए हैं। इसकी वजह से भी अमेरिका की नाराजगी बनी हुई है। प्रोफेसर भास्कर के मुताबिक अमेरिका-भारत संबंधों को जो मजबूती बीते एक दशक में मिली है वो आगे भी कायम रहेगी। अमेरिका को भारत शक्ति और इस क्षेत्र में उसकी अहमियत का अंदाजा है। यही वजह है कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी अमेरिका ने भारत को शामिल किया है, जो पहले नहीं था। मौजूदा फैसले से जहां तुर्की और पाकिस्तान का परेशान होना वाजिब है वहीं भारत के लिए ये अच्छा संदेश है।
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