उत्तराखंड में नदी किनारे भवन निर्माण पर लगी रोक
वाशिंगटन। अमेरिकी खुफिया एजेंसी 38 राजनयिक मिशनों की जासूसी कर रही थी उनमें भारतीय दूतावास भी शामिल था। यह जानकारी अमेरिकी नेशनल सिक्युरिटी एजेंसी [एनएसए] के अति गोपनीय दस्तावेजों से हुआ है जिसे एडवर्ड स्नोडेन ने हाल में जारी किया है। स्नोडेन एनआइए के गोपनीय निगरानी कार्यक्रम प्रिज्म की जानकारी लीक करने वाले सीआइए के पूर्व कर्मचारी हैं।
By Edited By: Updated: Mon, 01 Jul 2013 09:24 PM (IST)
देहरादून, जागरण ब्यूरो। कैबिनेट ने उत्तराखंड में दैवीय आपदा से पीड़ित लोगों के जख्मों को भरने की कोशिश की है। केंद्र सरकार समेत तमाम स्रोतों से मिलने वाली राहत राशि को पारदर्शी तरीके से खर्च करने को उत्तराखंड पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण प्राधिकरण का गठन किया गया है।
आपदा राहत मानकों में ढील देते हुए पहली बार ध्वस्त हुए ढाबों, चाय की दुकानों और होटलों को मुआवजा मिलेगा। आपदा प्रभावित परिवारों से तकरीबन एक साल तक बिजली और पेयजल कर नहीं लिया जाएगा। आपदा के प्रकोप से अनाथ हो गए बच्चों के लालन-पालन और शिक्षा-दीक्षा का खर्च सरकार उठाएगी। प्रभावित परिवारों के इंटर तक अध्ययनरत बच्चों को एकमुश्त 500 रुपये और पालीटेक्निक-आइटीआइ व डिग्री कालेजों के विद्यार्थियों को एक हजार रुपये बतौर सहायता राशि दिए जाएंगे। गन्ने की फसल के नुकसान के एवज में दी जाने वाली राहत राशि में 50 फीसद इजाफा किया गया है। आपदा पीड़ितों को राहत पहुंचाने को राज्य सरकार ने सोमवार को कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। बीजापुर गेस्टहाउस में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बताया कि नवगठित प्राधिकरण पुनर्वास और पुनर्निर्माण में तेजी लाएगा। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में भवनों का निर्माण कैसे हो, आपदा को ध्यान में रखकर सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनाई जाएगी। प्राधिकरण इसकी रूपरेखा तैयार करेगा। इसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। पारदर्शिता रखते हुए सहायता राशि प्राधिकरण के जरिए खर्च होगी। उन्होंने बताया कि नदी किनारे भवन बनाने की अनुमति नहीं होगी। नदियों के मार्ग या उनके किनारों पर नदी के बहाव से क्षतिग्रस्त भवनों के दोबारा निर्माण के लिए भी जिला प्रशासन से मंजूरी लेनी होगी। कैबिनेट ने राहत के मानकों का दायरा बढ़ाने पर मुहर लगा दी। प्राकृतिक आपदा से प्रभावितों को ज्यादा मदद पहुंचाने के वास्ते मानकों में ढील दी गई।
ढाबे-होटल राहत के दायरे में प्रभावित क्षेत्रों में आपदा से तबाह हुए ढाबों को 50 हजार से एक लाख रुपये तक मुआवजा मिलेगा। पूरी तरह क्षतिग्रस्त होटल को दो लाख रुपये दिए जाएंगे। दो से दस लाख रुपये की क्षति होने पर कुल क्षति का 30 फीसद, दस लाख से 20 लाख की क्षति होने पर कुल क्षति का 20 फीसद और 20 लाख से ज्यादा क्षति पर कुल क्षति का 20 फीसद बतौर सहायता दिया जाएगा।
आपदा प्रभावित परिवारों का विद्युत बिल और पेयजल कर माफ करने को हरी झंडी दिखा दी गई। यह छूट एक जून, 2013 से 31 मार्च, 2014 तक मिलेगी। प्रभावित व्यक्तियों को उत्तराखंड सहकारी बैंक या जिला सहकारी बैंकों से ऋण की किश्त का भुगतान एक वर्ष के लिए स्थगित किया गया है। राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिए गए ऋण की किश्तों का भुगतान एक वर्ष के लिए स्थगित करने का अनुरोध केंद्र सरकार से किया जाएगा। यह फैसला चालू वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए लागू होगा। प्रभावित क्षेत्रों में आपदा के कारण अनाथ हुए बच्चों के लालन-पोषण की जिम्मेदारी सरकार ने ली है। आपदा से गन्ने की फसल को हुए नुकसान की भरपाई को राहत धनराशि 50 फीसद अधिक मिलेगी। यह तय किया गया कि भारी वर्षा से कृषि भूमि में आए बालू, मिट्टी या रिवर बैड मैटेरियल को अब किसान खुद निकाल सकेंगे, साथ में बेच भी सकेंगे। इसके लिए उन्हें जिला प्रशासन की अनुमति लेना अनिवार्य नहीं है। उपखनिज चुगान की समय सीमा तीन माह रहेगी। अलबत्ता, जेसीबी या अन्य यांत्रिक माध्यम से इसे निकालने को नियमानुसार मंजूरी लेनी होगी। महीनेभर मुफ्त खाद्यान्न आपदा के चलते संपर्क मार्गो से कट गए गांवों को एक माह तक मुफ्त 15 किलो चावल, 15 किलो आटा, पांच किलो दाल, तीन किलो चीनी, एक लीटर सरसों का तेल, मसाले, नमक, माचिस एवं 10 लीटर केरोसिन उपलब्ध कराया जाएगा। इस सामान के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च जिला प्रशासन उठाएगा। परिवार में पांच सदस्यों के लिए एक पैकेट और पांच से अधिक सदस्यों के लिए दो पैकेट दिया जाएगा। मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर