उत्तराखंड का बवाल संसद सत्र में भी दिखेगा
सोमवार से शुरू हो रहा संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण हंगामेदार हो सकता है। उत्तराखंड की सत्ता को लेकर कांग्रेस और केंद्र के बीच रस्साकसी चल रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । सोमवार से शुरू हो रहा संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण हंगामेदार हो सकता है। उत्तराखंड की सत्ता को लेकर कांग्रेस और केंद्र के बीच रस्साकसी चल रही है। लिहाजा, राज्यसभा में कांग्रेस ने शून्यकाल को निलंबित करने और उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ भर्त्सना प्रस्ताव पारित करने के लिए नोटिस दिए हैं। उधर, केंद्र सरकार ने भी विपक्ष के इस हमले का जवाब देने की तैयारी कर ली है।
संसद के दूसरे चरण को लेकर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आज पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'सभी दलों ने कहा कि वे उपयोगी और कार्यात्मक सत्र चलाने में सहयोग प्रदान करेंगे।' उन्होंने कहा 'सभी दलों ने सूखे का मुद्दा उठाया है, जिस पर लोकसभा में चर्चा की जाएगी। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन का मुद्दा भी उठाया गया है, वित्त विधेयक पर भी चर्चा किए जाने की जरुरत है।' उन्होंने बताया कि यह सत्र 15 दिनों का होगा।
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन बहाल, हाई कोर्ट के आदेश पर लगी अंतरिम रोक
कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और उप नेता आनंद शर्मा ने काम रोको व निंदा प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इनमें लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई उत्तराखंड सरकार को अस्थिर करने के लिए सरकार की सदन में निंदा किए जाने का अनुरोध किया गया है। चूंकि राज्यसभा में विपक्ष के मुकाबले सत्तापक्ष संख्या बल में कमजोर है इसलिए यदि इस विषय पर बहस होती है तो सरकार इसके लिए तैयार हो सकती है। मामला केवल इस बात पर फंस सकता है कि बहस किस नियम के तहत हो।
वैसे शर्मा ने नियम 267 के तहत नोटिस दिया है। इसमें राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी से उत्तराखंड सरकार को अस्थिर करने तथा राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए मोदी सरकार की भर्त्सना करने का प्रस्ताव पारित करने की गुजारिश की है।
प्रस्ताव में कहा गया है, 'सदन लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई उत्तराखंड सरकार को अन्यायपूर्ण ढंग से अस्थिर करने तथा वहां संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने की निंदा करता है।' उधर संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया कि अगर कांग्रेस हंगामा करती है तो सरकार की उनके भी उनके भूगोल और इतिहास का खुलासा करने से परहेज नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन काल में भी ऐसे प्रकरण कई बार देखे गए हैं।
रावत सरकार की बर्खास्तगी तथा राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद से ही कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार के विरुद्ध हमलावर रुख अपना रखा है। केंद्र के विरुद्ध जनसमर्थन जुटाने के लिए पार्टी ने 'लोकतंत्र बचाओ, उत्तराखंड बचाओ' अभियान छेड़ रखा है।
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के विरुद्ध हाईकोर्ट के निर्णय पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन आदेश देने व राष्ट्रपति शासन को बहाल कर दिया था। उत्तराखंड तथा उससे पहले अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को कांग्रेस संघीय ढांचे पर हमले के रूप में प्रचारित करने का प्रयास कर रही है। उसे उम्मीद है कि अनेक विपक्षी दल इस मसले पर सरकार को घेरने में उसका साथ देंगे। सोमवार से शुरू संसद के बजट सत्र का दूसरा भाग 13 मई तक चलेगा।
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जीएसटी व शत्रु संपत्ति बिल भी अहम
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) बिल, शत्रु संपत्ति बिल, रेलवे विनियोग बिल और वनीकरण कोष बिल भी संसद के इस सत्र में अहम होंगे। केंद्र का राज्यसभा में इन्हें पारित कराने पर पूरा जोर होगा। वहीं, वित्तीय मामलों के साथ ही लोकसभा में विभिन्न मंत्रालयों की ग्रांट की मांग पर चर्चा होगी। लोकसभा में सिख गुरुद्वारा संशोधन बिल भी लाया जा सकता है। फैक्ट्री संशोधन बिल, बिजली संशोधन बिल और इंडियन मेडिकल काउंसिल संशोधन बिल पर भी विचार होगा।