उत्तराखंड का सियासी संकट: बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त
दिल्ली से लेकर देहरादून तक दिनभर चलीं तमाम सियासी पेशबंदी और राष्ट्रपति शासन के आसार के बीच विधान सभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल शनिवार रात दस बजे विधान भवन पहुंचे और विधायकों के उत्तरों का परीक्षण किया। कुंजवाल ने अर्द्धरात्रि को बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी। लेकिन इसकी
देहरादून। दिल्ली से लेकर देहरादून तक दिनभर चलीं तमाम सियासी पेशबंदी और राष्ट्रपति शासन के आसार के बीच विधान सभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल शनिवार रात दस बजे विधान भवन पहुंचे और विधायकों के उत्तरों का परीक्षण किया। कुंजवाल ने अर्द्धरात्रि को बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी। लेकिन इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई है। हालांकि इससे पहले राज्य के मंत्री इंदिरा हृदेश ने बागी विधायकों को फिलहाल सस्पेंड न करने की बात कही थी। उन्होंने बागी विधायकों को सस्पेंड किए जाने की खबरों को कोरी अफवाह तक करार दिया था। उनके मुताबिक विधानसभा स्पीकर ने बागी विधायकों के वकील को रविवार सुबह नौ बजे तक का समय दिया है आगे की सुनवाई के लिए।
इससे पूर्व सरकार से बगावत करने वाले नौ विधायकों के अधिवक्ताओं ने विधान सभा पहुंचकर अध्यक्ष के सामने जवाब दाखिल किए। सुनवाई करीब ढाई घंटे तक चली। बागी विधायकों के पैरोकार दल बदल कानून के तहत दिए नोटिस में लगे तमाम आरोपों के बाबत सभी अभिलेख दिखाने और व्यक्तिगत सुनवाई का मौका नहीं दिए जाने से संतुष्ट नहीं दिखे।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी शनिवार शाम स्पीकर से मुलाकात कर दल बदल कानून के तहत कार्रवाई की मुख्य सचेतक की याचिका का समर्थन किया। उन्होंने नौ विधायकों की सदस्यता निरस्त कर उनके विधानसभा क्षेत्र रिक्त घोषित करने पर जोर दिया था। इस बीच देर रात बागी विधायकों के आवासों पर आइटीबीपी तैनात कर दी गई है। एसएसपी सदानंद दाते ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि उक्त कार्रवाई केंद्र के निर्देशों पर हुई है।
उत्तराखंड की सियासी बिसात
उत्तराखंड विधान सभा अध्यक्ष ने अगर कांग्रेस के बागी नौ विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी है तो जादुई आंकड़ा एक बार फिर मुख्यमंत्री हरीश रावत के पक्ष में होगा। उत्तराखंड विधानसभा के मौजूदा निर्वाचित सदस्य 70 हैं। इनमें नौ की सदस्यता समाप्त हो जाने पर शेष सदस्यों की संख्या रह जाएगी 61 और कांग्रेस के 27। छह विधायक सत्तारूढ़ कांग्रेस को समर्थन दे रहे हैं, इनमें दो बसपा, तीन निर्दल और एक उक्रांद का है। इस तरह कांग्रेस 33 विधायकों के सहारे अपनी सरकार बचाने में कामयाब हो सकती है, बशर्ते केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन लागू करने के विकल्प पर अमल न करे। मौजूदा समय में असेंबली में कांग्रेस-27, भाजपा-28, निर्दलीय-3, बसपा-2, उक्रांद-1, मनोनीत सदस्य-1 सदस्य हैं।
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