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अंतिम दौर में बचाव अभियान, एक लाख से ज्यादा निकाले गए, अब बदरीनाथ की बारी

उत्तराखंड में आपदा से प्रभावित लोगों को बचाने का अभियान अंतिम दौर में पहुंच चुका है। करीब एक लाख चार हजार लोग आपदाग्रस्त इलाके से निकाले जा चुके हैं लेकिन अभी भी हजारों आंखें सूनी हैं। सूना है घर-द्वार, जहां किसी की आमद का बेसब्री से इंतजार है।

By Edited By: Updated: Fri, 28 Jun 2013 06:05 AM (IST)

देहरादून, जागरण न्यूज नेटवर्क। उत्तराखंड में आपदा से प्रभावित लोगों को बचाने का अभियान अंतिम दौर में पहुंच चुका है। करीब एक लाख चार हजार लोग आपदाग्रस्त इलाके से निकाले जा चुके हैं लेकिन अभी भी हजारों आंखें सूनी हैं। सूना है घर-द्वार, जहां किसी की आमद का बेसब्री से इंतजार है। आपदा में प्रियजनों को गंवा चुके तमाम घरों में मातम पसरा हुआ है तो बहुत सी चहारदीवारियों में अनहोनी की आशंका घर कर गई है, जो बीतते समय के साथ गहराती जा रही है। देहरादून के राहत शिविरों में हाथ में फोटो लिए भटक रहे हजारों लोगों की आंखें भी उम्मीद की लौ मद्धिम पड़ने की गवाही दे रही हैं। राज्य सरकार के पास अभी तक तीन हजार लोगों के लापता होने की जानकारी ही पहुंची है।

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उत्तराखंड में मौसम मेहरबानी के संकेत दे रहा है। ऐसे में शुक्रवार और शनिवार बचाव की दृष्टि से महत्वपूर्ण होंगे। गंगोत्री गए सभी श्रद्धालुओं को बृहस्पतिवार को निकाल लिया गया, अब बदरीनाथ में करीब तीन हजार लोग बचे हैं जिन्हें निकालकर उनके घर के लिए रवाना किया जाना है। पिथौरागढ़ में भी खतरनाक स्थानों पर फंसे कुछ सौ लोग निकालने शेष हैं। वहां पर भी बादल फटा था और बृहस्पतिवार को वहां भूकंप के हल्के झटके भी महसूस किए गए। इसके अतिरिक्त रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के चार सौ से ज्यादा गांवों के लोगों का बुरा हाल है। ग्रामीण और उनके मवेशी तमाम तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। लाशों के खराब होने से केदारनाथ इलाके का वातावरण दूषित हो गया है। महामारी के अंदेशे के चलते स्वास्थ्य विभाग ने इलाके के लोगों को नदी का पानी न पीने की हिदायत दी है। बृहस्पतिवार को भी 15 अज्ञात शवों के अंतिम संस्कार की सूचना है।

गंगोत्री के निकट स्थित हर्षिल से बृहस्पतिवार को सभी लोगों को निकाल लिया गया। इसी के साथ केदारनाथ, यमुनोत्री के बाद गंगोत्री धाम में फंसे श्रद्धालुओं को निकाल लेने का सरकार दावा कर सकती है। प्रभावित इलाकों में रह-रहकर होती वर्षा के बीच बदरीनाथ से बृहस्पतिवार को एक हजार लोग निकाले गए। वहां के लिए शुक्रवार को 14 हेलीकॉप्टर लगेंगे। रेलवे ने शुक्रवार से आपदाग्रस्त लोगों के लिए विशेष ट्रेन का संचालन बंद करने का फैसला किया है। 21 जून से आपदाग्रस्त लोगों के लिए प्रतिदिन तीन ट्रेन चलाई जा रही थीं। अब नियमित ट्रेनों में ही अतिरिक्त कोच लगाकर आपदाग्रस्त लोगों को सुविधा दी जाएगी।

सीमा सड़क संगठन और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों ने सड़कों को ठीक करने का काम बृहस्पतिवार को भी जारी रखा। इस कार्य में राज्य की एजेंसियां भी सक्रिय हैं। इसके चलते तेजी से सड़क, बिजली, पानी और संचार सेवाएं बहाल हो रही हैं। सेना ने इस दौर में अहम भूमिका अदा की है। थल सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह शुक्रवार को जवानों की पीठ ठोंकने उत्तराखंड जा सकते हैं। खराब मौसम के चलते केदारनाथ में अज्ञात लोगों के शवों के अंतिम संस्कार का कार्य बृहस्पतिवार को भी धीमा रहा। इस कार्य की देखरेख कर रहे पुलिस के डीआइजी संजय गुंज्याल के अनुसार सभी शवों का पोस्टमार्टम करने, पहचान चिह्न सुरक्षित करने और डीएनए नमूना लेने के बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। विदित हो कि बुधवार को 18 शवों का अंतिम संस्कार किया गया था। जानवरों और मनुष्यों के शव बड़ी संख्या में खुले में और नदी-नालों के किनारों पर पड़े होने की वजह इलाके में महामारी फैलने का खतरा पैदा हो गया है। केदारनाथ इलाके में लोगों को डायरिया होने की शिकायत पहले ही आ चुकी है। राज्य सरकार का दावा है कि केंद्र सरकार के सहयोग से उसका स्वास्थ्य विभाग स्थितियों से निपटने में लगा हुआ है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. योगेश शर्मा ने कहा कि किसी भी जिले में अब तक महामारी जैसी स्थिति के लक्षण नहीं है। प्रदेश में संक्रामक या जल जनित बीमारियां न फैलें, इसके लिए चूना व ब्लीचिंग पाउडर के छिड़काव, जलस्रोतों के क्लोरीनेशन जैसे एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। लापता लोगों की सूचना के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित मिसिंग सेल के प्रभारी अजय प्रद्योत ने जानकारी दी कि अभी तक तकरीबन तीन हजार लोगों के लापता होने की सूचना मिली है।

उप्र में बहकर आए दस शव और मिले

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों से होकर बह रही गंगा और उसकी सहायक नदियों से लावारिस लाशों का मिलना जारी है। पिछले 24 घंटों में दस शव और मिले हैं। माना जा रहा है कि ये लाशें उत्तराखंड त्रासदी की हैं, जो पानी के बहाव में बहकर आई हैं। इलाहाबाद में गंगा नदी से छह शव बरामद हुए हैं, जबकि मुजफ्फरनगर और हापुड़ से दो-दो शव मिले हैं। हाल के दिनों में इस प्रकार से कुल 26 लावारिस शव बरामद हो चुके हैं।

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