अति महत्वाकांक्षा के शिकार हुए वरुण
लोकसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की प्रशंसा कर पार्टी को असहज करने वाले भाजपा नेता वरुण गांधी की अति महत्वाकांक्षा उनके आड़े आ गई। खासतौर पर उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनने की चर्चा का खामियाजा उन्हें संगठन से महासचिव पद खोकर भरना पड़ा।
By Edited By: Updated: Sun, 17 Aug 2014 10:21 AM (IST)
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। लोकसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की प्रशंसा कर पार्टी को असहज करने वाले भाजपा नेता वरुण गांधी की अति महत्वाकांक्षा उनके आड़े आ गई। खासतौर पर उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनने की चर्चा का खामियाजा उन्हें संगठन से महासचिव पद खोकर भरना पड़ा।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले वरुण की मां व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के उस बयान ने राजनीति गरमा दी थी, जिसमें उन्होंने वरुण के उप्र के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार होने की आशा जताई थी। दरअसल ढ़ाई तीन साल बाद होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर अभी केंद्रीय नेतृत्व ने मन ही नहीं बनाया है। दूसरी तरफ यह चर्चा भी तेज है कि वरुण कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से अपना पारिवारिक रिश्ता प्रगाढ़ कर रहे हैं। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार कुछ दिन पहले तीनों ने इकट्ठे बैठकर एक रेस्त्रां में डिनर भी किया है। पारिवारिक रिश्तों को निभाने तक तो सही है, लेकिन सूत्रों की मानी जाए तो जिस तरह वरुण ने राहुल की प्रशंसा की थी, उसके बाद पार्टी थोड़ी आशंकित हो गई है। ठीक चुनाव के वक्त वरुण ने अमेठी में विकास कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा था कि वह भी अपने क्षेत्र में वैसे ही विकास करेंगे। पार्टी के लिए बयान इसलिए असहज था क्योंकि अमेठी में भाजपा ने पहली बार मजबूती से चुनाव लड़ने का फैसला किया था। बतौर प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी भी वहां भाजपा उम्मीदवार का प्रचार करने गए थे। यूं तो यह बयानबाजी और अटकल अभी भी जारी है कि वरुण को उत्तर प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने ढ़ाई साल बाद होने जा रहे राज्य विधान सभा चुनाव से पहले ही उन्हें संगठन से हटाकर अपना रुख साफ कर दिया है। पढ़ें: शाह की टीम में वरुण नहीं पढ़ें: संगठन में बड़े बदलाव के लिए अच्छे दिनों के इंतजार में कांग्रेस