अमित शाह भी वसुंधरा की सफाई से हैं असंतुष्ट
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज विवाद से जूझ रही केंद्र सरकार और भाजपा को राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और ललित मोदी के संबंधों के नए खुलासों ने भाजपा नेतृत्व को चिंतित कर दिया है। सरकार और पार्टी नेतृत्व को वसुंधरा का मामला रास नहीं आ रहा।
By Murari sharanEdited By: Updated: Thu, 18 Jun 2015 10:19 AM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज विवाद से जूझ रही केंद्र सरकार और भाजपा को राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और ललित मोदी के संबंधों के नए खुलासों ने भाजपा नेतृत्व को चिंतित कर दिया है। सरकार और पार्टी नेतृत्व को वसुंधरा का मामला रास नहीं आ रहा।
छवि को लेकर सतर्क केंद्रीय नेतृत्व अब और बचाव के लिए तैयार नहीं। लिहाजा वसुंधरा को खुद ही अपने लिए राह आसान करनी होगी, वरना उनके लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जबकि सुषमा के मामले में नए व आपत्तिजनक रहस्योद्घाटन नहीं हुए तो सरकार उनके साथ खड़ी दिखेगी। किसी भी कीमत पर सरकार मानसून सत्र को इस विवाद की छाया से बचाकर रखना चाहती है। सुषमा विवाद पर शीर्ष नेतृत्व एकजुट दिखा। लेकिन उनके बाद तुरंत बाद वसुंधरा और उनके सांसद पुत्र दुष्यंत के साथ ललित मोदी के रिश्तों के खुलासों ने पार्टी को डरा दिया है। यह आशंका बढ़ने लगी है कि एक साल के भ्रष्टाचार मुक्त और अच्छी छवि के शासन पर धब्बा न लगे।केंद्रीय स्तर पर नहीं हुई कवायद :
सूत्र बताते हैं कि ललित मोदी के रहस्योद्घाटन के बाद वसुंधरा ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से फोन पर बात कर सफाई दी थी। लेकिन शाह शायद वसुंधरा की सफाई से संतुष्ट नहीं हैं। यही कारण है कि बुधवार को भी वसुंधरा के बचाव में केंद्रीय स्तर से कोई कवायद नहीं हुई।राजे पर कठिन फैसला भी संभव
वसुंधरा का मामला केंद्रीय स्तर से यह कहकर टाल दिया गया है कि वह राज्य का मसला है। सबकुछ वसुंधरा पर छोड़ दिया गया है कि वह जवाब दें। जाहिर है कि वसुंधरा राजे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। केंद्र सरकार इसमें शामिल होकर खुद पर कोई दाग लेने को तैयार नहीं है। वसुंधरा स्पष्ट जवाब देकर साफ निकलीं तो ठीक वरना कठिन फैसला लेना पड़ सकता है।सुषमा मामले में बात कुछ अलग थी सुषमा मामले को थोड़ा अलग करते हुए पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ललित मोदी प्रकरण से सरकार और पार्टी की छवि पर आंच आने लगी थी। लेकिन दबाव में झुककर सरकार यह संदेश देना नहीं चाहती थी कि उसने दोष माना है। सुषमा की ओर से इतनी सावधानी बरती गई थी कि ललित मोदी को ट्रैवल डाक्यूमेंट देने के लिए ब्रिटेन से सब कुछ कानूनी दायरे में करने की सिफारिश की थी। वह भी सिर्फ मानवीय आधार पर।आगे आना पड़ सकता है सुषमा को ब्रिटेन में सुषमा स्वराज की ललित मोदी से मुलाकात के सवाल का जवाब सुषमा के करीबी यह कह कर दे रहे हैं कि मुलाकात व्यक्तिगत नहीं थी बल्कि वे एक डिनर पार्टी में मिली थीं। सूत्रों का संकेत है कि जरूरत हुई तो सुषमा को भी अब अपने बचाव में खुद सामने आना पड़ेगा। मानसून सत्र के लिए चिंतित दरअसल, विपक्षी तेवर को देखते हुए सरकार और पार्टी मानसून सत्र को लेकर भी चिंतित है। मानसून सत्र सरकार के लिए अहम है जिसमें भूमि संशोधन विधेयक भी पारित कराया जाना है। लगभग उसी वक्त बिहार चुनाव भी है और पार्टी विपक्ष को ऐसा कोई मुद्दा नहीं देना चाहती है जिससे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में भाजपा का तर्क कमजोर पड़ता दिखाई दे।