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विज्ञान से बड़ा है वेद: मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने आज यहां कहा कि विज्ञान से अधिक सत्य वेद बताते हैं। आज का विज्ञान वेदों में बताए गए विज्ञान की ऊंचाइयों को नहीं छू पाया है।

By Sudhir JhaEdited By: Updated: Thu, 24 Sep 2015 02:11 AM (IST)
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वृंदावन,जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने आज यहां कहा कि विज्ञान से अधिक सत्य वेद बताते हैं। आज का विज्ञान वेदों में बताए गए विज्ञान की ऊंचाइयों को नहीं छू पाया है।

रुक्मिणी विहार क्षेत्र में संत श्री ज्ञानेश्वर वेद विद्यालय भवन के उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि भागवत ने कहा कि मनुष्य के हृदय में ये कौतूहल बना हुआ है कि आखिर संसार है क्या? सृष्टि की रचनाएं, सभ्यता एवं संस्कृति के विकास का क्रम कैसे और किस प्रकार बना। सृष्टि का विनाश कब, कैसे और किस रूप में होने वाला है? इन सवालों का जवाब शायद ही विज्ञान दे पाए।

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संघ प्रमुख ने कहा कि वेद ज्ञान का वो प्रकाश पुंज है, जिससे अखंड, अनंत, अपरिमित ज्ञान बोध होता है। जिसको सृष्टि के ऋषियों ने आत्मसात किया था। विश्व की प्राचीनतम मानव सभ्यता के युग से आधुनिक सभ्यता, संस्कृति एवं वैज्ञानिक आविष्कारों का मुख्य आधार भूमंडल में स्थित प्रमुख चार अवयव जल, अग्नि, वायु और मृदा हैं। इन चारों वस्तुओं का विषद ज्ञान ही वेद है।

स्वामी विवेकानंद के एक कथन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक भारत के कण-कण में धर्म जीवित है, तब तक भारत को मिटाने वाला दुनिया में कोई नहीं है। आगामी 25 साल में हमें देश के हर व्यक्ति के मन में वेद को व्याप्त करना है। कार्यक्रम में हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि धीरे-धीरे दुनिया में कई देशों की पहचान मिट गई।

अंग्रेजों और मुगल आक्रांताओं ने भारत की पहचान को भी मिटाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए। आज भारत विश्व गुरु बनने की राह पर है। इस देश की पहचान यहां की संस्कृति, वेदों और गीता में बताई गई जीवन पद्धति से है। भारत माता मंदिर, हरिद्वार के संस्थापक महामंडलेश्वर सत्यमित्रानंद गिरि कहा कि वेद बिना मति नहीं, गाय बिना गति नहीं। हम इन दोनों का विरोध करने वालों को भी सात्विक बना देंगे।

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