विजय माल्या देश से 'फरार' लेकिन तेवर पुराना बरकरार
देश की सारी जांच एजेंसियां भले ही पीछे पड़ी हो, भले ही आम कर दाता के अरबों रुपये को हड़पने की कोशिश की हो लेकिन इसके बावजूद उद्यमी विजय माल्या के तेवर ढीले नहीं हुए हैं।
By Rajesh KumarEdited By: Updated: Fri, 11 Mar 2016 10:42 PM (IST)
नई दिल्ली। देश की सारी जांच एजेंसियां भले ही पीछे पड़ी हो, भले ही आम कर दाता के अरबों रुपये को हड़पने की कोशिश की हो लेकिन इसके बावजूद उद्यमी विजय माल्या के तेवर ढीले नहीं हुए हैं। भारत से नौ दिन पहले लंदन जा चुके माल्या ने ट्विटर के जरिए न सिर्फ सफाई दी बल्कि उनकी गतिविधियों पर सवाल उठाने के लिए मीडिया को भी आड़े हाथों लिया। कर्ज वसूली के लिए पीछे पड़े बैंकों को भी माल्या ने आईना दिखाने की कोशिश की और कहा कि उनकी संपत्तियों के बारे में बैंकों को पहले से पता था।
अपने ऊपर लगातार लग रहे आरोपों और भारत में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनने के बाद विजय माल्या ने ट्विटर के जरिए अपनी चुप्पी तोड़ी। अपने सबसे पहले ट्विट में उन्होंने एक निजी टीवी चैनल के एडिटर पर अपनी भड़ास निकाली। इसके बाद उन्होंने लिखा कि, ' मैं एक अंतरराष्ट्रीय कारोबारी है और अक्सर कारोबार के सिलसिले में मुझे बाहर जाना पड़ता है। मैं न तो भगोड़ा हूं और न ही बाहर से भागा हूं।' इसके बाद उनका ट्वीट आया, 'मैं एक भारतीय सांसद हूं और भारत के हर कानून का पालन करता हूं। भारतीय न्यायव्यवस्था न सिर्फ मजबूत है बल्कि बहुत आदरणीय भी है। लेकिन मीडिया ट्रायल नहीं होनी चाहिए।'ये भी पढ़ें- ये हैं वो तीन बिजनेस टायकूंस, जो आरोपों के बावजूद बेरोक-टोक विदेश भागे माल्या ने एक ट्वीट कर यह कहा कि क्या बैंकों को मेरी संपत्ति के बारे में पता नहीं था या उन्होंने संसद में अपनी परिसंत्तियों के बारे में मैंने जो जानकारी दी है उसकी पड़ताल उन्होंने नहीं की।
माल्या के इस तेवर के बावजूद उनके खिलाफ जो माहौल बना है उसमें नरमी के संकेत नहीं हैं। जांच एजेंसियों ने माल्या की कंपनी के स्तर पर कर्ज हासिल करने और उसके इस्तेमाल में जो गड़बड़ी हुई है उसके तह में जाने की शुरुआत कर दी है। तो दूसरी तरफ डियाजिओ ने भी कहा है कि वह कर्ज वसूली को लेकर ऋण वसूली प्राधिकरण (डीआरटी) के आदेशों का अध्ययन कर रही है। ब्रिटिश कंपनी डियाजियो ने विजय माल्या की कंपनी यूनाइटेड स्पि्रट को खरीदा था। माल्या इस कंपनी के अभी भी चेयरमैन थे। उन्हें इस पद से हटाने के लिए 7.50 करोड़ डॉलर (लगभग 515 करोड़ रुपये) देने का करार हुआ था। कंपनी ने यह स्वीकार किया है कि माल्या को 4 करोड़ डॉलर की राशि का भुगतान हो चुका है। सनद रहे कि पिछले सोमवार को डीआरटी ने डियाजियो को यह निर्देश दिया था कि जब माल्या को दी जाने वाली राशि का भुगतान नहीं किया जाए।
उधर, विजय माल्या को लेकर देश में राजनीति भी थमती नजर नहीं आ रही है। कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी भी केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश करती दिख रही है। आप ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने जान बूझ कर माल्या को विदेश भागने दिया। हालांकि नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि माल्या एक नेक व्यक्ति हैं और वह जल्द ही देश लौटेंगे और अपने उपर लगे आरोपों का जवाब देंगे।