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अस्सी की उम्र में तालाब खोदने में जुटे सियाराम

कहते हैं हिम्मते मरदा, मददे खुदा। लेकिन छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के 80 साल के बुजुर्ग सियाराम उइके की हिम्मत ऐसी कि उन्हें किसी इंसान तो क्या खुदा की भी मदद की भी जरूरत नहीं। उम्र के इस पड़ाव पर वह पिछले तीन साल से अकेले दम पर गांव में एक तालाब खोदने में लगे हुए हैं।

By Edited By: Updated: Wed, 19 Feb 2014 10:45 AM (IST)

[आदित्य शर्मा], कांकेर। कहते हैं हिम्मते मरदा, मददे खुदा। लेकिन छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के 80 साल के बुजुर्ग सियाराम उइके की हिम्मत ऐसी कि उन्हें किसी इंसान तो क्या खुदा की भी मदद की भी जरूरत नहीं। उम्र के इस पड़ाव पर वह पिछले तीन साल से अकेले दम पर गांव में एक तालाब खोदने में लगे हुए हैं। सुबह फावड़े के साथ शुरू हुई उनकी दिनचर्या शाम को थमती है। तालाब निर्माण का आवेदन पंचायत द्वारा नामंजूर कर दिए जाने के बाद उन पर यह जुनून सवार हुआ। आज इस तालाब का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।

ग्राम नेड़गांव निवासी सियाराम की इस जिजीविषा की पूरे इलाके में तारीफ हो रही है। उनके पांच बेटे, चार बेटियां और बीस नाती-पोते हैं। भरे-पूरे परिवार के मुखिया होने के बावजूद वे तालाब खोदने के इस काम में परिवार की भी मदद नहीं लेते। उन्होंने ठान ली है कि जब तक जिंदगी है, वह निरंतर तालाब खोदते रहेंगे और इसे पूरा करके ही दम लेंगे। सियाराम ने गरीबी रेखा में होने की दलील के साथ पंचायत के माध्यम से 2010 में शासन को तालाब बनाने का आवेदन दिया था पर उनका आवेदन निरस्त कर दिया गया।

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