आय से अधिक संपत्ति के मामले में वीरभद्र सिंह पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को यूं ही नहीं अपनी सरकार की बर्खास्तगी का डर सता रहा है। दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आय से अधिक संपत्ति मामले में वीरभद्र के फर्जीवाड़े की तह तक पहुंच चुका है। उन्हें पूछताछ के लिए किसी भी समय बुलाया जा सकता है।
By Rajesh KumarEdited By: Updated: Tue, 29 Mar 2016 10:18 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को यूं ही नहीं अपनी सरकार की बर्खास्तगी का डर सता रहा है। दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आय से अधिक संपत्ति मामले में वीरभद्र के फर्जीवाड़े की तह तक पहुंच चुका है। उन्हें पूछताछ के लिए किसी भी समय बुलाया जा सकता है। ईडी के अधिकारी पूछताछ के दौरान उनकी गिरफ्तारी की आशंका से भी इन्कार नहीं कर रहे हैं। दिल्ली हाई कोर्ट पहले ही गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इन्कार कर चुका है।
दरअसल, इस्पात मंत्री रहते हुए बनाई गई आय से अधिक संपत्ति को सही ठहराने के लिए वीरभद्र ने जून 2008 में सेब बेचने का करार किया। ईडी ने जब मामले की जांच की, तो पता चला कि जिस स्टांप पेपर पर करार किया गया, उसकी छपाई नासिक प्रिटिंग प्रेस में सितंबर 2008 में हुई थी। यानी स्टांप पेपर छपने से तीन महीने पहले ही वीरभद्र ने उस पर करार भी कर लिया।ये भी पढ़ें- केंद्र के निशाने पर अब हिमाचल की सरकार: वीरभद्र सिंह ईडी के पास फर्जीवाड़े का यह सबसे बड़ा सुबूत है। हैरानी की बात है कि जून 2008 के इस समझौते की ओर वीरभद्र का ध्यान पूरे चार साल बाद 2012 में गया। इसके बाद उन्होंने आयकर विभाग में इसके आधार पर संशोधित आयकर रिटर्न भरा।
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वीरभद्र सिंह का झूठ पकड़े जाने और ठोस सुबूत मिलने के बाद उनकी संपत्तियों को जब्त करने का काम शुरू किया गया। पिछले हफ्ते उनकी आठ करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। इनमें ग्रेटर कैलाश-एक का एक मकान, एलआइसी पालिसी और बैंक में जमा रुपये शामिल हैं। इसके साथ ही उनकी अन्य संपत्तियों का पता लगाया जा रहा है। ईडी इस मामले की मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत जांच कर रही है। इस कानून के तहत ईडी को अवैध तरीके से बनाई गई संपत्तियों को जब्त करने और आरोपी को गिरफ्तार करने का अधिकार है। वैसे सीबीआइ भी इस मामले की भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत जांच कर रही है।
यह है मामला 2008-09 से 2011-12 के बीच केंद्रीय इस्पात मंत्री रहते हुए वीरभद्र ने आयकर रिटर्न में अपने परिवार की आमदनी 47.35 लाख दिखाई थी। लेकिन बाद में संशोधित आयकर रिटर्न में उन्होंने इसे 6.57 करोड़ कर दिया। मजेदार बात यह है कि इनमें से अधिकांश आमदनी सेब के बगीचे से हुई थी। पुराने आयकर रिटर्न में इस बगीचे से आमदनी सात से 15 लाख रुपये सालाना की थी। लेकिन बाद में इसे करोड़ों रुपये सालाना दिखाया गया।