'आप' के अंदाज से आहत कार्यकर्ताओं ने सोशल साइट्स पर निकाली भड़ास
आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जो कुछ हुआ उससे पार्टी की साख को न सिर्फ धक्का पहुंचा है बल्कि आम कार्यकर्ता भी मायूस है और खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। नाराजगी का आलम ये है कि राष्ट्रीय परिषद की बैठक का फैसला पार्टी
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जो कुछ हुआ उससे पार्टी की साख को न सिर्फ धक्का पहुंचा है बल्कि आम कार्यकर्ता भी मायूस है और खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। नाराजगी का आलम ये है कि राष्ट्रीय परिषद की बैठक का फैसला पार्टी वेबसाइट पर डालने के कुछ घंटों के भीतर ही हजारों प्रतिक्रियाएं आईं। अधिकांश ने फैसले की आलोचना की तो कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने 'आप' और अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया। प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, प्रो. आनंद कुमार और अजीत झा को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर निकाले जाने के फैसले के फौरन बाद कार्यकर्ताओं और आम जनता की तीखी प्रतिक्रियाएं आईं।
हकीकत पता नहीं पर आहत हूंः चंद्रराज
चंद्रराज सिंह बघेल खुद को पार्टी का साधारण कार्यकर्ता बताते हुए लिखते हैं कि पता नहीं सच क्या है, लेकिन पूरे घटनाक्रम से आहत हूं। और अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा हूं।
क्या स्वराज की व्याख्या बदल गईः मनोज
मनोज झा कुछ इस अंदाज में सवाल उठाते हैं कि क्या स्वराज की व्याख्या बदल गई है । 'स्वयं' का राज।
मनोज की जिम्मेदारी आप परः विकास
विकास बर्नवाल लिखते हैं कि वर्ल्ड कप खत्म हो गया। अब आईपीएल खत्म होने तक देश का मनोरंजन करने की जिम्मेदारी आम आदमी पार्टी के कंधों पर है।
कुमार के सुर बदल गए हैंः निखिल
चुनाव से पहले कुमार विश्वास के हर एक टीवी चैनल को अपने इंटरव्यू में दिए गये प्रवचन - '' भाजपा में अगर कोई नरेंद्र मोदी के खिलाफ आवाज उठाएगा तो दूसरे ही दिन पार्टी से बाहर कर दिया जाएगा , कांग्रेस में अगर कोई राहुल गांधी के खिलाफ आवाज उठाएगा तो दूसरे ही दिन पार्टी से बाहर कर दिया जाएगा , अकेली आम आदमी पार्टी ऐसी पार्टी है जिसमें की बड़े से बड़ा नेता और छोटे से छोटा कार्यकर्ता तक अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ अगर आवाज उठाएगा तो उसकी पूरी बात को सुना जाएगा और स्वयं में सुधार किया जाएगा लेकिन उसे पार्टी से बाहर कतई नहीं किया जायेगा। उस कुमार विश्वास के सुर आज बदल गए हैं। पोरिया कहते हैं हाथी के दांत खाने के अलग होते हैं और दिखाने के अलग।
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कथनी और करनी में अंतरः सुभाष
सुभाष कट्टी कहते हैं कि केजरीवाल की कथनी और करनी में बहुत अंतर है। लोग जब ऐसा कहते थे तो उन्हें विश्वास नहीं होता था, लेकिन अब लगता है कि वे सही थे। केजरीवाल के बारे में एक ही बात कही जा सकती है कि विनाश काले विपरीत बुद्धि।
इसे कहते हैं तानाशाहीः इमरान
इमरान अंसारी कहते हैं कि लोकपाल के मुद्दे पर बनी पार्टी और सत्ता में आई पार्टी ने अपने खुद के " आंतरिक लोकपाल " तक को मीटिंग में आने पर प्रतिबन्ध लगा दिया। वाह तानाशाह वाह जी ..कथनी और करनी का सबसे ताज़ा उदाहरण। इमरान कहते हैं कि अरविन्द आप ईमानदार हो सकते हो परन्तु आपके इस व्यव्हार से ये तो पता चल गया की आप एक दम्भी इंसान हो। आपने रामलीला मैदान में " अहंकार " ना करने की कसम दिलाई थी परन्तु प्रशांत और योगेन्द्र से ना मिलना किस " श्रेणी " रखोगे ?
ऐसा होता है आम आदमीः अपूर्वा
आम आदमी कैसा होता है? आम आदमी हमेशा अपने को सही और दूसरे को गलत ठहराता है। आम आदमी हमेशा दूसरों के फटे में टांग अडाएगा पर कोई अन्य उसके फटे में घुसे तो चिल्लाने लगेगा। आम आदमी अपनी गलती नहीं देखता। आम आदमी खुराफात करने में ज्यादा मन लगाता है। आमतौर पर आम आदमी सभी स्थानों पर पाया जाता है पर दिल्ली में बहुतायत है।
आप में अरविंद की हिटलर नीतिः आरिफ
आप के बवाल से आरिफ हुसैन इतने बुझ गए हैं कि वे पार्टी को गालियां देते हुए अपना डोनेशन लौटाने की मांग करते हैं। ऐसे ही एक समर्थक मोहम्मद आरिफ कहते हैं कि आप में अरविंद की हिटलर नीति चल रही है। संविधान की बात करने वाले लोग ही आज संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं। अरविंद मौकापरस्त निकले।
अब कहां गए आदर्शः रामगोपाल
रामगोपाल बिश्नोई अपने पोस्ट में लिखते हैं कि आप ने अपने चारों बुद्धिजीवी चिंतकों को कूड़ेदान में फेंक दिया। कहां गए आप के आदर्श, लक्ष्य और वादे। शायद आप हिटलरशाही की ओर बढ़ रही है।
आप अब पाप में बदल गयाः राजू
राजू सिंह मौर्य अपनी प्रतिक्रया में कहते हैं कि वर्चस्व की लड़ाई में केजरीवाल के घमंड और ताकत की जीत हुई है। आप अब पाप में बदल गई है। वंदे मातरम।
बढ़ रहा आलाकमान कल्चरः नदीम
नदीम खान पार्टी में बढ़ रहे आलाकमान कल्चर पर अपना निशाना साधते हैं। वे अपनी प्रतिक्रिया में लिखते हैं कि अरविंद और उनके चमचों को अब ये समझ लेना चाहिए कि राजनीति बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है।
आप रूपी उम्मीद का दिया बुझ गयाः मनीष
मनीष गुप्ता का दर्द उनके इस पोस्ट से झलकता है। वे लिखते हैं कि लाखों लोगों के दिल से आप रूपी उम्मीद का दिया बुझ गया।
दिल्ली में नौटंकी जारीः सागर
सागर भोसले ने लिखा है कि जितना गम देशवासियों को वर्ल्ड कप में हार का नहीं है, उससे ज्यादा गम दिल्ली वालो को अब केजरीवाल को जिताने का हो रहा है। नौटंकी जारी है।
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